
Best Indore News मध्यप्रदेश में बिजली उपभोग की प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगस्त 2025 से प्रदेश में प्रीपेड बिजली व्यवस्था लागू की जा रही है। सबसे पहले यह व्यवस्था सरकारी कार्यालयों में लागू होगी, जिसके बाद आम उपभोक्ताओं को भी चरणबद्ध तरीके से इस मोड पर स्थानांतरित किया जाएगा। यह फैसला ऊर्जा विभाग द्वारा बिजली बिल वसूली को दुरुस्त करने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्या है प्रीपेड बिजली व्यवस्था?
प्रीपेड बिजली प्रणाली ठीक उसी प्रकार है जैसे हम मोबाइल में रिचार्ज करवाते हैं। उपभोक्ताओं को पहले से तय यूनिट के लिए भुगतान करना होगा और उसी अनुसार उन्हें बिजली की सुविधा मिलेगी। यदि बैलेंस समाप्त हो जाता है, तो बिजली कनेक्शन स्वतः बंद हो जाएगा, जब तक उपभोक्ता पुनः रिचार्ज न करवा ले।
पहले चरण में सरकारी दफ्तर
अगस्त महीने से सभी सरकारी विभागों, दफ्तरों, स्कूलों, हॉस्पिटल्स, और अन्य संस्थानों में प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। इससे इन संस्थानों में अनावश्यक बिजली खपत पर नियंत्रण लगेगा और समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा।
आम उपभोक्ताओं के लिए भी तैयारी
ऊर्जा विभाग की योजना के अनुसार, सितंबर 2025 से आम नागरिकों को भी प्रीपेड सिस्टम में लाया जाएगा। इसके लिए नई तकनीक आधारित स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ कॉलोनियों और कस्बों में इस योजना की शुरुआत की जा रही है।
उपभोक्ताओं को क्या होगा फायदा?
- बिल पर नियंत्रण: उपभोक्ता अपनी खपत के अनुसार ही बिजली उपयोग करेंगे, जिससे उन्हें बिल का अंदाजा पहले से रहेगा।
- डिजिटल ट्रैकिंग: स्मार्ट मीटर में मोबाइल से बैलेंस चेक, रिचार्ज और खपत का हिसाब संभव होगा।
- भ्रष्टाचार में कमी: मैनुअल रीडिंग और बिलिंग की जरूरत खत्म होने से कर्मचारियों की मनमानी पर लगाम लगेगी।
- बिल बकाया की समस्या खत्म: समय पर भुगतान न होने की स्थिति ही नहीं रहेगी क्योंकि पहले से भुगतान किया जाएगा।
चुनौतियाँ भी हैं
हालांकि इस नई प्रणाली के कई लाभ हैं, लेकिन इसके सामने कुछ व्यवहारिक चुनौतियाँ भी हैं:
- ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी समझ की कमी।
- शुरुआती समय में सिस्टम फेल होने या बैलेंस कटने से उपभोक्ता परेशान हो सकते हैं।
- स्मार्ट मीटर की आपूर्ति और इंस्टॉलेशन में देरी।
सरकार की योजना
ऊर्जा मंत्री ने बयान दिया कि “प्रीपेड बिजली व्यवस्था से पूरे राज्य में बिजली की बर्बादी रुकेगी और राजस्व बढ़ेगा। हम इसे एक बड़ी सुधार प्रक्रिया के रूप में देख रहे हैं।” इसके लिए राज्य सरकार ने स्मार्ट ग्रिड टेक्नोलॉजी, मोबाइल ऐप और हेल्पलाइन नंबर भी विकसित किए हैं।
उपभोक्ता को क्या करना होगा?
- अपने मीटर की स्थिति जांचें कि वह प्रीपेड है या नहीं।
- बिजली विभाग की वेबसाइट या ऐप से रजिस्ट्रेशन करें।
- समय-समय पर बैलेंस चेक करें और रिचार्ज करते रहें।
- शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर और मोबाइल ऐप का उपयोग करें।
मध्यप्रदेश में प्रीपेड बिजली व्यवस्था एक बड़ा बदलाव है जो न केवल बिजली की खपत को नियंत्रित करेगा बल्कि सरकारी और आम नागरिक दोनों के लिए पारदर्शी व्यवस्था प्रदान करेगा। शुरुआत में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह एक सुधारात्मक कदम सिद्ध होगा।
अगर आप भी उपभोक्ता हैं, तो इस नई प्रणाली को समझना और अपनाना जरूरी है ताकि आप बिना किसी रुकावट के बिजली सेवा का लाभ उठा सकें।
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