
घनी आबादी में चल रही दुकान पर लंबे समय से था विवाद, रविवार को भड़का जन आक्रोश
Best Indore News इंदौर शहर में एक बार फिर शराब दुकान को लेकर विवाद गहराता नजर आया, जब एक घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित शराब दुकान को लेकर स्थानीय रहवासियों का गुस्सा फूट पड़ा। नाराज़ लोगों ने दुकान पर तोड़फोड़ कर दी, जिसके बाद कर्मचारी जान बचाकर भाग निकले। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
यह घटना इंदौर के विजय नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित XXX कॉलोनी की है (स्थान परिवर्तन योग्य)। दुकान को लेकर लंबे समय से विरोध हो रहा था, लेकिन प्रशासन की अनदेखी ने इस जनाक्रोश को और भड़का दिया।
क्या है पूरा मामला?
स्थानीय रहवासियों का कहना है कि:
“शराब दुकान हमारे घरों के बेहद पास है। रोज़ाना नशे में धुत लोग गाली-गलौज करते हैं, झगड़ा करते हैं। महिलाएं और बच्चे डर के माहौल में जी रहे हैं।”
बीते कई महीनों से लोग दुकान को हटाने की मांग कर रहे थे। कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। रविवार को स्थिति तब बिगड़ी, जब कुछ युवकों ने दुकान के सामने बैठकर शराब पी और राह चलती महिलाओं से छींटाकशी की।
इसके बाद स्थानीय लोगों ने एकजुट होकर दुकान पर धावा बोल दिया। गुस्साए लोगों ने दुकान में घुसकर शीशे, गल्ला, काउंटर और शराब की बोतलों को तोड़ डाला।
कर्मचारी दुकान छोड़कर भागे, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
तोड़फोड़ के दौरान दुकान के कर्मचारी खुद को असुरक्षित मानते हुए भाग खड़े हुए। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया है, लेकिन स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि:
- दुकान को तुरंत बंद किया जाए
- दोषी शराबियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए
- क्षेत्र को शराबमुक्त घोषित किया जाए
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी प्रतिक्रिया
वार्ड पार्षद का कहना है:
“मैं खुद कई बार दुकान हटाने की मांग कर चुका हूँ। महिलाएं और बुज़ुर्ग भय के माहौल में जी रहे हैं। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का नहीं, सामाजिक सम्मान का सवाल है।”
वहीं, थाना प्रभारी ने कहा:
“भीड़ ने कानून हाथ में लिया, इसलिए पुलिस ने कार्रवाई की। लेकिन उच्च अधिकारियों को इस दुकान के स्थानांतरण पर विचार करना चाहिए।”
शहर में शराब दुकानों की स्थिति पर एक नजर
- इंदौर में करीब 230 लाइसेंस प्राप्त शराब दुकानें हैं।
- इनमें से कई दुकानें रिहायशी और शैक्षणिक संस्थानों के पास स्थित हैं।
- हर साल 50 से ज्यादा शिकायतें इन दुकानों को लेकर आती हैं, लेकिन कई मामलों में कार्रवाई नहीं होती।
स्थानीय लोगों की पीड़ा
श्रीमती मंजू वर्मा, एक स्थानीय निवासी कहती हैं:
“बच्चियों को स्कूल छोड़ने तक में डर लगता है। शराबी पीछा करते हैं, अश्लील बातें करते हैं। हम कब तक सहते रहेंगे?”
रवि सोनी, एक युवा व्यापारी ने बताया:
“हमने शांतिपूर्वक कई बार विरोध किया, कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लोगों का सब्र जवाब दे गया।”
कानून और सामाजिक दायित्व के बीच टकराव
यह घटना केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह बताती है कि यदि प्रशासन समय पर जनभावनाओं को नहीं समझता, तो स्थिति हाथ से निकल सकती है।
एक ओर सरकार शराब से भारी राजस्व कमाती है, वहीं दूसरी ओर आम लोग शराब दुकानों के दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं। ऐसे में संतुलन बनाना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।
अब आगे क्या?
- दुकान अस्थायी रूप से बंद कर दी गई है।
- पुलिस ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
- ज़िला प्रशासन ने जांच टीम गठित की है जो दुकान की लोकेशन की समीक्षा करेगी।
- जनता ने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन तेज करेंगे।
इंदौर की यह घटना एक साफ़ संदेश देती है — यदि जनता की आवाज़ को समय पर न सुना जाए, तो असंतोष आक्रोश बन सकता है। शराब की दुकानें केवल व्यापार नहीं, यह सामाजिक जीवन को प्रभावित करने वाला मुद्दा बन चुकी हैं।
प्रशासन को अब ज़रूरत है कि वह जनता की मांगों पर गंभीरता से विचार करे, नहीं तो आने वाले समय में ऐसे आंदोलन और तीव्र रूप ले सकते हैं।
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