
Best Indore News: इंदौर मेट्रो के लिए बिजली कनेक्शन देने में लापरवाही का मामला सामने आया है। मेट्रो ट्रेन को एक ही पोल से मिले अस्थायी बिजली कनेक्शन के सहारे दौड़ाया गया, जबकि नियमानुसार मेट्रो के लिए डबल सर्किट की बिजली व्यवस्था होनी चाहिए थी। इस लापरवाही को बाद में सुधार लिया गया और दूसरी वैकल्पिक लाइन से मेट्रो को जोड़ा गया।
इंदौर। इंदौर के सबसे महत्वाकांक्षी मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए बिजली कनेक्शन देने में भी लापरवाही की गई। उद्घाटन के बाद मेट्रो सिर्फ एक ही पोल से मिले अस्थायी बिजली कनेक्शन के सहारे दौड़ती रही। वैकल्पिक दूसरे कनेक्शन की व्यवस्था पर ध्यान ही नहीं दिया गया। करीब एक सप्ताह बाद लापरवाही पकड़ में आई और खामोशी से उसे सुधार लिया गया।
31 मई से मेट्रो ट्रेन आधिकारिक रूप से पटरियों पर दौड़ने लगी। मेट्रो परियोजना की बिजली ग्रिड का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में अभी मेट्रो रेल के लिए पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से 2 एमवीए का अस्थायी बिजली कनेक्शन लिया गया है, ताकि ग्रिड बनने और स्थायी कनेक्शन होने से पहले तक मेट्रो को चलने के लिए बिजली मिलती रही।
नियमानुसार मेट्रो के लिए डबल सर्किट की बिजली व्यवस्था होनी थी। यानी उसे दो जगह से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करना थी, ताकि किसी आपात स्थिति में यदि एक खंभे से बिजली आपूर्ति रुके तो दूसरी जगह से आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। हालांकि वितरण कंपनी के इंजीनियरों ने खानापूर्ति करते हुए डबल सर्किट के नाम पर सिर्फ इतना किया कि एक ही खंभे से दो लाइन डाल दी।
तो मेट्रो रेल वहीं रुक जाती

मेट्रो इसी के सहारे दौड़ती भी रही। इस बीच बिजली कंपनी में कामों की समीक्षा शुरू हुई। किसी ने ध्यान दिला दिया कि जिस खंबे से मेट्रो ट्रेन को बिजली आपूर्ति की जा रही है। यदि उसे किसी गाड़ी ने टक्कर मारकर गिरा दिया या उसमें किसी तकनीकी रुकावट से आपूर्ति बाधित हुई तो मेट्रो ट्रेन को भी बिजली आपूर्ति रुक जाएगी। यह ऐसे समय होता है जब ट्रेन पटरियों पर दौड़ रही है तो मेट्रो जहां है वहीं रुक जाएगी।
मेट्रो शुरुआत में एक सप्ताह जैतपुरा पैंथर लाइन से जुड़े मोनोपोल-ए से अस्थायी कनेक्शन दिया गया। इसी से दो केबल मेट्रो की बिजली के लिए दे दिए गए। करीब सप्ताहभर इस सिंगल पोल से सप्लाई के सहारे ट्रेन दौड़ती भी रही। इसके बाद बिजली कंपनी के मुख्यालय से वैकल्पिक व्यवस्था के आदेश दिए।
तुरत-फुरत में मेट्रो ट्रेन के लिए निरंजनपुर ग्रिड से भी दूसरी वैकल्पिक लाइन देने का आदेश हुआ। इसके बाद दूसरी लाइन से मेट्रो को जोड़ा गया। ताकि यदि जैतपुरा मोनोपोल से बिजली आपूर्ति रुके तो मेट्रो को निरंजनपुर से बिजली मिल सके। हालांकि लापरवाही दबा दी गई और इंजीनियरों से ना जवाब मांगा गया ना कार्रवाई हुई।
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