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किन्नरों के झगड़े की जांच में जुटी एसआईटी: धर्म परिवर्तन और एचआईवी संक्रमण के आरोपों की होगी पड़ताल

Best Indore NewsSIT is investigating the fight between eunuchs

Best Indore News इंदौर में हाल ही में सामने आए किन्नर समुदाय के आपसी विवाद ने न केवल शहर बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है। इस झगड़े ने तब गंभीर रूप ले लिया जब हिंदू किन्नरों ने कुछ मुस्लिम किन्नरों पर धर्म परिवर्तन कराने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, और लगभग 60 किन्नरों को एचआईवी संक्रमित करने के आरोप लगाए। अब इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए प्रशासन ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है।

क्या है मामला?

इस पूरे विवाद की शुरुआत 15 जुलाई को इंदौर के नंदानगर क्षेत्र में दो किन्नर समूहों के बीच हुए झगड़े और मारपीट से हुई। यह झगड़ा धीरे-धीरे सामुदायिक टकराव का रूप लेता गया। हिंदू किन्नरों का आरोप है कि उन्हें मजबूरी में इस्लाम अपनाने को मजबूर किया जा रहा है, और इस काम में कुछ प्रभावशाली मुस्लिम किन्नर संगठनों की भूमिका है।

“हमें धमकाया गया कि अगर धर्म परिवर्तन नहीं किया, तो हमारे इलाकों से बाहर कर दिया जाएगा। कुछ किन्नरों ने हमारे खिलाफ फर्जी मुकदमे भी दर्ज करवाए।”
प्रियंका किन्नर, शिकायतकर्ता

एचआईवी संक्रमण का गंभीर आरोप

इस मामले को और संवेदनशील बना दिया है एचआईवी संक्रमण से जुड़े आरोपों ने। हिंदू किन्नरों ने दावा किया है कि कुछ व्यक्तियों द्वारा जानबूझकर एचआईवी पॉजिटिव किन्नरों को सामूहिक आवासों में रखा गया, जिससे दूसरों को भी संक्रमित किया गया।

“हमारी मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया कि एक ही घर में रहने वाले कई किन्नर एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। हमें संदेह है कि यह जानबूझकर किया गया।”
शिकायत में दी गई जानकारी

प्रशासन का एक्शन: SIT का गठन

इस गंभीर मामले को देखते हुए इंदौर पुलिस कमिश्नर आराकेश गुप्ता ने 3 सदस्यीय एसआईटी गठित की है, जिसमें शामिल हैं:

  • एडिशनल एसपी (क्राइम) – प्रमुख जांच अधिकारी
  • सीएसपी स्तर का अधिकारी – दस्तावेज़ और सबूतों की पुष्टि के लिए
  • मेडिकल ऑफिसर – स्वास्थ्य से जुड़े आरोपों की पुष्टि हेतु

SIT को 10 दिनों में प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

जांच के मुख्य बिंदु

SIT निम्नलिखित बिंदुओं पर जांच करेगी:

  • क्या सच में किन्नरों पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला गया?
  • एचआईवी संक्रमण के मामलों में साजिश का कोण है या नहीं?
  • किस समूह ने झगड़े की शुरुआत की और क्या हथियारों का प्रयोग हुआ?
  • क्या किसी राजनीतिक या बाहरी संगठनों की भूमिका है?

मामले ने पकड़ा कानूनी मोड़

हिंदू किन्नरों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, जान से मारने की धमकी, और स्वास्थ्य सुरक्षा अधिनियम के तहत तीन एफआईआर दर्ज करवाई हैं। वहीं, विरोधी पक्ष ने झूठे आरोप और मानहानि के तहत काउंटर एफआईआर दर्ज करवाई है।

“हम पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। यह सिर्फ एक समुदाय विशेष को बदनाम करने की साजिश है।”
रूबिना किन्नर, मुस्लिम किन्नर प्रतिनिधि

समाजशास्त्रियों की राय

समाजशास्त्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मामला सिर्फ धर्म या स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि किन्नर समुदाय के भीतर व्याप्त सत्ता संघर्ष का है। किन्नरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था “संवेदना” की प्रमुख डॉ. गीतांजलि राव कहती हैं:

“वास्तविक मुद्दा यह है कि किन्नर समाज में कुछ समूह अधिक प्रभावशाली हो गए हैं और वे बाकी समुदाय पर दबाव बना रहे हैं। प्रशासन को इस सत्ता के असंतुलन को समझना होगा।”

प्रशासन की अपील

जांच शुरू होने के बाद प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है और सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचने को कहा है।

“यह एक संवेदनशील मामला है। कृपया जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर न पहुंचें।”
एसपी (क्राइम), इंदौर

इंदौर में किन्नरों के इस झगड़े ने सामाजिक, धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं।
SIT की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि इस विवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं और क्या वाकई इसमें कोई सोची-समझी साजिश है।
प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि इस तरह के मुद्दों को संवेदनशीलता और निष्पक्षता से हल किया जाए।

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