
इंदौर की एक दुखद घटना ने फिर खड़ा किया सवाल – क्या हमारी सार्वजनिक व्यवस्थाएं लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी हैं?
Best Indore News इंदौर के XXX इलाके (स्थान परिवर्तन योग्य) में बीते सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां सड़क पर गिरे बिजली के तार को हटाने गया एक 13 वर्षीय नाबालिग करंट की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया। आसपास मौजूद लोगों ने जब तक कुछ समझा, तब तक वह पानी में तड़पता रहा। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय निवासियों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि बिजली वितरण कंपनी और नगर निगम की घोर लापरवाही को भी उजागर कर दिया
क्या हुआ उस दिन? – घटना का पूरा विवरण
घटना सोमवार दोपहर लगभग 2 बजे की है। इलाके में दोपहर से ही तेज हवा और हल्की बारिश का दौर चल रहा था। इसी दौरान एक पुराना बिजली का तार टूटकर सड़क पर गिर गया। वहां से गुजरने वालों ने तुरंत इसकी सूचना बिजली कंपनी और नगर निगम को दी, लेकिन किसी ने समय पर रिस्पॉन्ड नहीं किया।
कुछ देर बाद, स्थानीय निवासी 13 वर्षीय आर्यन (बदला हुआ नाम) अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसने देखा कि बिजली का तार पानी में पड़ा है और आने-जाने वालों को उससे खतरा हो सकता है। उसने साहस दिखाते हुए तार हटाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने तार को छुआ, वह करंट की चपेट में आ गया और मौके पर ही झुलस गया।
पानी में पड़ा तड़पता रहा मासूम, कोई नहीं आया मदद को
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आर्यन करीब दो मिनट तक पानी में तड़पता रहा। लोग डर के मारे पास नहीं जा सके, क्योंकि पानी में करंट था। जब तक बिजली बंद की जाती और मदद पहुंचती, बालक बुरी तरह झुलस चुका था। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
बिजली कंपनी और निगम पर लगे गंभीर आरोप
घटना के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने बिजली वितरण कंपनी और नगर निगम पर सीधा आरोप लगाया कि:
- सूचना देने के बावजूद कोई कर्मचारी नहीं आया।
- क्षेत्र में खराब तारों को महीनों से नहीं बदला गया।
- निगम ने नालियों और सड़कों से पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की।
एक स्थानीय निवासी ने कहा:
“यदि समय पर कार्रवाई होती तो आज एक मासूम जिंदगी और मौत से नहीं जूझ रहा होता। जिम्मेदारों पर केस दर्ज होना चाहिए।”
पीड़ित बालक का परिवार सदमे में
पीड़ित आर्यन का परिवार पूरी तरह सदमे में है। उसकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती हैं:
“मेरा बेटा किसी की मदद करना चाहता था, लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने उसे बुरी तरह जला दिया। क्या यही इनाम मिलता है अच्छे काम का?”
परिवार की मांग है कि:
- दोषी अधिकारियों पर FIR हो
- बालक का मुफ्त इलाज कराया जाए
- आर्थिक सहायता दी जाए
क्या कहती हैं जिम्मेदार संस्थाएं?
बिजली कंपनी के जोनल इंजीनियर ने कहा:
“घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें तार गिरने की सूचना देर से मिली। प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।”
नगर निगम अधिकारी का बयान आया:
“बारिश के कारण जलभराव हुआ, हम अपनी टीम मौके पर भेज चुके हैं। आगे से इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए अलग टीम बनाई जाएगी।”
लेकिन सवाल उठता है – क्या बयान जिम्मेदारी से बड़ी हो सकती है?
आंकड़ों की जुबानी: तार गिरने और करंट लगने की घटनाएं
- अकेले 2023 में मध्यप्रदेश में करंट लगने से 178 मौतें दर्ज की गईं
- इनमें से 70% मामले बारिश के मौसम में हुए
- 60% मामलों में दोषी सरकारी एजेंसियों की लापरवाही पाई गई
स्थानीय लोगों की मांगें
- क्षेत्र के सभी पुराने तारों को बदलने की समयसीमा तय हो
- बारिश से पहले बिजली और निगम टीमों को हाई अलर्ट पर रखा जाए
- सड़क और पानी के बीच करंट रोकने वाले ट्रिप सिस्टम लगाए जाएं
- पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाए
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हमारी व्यवस्थाएं कब संवेदनशील होंगी? एक मासूम ने अपनी समझ और साहस दिखाया, लेकिन सिस्टम की नासमझी ने उसे तड़पने के लिए मजबूर कर दिया।
अब वक्त है कि प्रशासन कागजों से निकलकर ज़मीन पर काम करे। वरना ऐसी घटनाएं फिर किसी और घर की खुशियों को निगल जाएंगी।
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