
Best Indore News: इंदौर शहर ने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक और मिसाल कायम की है। ग्रीन सिटी बनने के संकल्प को साकार करते हुए, बीते तीन वर्षों में शहर ने 250 टन से अधिक सूखे कचरे को कम किया है। यह उपलब्धि न केवल इंदौर को स्वच्छता के मामले में अग्रणी बना रही है, बल्कि देशभर के अन्य शहरों को भी प्रेरणा दे रही है।
क्या है यह उपलब्धि?
स्वच्छ भारत मिशन के तहत इंदौर नगर निगम ने विशेष रूप से सूखे कचरे के प्रबंधन पर फोकस किया। तीन सालों में निगम ने व्यापक अभियान चलाकर रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल क्षेत्रों से निकलने वाले सूखे कचरे को सॉर्टिंग, रिसाइकलिंग और रीयूज़िंग की प्रक्रिया से गुज़ारा। परिणामस्वरूप, कचरे की मात्रा में 250 टन की कमी दर्ज की गई।
कैसे हुआ संभव?
इस उपलब्धि के पीछे नगर निगम की रणनीतिक योजना और नागरिकों की भागीदारी रही। नगर निगम ने वेस्ट सेगरेगेशन को प्राथमिकता दी। गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए डोर-टू-डोर कलेक्शन सिस्टम को मजबूत किया गया। साथ ही लोगों को जागरूक किया गया कि वे अपने घरों में ही कचरा छांटें। स्कूल, कॉलेज और सोसायटीज़ में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।
ग्रीन सिटी मिशन का उद्देश्य
इंदौर को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने के लिए नगर निगम ने “3R” – Reduce, Reuse और Recycle पर विशेष ज़ोर दिया है। सूखे कचरे की मात्रा कम करके न केवल लैंडफिल पर दबाव घटाया गया, बल्कि प्रदूषण को भी कम किया गया है। इस पहल के तहत प्लास्टिक, कागज़, धातु और कपड़ों जैसे सूखे कचरे का पुनः उपयोग बढ़ाया गया।
तकनीकी पहल और संसाधन
नगर निगम ने सूखे कचरे को प्रोसेस करने के लिए अत्याधुनिक मशीनें और सेगरेगेशन सेंटर स्थापित किए। इन केंद्रों पर कचरे को कई स्तरों पर छांटा जाता है और उपयोगी सामग्रियों को अलग कर रिसाइकिल किया जाता है। इस प्रक्रिया से न केवल पर्यावरण सुरक्षित होता है, बल्कि वेस्ट मैनेजमेंट भी स्मार्ट हो जाता है।
नागरिकों की भूमिका
इस मुहिम की सफलता में इंदौर के नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सबसे अहम रही। आम लोगों ने स्वेच्छा से कचरे को छांटने की आदत डाली। स्वच्छता मित्रों के सम्मान और कचरा गाड़ियों के स्वागत की संस्कृति ने शहर में एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया है।
भविष्य की योजना
नगर निगम की योजना है कि अगले दो वर्षों में सूखे कचरे की मात्रा को और 30% तक घटाया जाए। इसके लिए लोगों को होम कम्पोस्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, साथ ही कचरे के स्रोत पर ही निपटान की व्यवस्था की जा रही है। स्कूलों और कॉलेजों में “ग्रीन क्लब” की स्थापना की जा रही है ताकि अगली पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके।
इंदौर की नई पहचान
इंदौर लगातार आठ वर्षों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है। अब ग्रीन सिटी बनने की दिशा में उठाया गया यह कदम उसे एक और नई पहचान दिला रहा है। यह पहल न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी स्थायी विकास की ओर इशारा करती है।
इंदौर की यह पहल साबित करती है कि जब प्रशासन की इच्छाशक्ति और नागरिकों का सहयोग एक साथ होता है, तो बड़े से बड़ा बदलाव संभव है। 250 टन सूखे कचरे को कम करना कोई मामूली उपलब्धि नहीं है, और यह इंदौर को सच्चे अर्थों में ग्रीन सिटी बनने की ओर अग्रसर कर रहा है।
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