
Best Indore News इंदौरवासियों और पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी और बहुप्रतीक्षित खबर आई है। इंदौर-खंडवा नई ब्रॉडगेज रेल लाइन को आखिरकार वन विभाग (Forest Department) से NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिल गया है। इस परियोजना को वर्षों से वन भूमि के उपयोग को लेकर अड़चनें आ रही थीं, लेकिन अब हरी झंडी मिलने के साथ ही यह रास्ता उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ने वाला सबसे छोटा रेल मार्ग बनने की ओर अग्रसर है।
क्या है इंदौर-खंडवा रेल परियोजना?
इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल लाइन परियोजना की शुरुआत 2016 में की गई थी। इस लाइन के निर्माण से:
- इंदौर से खंडवा की दूरी अत्यंत कम हो जाएगी
- इंदौर से नागपुर, हैदराबाद, चेन्नई जैसे दक्षिण भारत के शहरों तक सीधी और तेज यात्रा संभव होगी
- यह मार्ग मालवांचल और निमाड़ क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा
परियोजना की कुल लंबाई करीब 199 किलोमीटर है, जिसमें से 118 किलोमीटर का कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है। शेष कार्य वन भूमि और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रतीक्षा में अटका हुआ था।
वन विभाग की NOC क्यों थी जरूरी?
रेल लाइन का कुछ हिस्सा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और संरक्षित वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। ऐसे में निर्माण कार्य के लिए:
- पर्यावरण प्रभाव आंकलन (EIA)
- जैवविविधता पर असर
- वन्यजीवों के मार्गों का ध्यान
जैसे कई पहलुओं पर विचार जरूरी था। लंबे समय तक पत्राचार और रिपोर्ट तैयारियों के बाद वन मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को सशर्त हरी झंडी दे दी है।
उत्तर-दक्षिण भारत को जोड़ेगा सबसे छोटा रेल मार्ग
इस रेल लाइन के शुरू होते ही:
- इंदौर से नागपुर की दूरी 180 किमी तक कम हो जाएगी
- उत्तर भारत के शहरों जैसे दिल्ली, आगरा, जयपुर से दक्षिण भारत जैसे बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद तक यात्रा के लिए यह सीधा संपर्क मार्ग बनेगा
- अब यात्रियों को भोपल या इटारसी होकर घूमकर नहीं जाना पड़ेगा
यह परियोजना भारतीय रेलवे के लिए स्ट्रैटेजिक लिंक की तरह काम करेगी।
अब क्या होगा अगला कदम?
वन विभाग की NOC मिलने के बाद रेलवे विभाग ने जानकारी दी है कि:
- जल्द ही शेष हिस्से का भूमि अधिग्रहण शुरू किया जाएगा
- बचाव कार्य और पुल निर्माण की प्रक्रिया अब तेज़ी से आगे बढ़ेगी
- इस सेक्शन को 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना अब प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत भी शामिल हो सकती है।
जनता और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
NOC मिलने की खबर के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों और नागरिकों ने खुशी जताई है।
सांसद शंकर लालवानी ने कहा:
“यह सिर्फ रेल लाइन नहीं, बल्कि इंदौर को दक्षिण भारत से जोड़ने वाली जीवन रेखा है। इस परियोजना से लाखों लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।”
व्यापारियों और उद्योगपतियों का मानना है कि:
- माल परिवहन में समय और लागत की बचत होगी
- इंदौर की औद्योगिक उत्पादों को दक्षिण के बंदरगाहों तक पहुंचाना आसान होगा
- पर्यटन और सांस्कृतिक संपर्क भी बढ़ेगा
पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष उपाय
वन क्षेत्र से गुजरने के कारण परियोजना में कई पर्यावरणीय शर्तें लागू की गई हैं:
- रेल लाइन के दोनों ओर साउंड बैरियर लगाए जाएंगे, जिससे जानवरों को शोर से परेशानी न हो
- अंडरपास और ओवरब्रिज बनाए जाएंगे ताकि वन्यजीवों की आवाजाही प्रभावित न हो
- पूरे मार्ग पर वन विभाग की निगरानी में वृक्षारोपण और संरक्षण कार्य किया जाएगा
इतिहास और अटकी परियोजना का संघर्ष
इंदौर-खंडवा रेल मार्ग British Era में मीटर गेज के रूप में अस्तित्व में था। लेकिन:
- इसे 2016 में ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया
- इसके बाद से वन विभाग, बजट और भू-अधिग्रहण के कारण प्रोजेक्ट बार-बार रुका
अब NOC मिलने से यह अटका हुआ सपना साकार होता नजर आ रहा है।
इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल लाइन परियोजना को वन विभाग से मिली मंजूरी इंदौर और पूरे मध्यप्रदेश के लिए विकास का द्वार खोलने वाली खबर है। यह केवल रेल नेटवर्क को नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक संपर्क को भी सशक्त बनाएगी।
अब जरूरत है कि निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा हो, ताकि यात्री और व्यापारी वर्ग जल्द इसका लाभ उठा सकें।
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