
आज बुधवार, 25 जून 2025 को आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि है, जो कि पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति के लिए विशेष मानी जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली महत्व है, विशेषकर तब जब वह आषाढ़ माह में पड़े। इसी कारण, इस दिन को तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य जैसे कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
पंचांग विवरण:
- तिथि: अमावस्या – शाम 04:00 बजे तक
- योग: गण्ड – प्रातः 06:00 बजे तक, फिर वृद्धि योग (26 जून को प्रातः 02:39 बजे तक)
- करण: चतुष्पद – प्रातः 05:28 बजे तक, नाग – शाम 04:00 बजे तक, किंस्तुघ्न (26 जून को प्रातः 02:39 बजे तक)
- सूर्योदय: सुबह 05:25 बजे
- सूर्यास्त: शाम 07:23 बजे
- चंद्र राशि: मिथुन
- सूर्य राशि: मिथुन
- पक्ष: कृष्ण पक्ष
इन सभी संयोगों के चलते, यह दिन विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहेगा। अतः इस समय का उपयोग धार्मिक साधना, ध्यान और पितृ पूजन के लिए करना चाहिए।
आज का नक्षत्र और उसका प्रभाव
आज चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में विचरण करेगा, जो कि प्रातः 10:40 बजे तक प्रभावी रहेगा। मृगशिरा नक्षत्र मंगल ग्रह के अधीन है, जो ऊर्जा, क्रिया और आवेग का प्रतिनिधित्व करता है। इस नक्षत्र के प्रभाव से आज का दिन कूटनीतिक, आकर्षक और परिश्रमी स्वभाव वाले लोगों के लिए विशेष फलदायी रहेगा।
- नक्षत्र स्वामी: मंगल
- देवता: सोम (अमृत के देवता)
- प्रतीक: हिरण का सिर
- राशि स्वामी: शुक्र और बुध
मृगशिरा का संबंध अनिश्चितता और खोज से होता है, अतः आज के दिन किसी आध्यात्मिक यात्रा या आत्मचिंतन का आरंभ करना भी लाभकारी रहेगा।
शुभ-अशुभ समय (Choghadiya)
शुभ समय:
- अमृत काल: रात 11:34 से 26 जून को 01:02 बजे तक
अशुभ समय:
- गुलिक काल: प्रातः 10:39 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक
- यमगंड: प्रातः 07:10 बजे से 08:54 बजे तक
- राहु काल: दोपहर 12:24 बजे से 02:09 बजे तक
इन समयों में शुभ कार्यों से परहेज करना चाहिए क्योंकि ग्रहों की स्थिति बाधाएं उत्पन्न कर सकती है।
आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
जैसा कि ज्ञात है, अमावस्या तिथि को पितृ तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति को उनके आशीर्वाद का लाभ मिलता है। खासकर आषाढ़ अमावस्या पर भगवान विष्णु और पितृ देवताओं की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की कृपा जीवन में उन्नति प्रदान करती है।
इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या का आरंभ 24 जून की शाम 06:59 बजे से हुआ और यह 25 जून की शाम 04:00 बजे तक रहेगा। इस पूरे समयावधि में तर्पण और श्राद्ध का विशेष फल प्राप्त होता है।
आषाढ़ अमावस्या: क्या करें और क्या नहीं करें
करने योग्य कार्य:
- इस दिन पितृ चालीसा, पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करें, जिससे पितरों की कृपा मिलती है।
- सुबह स्नान कर के कुश, तिल, जल से तर्पण करें और पिंडदान अवश्य करें।
- गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- किसी ब्राह्मण को भोजन और वस्त्र दान देने से पुण्य प्राप्त होता है।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन शांत चित्त से ध्यान और जप करना विशेष लाभकारी होता है।
न करने योग्य कार्य:
- इस दिन बाल कटवाना, नाखून काटना और झाड़ू खरीदना अशुभ माना जाता है।
- विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों से इस दिन परहेज करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की विवाद या नकारात्मक विचारधारा से दूर रहें, क्योंकि इससे पितृ शांति भंग हो सकती है।
अतः 25 जून 2025 की आषाढ़ अमावस्या न केवल एक पवित्र तिथि है, बल्कि यह दिन आत्मिक शुद्धि, पितृ तृप्ति और जीवन की बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला भी है। चंद्रमा के मृगशिरा नक्षत्र में होने के कारण आज का दिन आध्यात्मिक जागरण और आत्मचिंतन के लिए सर्वोत्तम है। इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाएं और पितरों की कृपा से अपने जीवन को शुभता और समृद्धि की ओर अग्रसर करें।
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