
MP News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज होने जा रही है। यहां जल्द ही देश की दूसरी मल्टी‑डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (MDRU) की स्थापना की जाएगी। यह कदम न सिर्फ स्थानीय स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने वाला है, बल्कि पूरे भारत में चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की भूमिका को भी मजबूत करेगा।
भोपाल: राजधानी का गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) जल्द ही चिकित्सा अनुसंधान (मेडिकल रिसर्च) का एक बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। यहां इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देशन में देश की दूसरी ‘मेडिकल रिसर्च स्किल यूनिट’ स्थापित की जा रही है। इस तरह की यूनिट पहले पुणे में स्थापित की जा चुकी है। यह ऐसी इकाई होगी, जहां डाक्टरों को अनुसंधान की आधुनिक तकनीकों और नैतिक बारीकियों का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह यूनिट भोपाल समेत राजस्थान, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब, चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर और पूर्वोत्तर राज्यों के चिकित्सकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेगी। जीएमसी में बनने वाली इस नई यूनिट के लिए तीन दिवसीय विशेष कार्यशाला की शुरुआत बुधवार को हुई।
MDRU क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
MDRU यानी मल्टी‑डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट ऐसे केंद्र होते हैं जहाँ कई मेडिकल विभाग शोध कार्यों को संयोजित रूप से अंजाम देते हैं।
भोपाल की यह यूनिट रायपुर (GMC का पहला MDRU) के बाद देश भर में दूसरी होगी, जिसे ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की मान्यता मिली है
GMC में आधुनिक सुविधाओं का विस्तार
- गांधी मेडिकल कॉलेज की कार्यकारिणी के अध्यक्ष द्वारा हाल ही में निरीक्षण हुआ, जिसमें फर्स्ट फ्लोर पर एमआरआई और सीटी सुविधा का इंटिग्रेशन करने के निर्देश दिए गए हैं।
- साथ ही तीसरे फ्लोर में कैथलैब को शिफ्ट करने की योजना पूरी की जाएगी
- MDRU के तहत यहां मोलेक्यूलर बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, पैथोलॉजी सहित लैब्स की स्थापना और पूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ की जाएगी।
यह मॉर्डनाइजेशन डॉक्टरों को सुविधाजनक और समयबद्ध चिकित्सा जांच की सुविधा प्रदान करेगा।
खास शोध—क्या होंगे प्रमुख फोकस?
MDRU के तहत कई गंभीर और सामूहिक स्वास्थ्य समस्याओं पर शोध होगा:
- जैव‑मार्कर्स के माध्यम से माइक्रोबायोलॉजिकल, कैंसर, थैलेसीमिया, तंत्रिका संबंधी बीमारियां आदि का अध्ययन
- मेडिकल तकनीकियों का विकास जैसे डायग्नोस्टिक टेस्ट और सटीक थैरेपी रणनीति
- पब्लिक हेल्थ रिसर्च, जिसमें वातावरण, जीवनशैली, और आनुवांशिक कारकों का असर
- इंटीग्रेटेड क्लिनिकल और ट्रांसलेशनल रिसर्च — प्रयोगशाला से क्लिनिक तक ज्ञान पहुँचाना
ये सभी पहलें न सिर्फ मरीजों को लाभ देंगी, बल्कि वैज्ञानिक और मेडिकल छात्रों के लिए भी अत्यधिक शिक्षाप्रद होंगी।
शैक्षणिक और चिकित्सा छात्रों पर लाभ
- MD/PhD छात्रों के लिए शोध-उन्मुख शिक्षा और थीसिस पूरा करने में मदद
- विभिन्न विभागों में सह‑परामर्श व्यवस्था, जैसे रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी, न्यूरोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी
- टीम वर्क, इंटरडिसिप्लिनरी प्रोजेक्ट्स और नैदानिक अनुसंधान के अवसर — जो फ्यूचर मेडिकल लीडर बना सकते हैं
भोपाल चिकित्सा इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण योगदान
- शोध से नए परीक्षण और उपचार मॉडल विकसित किए जाएंगे
- ICMR के वित्तीय सहयोग से फंडिंग और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समावेश चिकित्सा विभागों को नए मंच प्रदान करेगा
अभी भी चुनौती क्या हैं?
- फंडिंग रिलीज़ — पहले जाल बुनने में कुछ विलंब हुआ था, जिससे कुछ उपकरण बाद में खरीदे गए
- सह-कार्य प्रणालियों की कमी — कई उपकरण अभी अधर में हैं
- मानव संसाधन — SR और फैकल्टी पोस्ट की कमी अभी भी बनी हुई है, हालांकि विभाग सुधार की योजना बना रहा है
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
- कार्यकारिणी अध्यक्ष ने MRI, CT, कैथलैब शिफ्टिंग और नए हॉस्टल सहित कई सुधारों का निरीक्षण किया और समयबद्ध कार्यों के निर्देश दिए
- ICMR और AIIMS Bhopal के विशेषज्ञों ने GMC के साथ MoU करके चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च साझा करने की सहमति दी
भोपाल होगा रिसर्च राजधानी
भोपाल का GMC चिकित्सकीय अनुसंधान में नई गति प्राप्त करने वाला है।
MDRU की स्थापना से:
- रोगों की पहचान, डायग्नोस्टिक क्षमता एवं उपचार बेहतर होगा
- शोधकर्ताओं, मेडिकल छात्रों और सामान्य जनता को ठोस लाभ मिलेगा
- जिले का स्वास्थ्य ढांचा और मेडिकल शिक्षा दोनों मजबूत बनेंगे
यह पहल मध्यप्रदेश को मेडिकल रिसर्च के मानचित्र में एक नई ऊँचाई प्रदान कर सकती है।
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