
इंदौर में उजागर हुई पौधारोपण अभियान की हकीकत
Best Indore News इंदौर में मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर खुलकर नाराज़गी जताई। विजयवर्गीय ने कहा कि जब भी नगर निगम या प्रशासन द्वारा पौधारोपण अभियान चलाया जाता है, वन विभाग समय पर पौधे उपलब्ध नहीं कराता, जिससे योजनाओं पर असर पड़ता है।
क्या बोले विजयवर्गीय?
कैलाश विजयवर्गीय ने सार्वजनिक मंच से कहा:
इंदौर “हम पौधारोपण करना चाहते हैं, लेकिन वन विभाग सहयोग नहीं करता। समय पर पौधे नहीं मिलते। ऐसे में अभियान कैसे सफल हो? मैं मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूँ कि विदेश यात्रा से पहले अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दें कि वे अपना काम समय पर करें।”
उनकी यह टिप्पणी सुनकर मंच पर बैठे अन्य अधिकारी और अतिथि भी थोड़े असहज दिखे, लेकिन यह साफ जाहिर हो गया कि मंत्री खुद भी पर्यावरण सुधार के लिए गंभीर हैं और चाहते हैं कि सभी विभागों का सहयोग मिलना चाहिए।
क्यों उठी पौधों की उपलब्धता की समस्या?
इंदौर नगर निगम और राज्य सरकार हर साल वृक्षारोपण अभियान चलाती है, जिसका उद्देश्य:
- शहर को हरा-भरा बनाना
- वायु गुणवत्ता में सुधार
- पर्यावरण संरक्षण
है। परंतु, पिछले कुछ वर्षों से नगर निगम और सामाजिक संगठनों को समय पर उचित मात्रा और गुणवत्ता वाले पौधे नहीं मिल पा रहे। कई बार अभियान की तिथि निकल जाती है, लेकिन पौधे नहीं आते। इस समस्या को विजयवर्गीय ने सार्वजनिक मंच पर उठाकर प्रशासन की नींद तो जरूर तोड़ी है।
मुख्यमंत्री की विदेश यात्रा और प्रशासनिक कामकाज
मुख्यमंत्री मोहन यादव जल्द ही विदेश यात्रा पर रवाना होने वाले हैं, जिसका उद्देश्य प्रदेश में निवेश और विकास के अवसरों को बढ़ाना है। इसी संदर्भ में विजयवर्गीय ने कहा कि:
“मुख्यमंत्री विदेश जाएं, लेकिन उसके पहले यह सुनिश्चित करें कि अधिकारी अपने स्तर पर पूरी जिम्मेदारी निभाएं।”
उनका संकेत था कि अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए, ताकि योजनाएं समय पर पूरी हो सकें।
जनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा
विजयवर्गीय का यह बयान सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। इसके राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कई मायने निकाले जा रहे हैं:
- पर्यावरणीय कार्यक्रमों की गंभीरता पर सवाल
- वन विभाग की निष्क्रियता उजागर
- राज्य सरकार के भीतर संवाद और समन्वय की आवश्यकता
कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि “वन विभाग को अधिक सक्रिय और जवाबदेह बनाने की जरूरत है।”
इंदौर और वृक्षारोपण: आंकड़े क्या कहते हैं?
- इंदौर में हर साल औसतन 5 लाख से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया जाता है।
- पिछले 3 वर्षों में करीब 15 लाख पौधे लगाए गए, लेकिन इनमें से 40% जीवित नहीं बच पाए।
- सर्वे रिपोर्टों के अनुसार, पौधों की गुणवत्ता और देखरेख की कमी इसके पीछे प्रमुख कारण है।
समाधान की क्या आवश्यकता है?
इस तरह की समस्याओं को देखते हुए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:
- वन विभाग और नगर निगम के बीच समन्वय तंत्र विकसित किया जाए
- पौधों की नर्सरी को डिजिटल ट्रैकिंग से जोड़ा जाए
- पौधारोपण की तिथियों से 15 दिन पहले पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
- सामाजिक संगठनों और स्कूली बच्चों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाए
नागरिकों की राय
नीरा वर्मा, एक समाजसेवी कहती हैं:
“हमने स्कूल के बच्चों के साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम रखा, लेकिन हमें समय पर पौधे नहीं मिले। हमें खुद नर्सरी से महंगे पौधे खरीदने पड़े।”
आरटीआई कार्यकर्ता महेश जैन ने कहा:
“वन विभाग की नर्सरियों में अच्छा स्टॉक होने के बाद भी कई बार बहाना बना दिया जाता है। यह एक प्रशासनिक विफलता है।”
कैलाश विजयवर्गीय का मुख्यमंत्री के सामने वन विभाग की शिकायत करना एक साहसिक कदम है। यह स्पष्ट करता है कि अब सिर्फ घोषणाएं नहीं, जमीनी कार्यों की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वन विभाग इन बातों से सीख लेकर अपनी व्यवस्था दुरुस्त करता है या फिर वही पुरानी कार्यशैली दोहराई जाती है।
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