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10 अंडररेटेड बॉलीवुड फिल्में जो हर किसी को देखनी चाहिए

बॉलीवुड में हर साल सैकड़ों फिल्में बनती हैं। इनमें से कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाती हैं, कुछ फ्लॉप हो जाती हैं। लेकिन एक खास कैटेगरी होती है — अंडररेटेड फिल्मों की, जिन्हें ना ही ज़रूरत के मुताबिक स्क्रीन स्पेस मिलता है, ना प्रमोशन, फिर भी ये फिल्में दिल में उतर जाती हैं।

यहाँ प्रस्तुत हैं ऐसी 10 फिल्में जो शायद आपने मिस कर दी हों — लेकिन इन्हें देखना आपके सिनेमा प्रेम को एक नया नजरिया देगा।

 मसान (2015)

निर्देशक: नीरज घेवन
कलाकार: विक्की कौशल, श्वेता त्रिपाठी

“हर हर महादेव के शोर में डूबा एक मूक क्रंदन…”
वाराणसी की घाटों पर बसी यह फिल्म गहरे सामाजिक प्रश्न उठाती है — प्रेम, जाति, पाप, और पुनर्जन्म के मिथक। विक्की कौशल की यह पहली फिल्म थी, जिसमें उनका किरदार “दीपक चौधरी” एक निम्न जाति का लड़का है जो श्मशान घाट पर काम करता है लेकिन इंजीनियर बनने का सपना देखता है।
संवेदनशीलता और यथार्थ की पराकाष्ठा।

अंधाधुन (2018)

निर्देशक: श्रीराम राघवन
कलाकार: आयुष्मान खुराना, तब्बू

“एक अंधा आदमी सबसे ज़्यादा देखता है।”
आयुष्मान खुराना ने इस फिल्म में एक नेत्रहीन पियानो प्लेयर की भूमिका निभाई है – या शायद वह अंधा नहीं है? फिल्म दर्शकों को बार-बार चौंकाती है और एक ऐसी रोलर-कोस्टर राइड पर ले जाती है जहाँ हर मोड़ एक रहस्य है।
तब्बू का ग्रे किरदार भी आपको चौंकाता है।

 तितली (2014)

निर्देशक: कनु बहल
कलाकार: रणवीर शौरी, शशांक अरोड़ा

“परिवार भी पिंजरा हो सकता है।”
शशांक अरोड़ा ने ‘तितली’ के किरदार में एक ऐसा लड़का निभाया है जो अपने आपराधिक परिवार से भागना चाहता है। लेकिन जब उसकी जबरन शादी की जाती है, तो कहानी और जटिल हो जाती है।
कच्ची गलियों और रिश्तों की असलियत को दिखाती यह फिल्म कई फेस्टिवल्स में सराही गई।

 शिप ऑफ थीसियस (2012)

निर्देशक: आनंद गांधी
कलाकार: आयुष्मान खुराना (विशेष भूमिका)

“अगर आपकी आंखें किसी और की हैं, तो क्या आप अब भी वही इंसान हैं?”
यह फिल्म तीन किरदारों की कहानी बताती है — एक फोटोग्राफर, एक भिक्षु, और एक स्टॉक ब्रोकर, जो अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी आध्यात्मिक और नैतिक दुविधाओं का सामना करते हैं।
ध्यान देने योग्य: यह फिल्म खुद आमिर खान ने भी सराही थी।

 अ वेडनसडे (2008)

निर्देशक: नीरज पांडे
कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर

“मैं आम आदमी हूँ साहब, और आज बहुत गुस्से में हूँ।”
नसीरुद्दीन शाह एक आम आदमी के किरदार में ऐसा धमाका करते हैं कि दर्शक अंत तक हिल जाते हैं। यह फिल्म बताती है कि जब सिस्टम से उम्मीद टूट जाए, तब आम आदमी भी क्रांति कर सकता है।
अनुपम खेर का पुलिस अफसर किरदार भी बहुत मजबूत है।

 रण (2010)

निर्देशक: राम गोपाल वर्मा
कलाकार: अमिताभ बच्चन, रितेश देशमुख

“न्यूज़ बिक रही है, खबर नहीं।”
आज के TRP-केंद्रित मीडिया युग को यह फिल्म बखूबी उधेड़ती है। अमिताभ बच्चन का संवाद — “सच्चाई सबसे बड़ी खबर होती है” — आज भी सोशल मीडिया पर वायरल होता है।
फिल्म आज के मीडिया पॉलिटिक्स को बहुत ही बारीकी से छूती है।

लुटेरा (2013)

निर्देशक: विक्रमादित्य मोटवानी
कलाकार: रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा

“कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर भी पूरी होती हैं।”
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की कहानी ‘The Last Leaf’ पर आधारित इस फिल्म में रणवीर सिंह और सोनाक्षी की प्रेम कहानी एक पेंटिंग की तरह चलती है — धीमी, सुंदर और गहराई लिए हुए।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और लोकेशन रूहानी हैं।

 माय ब्रदर निखिल (2005)

निर्देशक: ओनिर
कलाकार: संजय सूरी, जूही चावला

“प्यार, परिवार और पहचान — जब सब कुछ टूटने लगे।”
संजय सूरी ने AIDS पीड़ित युवक की भूमिका में जान डाल दी है। फिल्म की खास बात यह है कि यह 90 के दशक की गोवा में बनी है, जहाँ समाज ऐसे रोगियों से कैसे व्यवहार करता था — ये दिखाया गया है।
जूही चावला ने बहन की भूमिका में गहरी संवेदनशीलता दी है।

आई एम कलाम (2011)

निर्देशक: नील माधव पांडा
कलाकार: हर्ष मायर

“मैं कलाम बनूंगा!”
हर्ष मायर की यह भूमिका इतनी प्रेरणादायक है कि इस फिल्म को भारत ही नहीं, विदेशों में भी 20 से ज्यादा अवॉर्ड्स मिले। एक गरीब बच्चे का सपना, उसकी मेहनत, और उसकी मुस्कान आपको अंदर से हिला देती है।
फिल्म बच्चों को दिखाना आवश्यक है।

 द लंचबॉक्स (2013)

निर्देशक: रितेश बत्रा
कलाकार: इरफान खान, निमरत कौर

“कभी-कभी गलत डिब्बा भी सही ज़िंदगी दे जाता है।”
इरफान खान और निमरत कौर की यह कहानी बिना मिलन के भी भावनाओं की पूरी यात्रा तय करती है। फिल्म में डब्बेवाले की गलती से दो अनजान लोग एक-दूसरे की तन्हाई बांटने लगते हैं।
इरफान की अदाकारी और चुपचाप बोले गए संवाद मन को छूते हैं।

ज्योतिष दृष्टिकोण से मनोरंजन और कला

शुक्र (Venus) और चंद्रमा (Moon) इन फिल्मों और रचनात्मकता से जुड़ाव में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

  • जिनकी कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, वे अक्सर सुंदरता, सिनेमा, फैशन, और रोमांटिक कला से जुड़ाव महसूस करते हैं।
  • चंद्रमा अगर उच्च का हो, तो व्यक्ति संवेदनशील, भावुक और कलात्मक फिल्मों की ओर आकर्षित होता है।

यदि आप फिल्म निर्देशन, लेखन, या एक्टिंग से जुड़ना चाहते हैं, तो कुंडली में शुक्र, चंद्रमा और पंचम भाव (5th house) की स्थिति की जांच ज़रूर करें।

अगर आपको सिनेमा का थोड़ा भी प्रेम है, तो ऊपर दी गई किसी एक फिल्म से शुरुआत करें। ये फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक जीवन अनुभव हैं। इनसे आप इंसानी रिश्तों, भावनाओं और समाज के उन पहलुओं को समझ पाएंगे, जो शायद सामान्य जीवन में छूट जाते हैं।

इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

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