
पृष्ठभूमि: इंदौर–देवास हाईवे बना जाम का पर्याय
Best Indore News मध्यप्रदेश के दो प्रमुख शहरों – इंदौर और देवास – को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-52) बीते कुछ समय से भारी जाम और यातायात अव्यवस्था के लिए चर्चा में है। रोज़ाना हज़ारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन निर्माण कार्य, खराब प्लानिंग और सुस्त प्रबंधन के चलते ये सड़क एक यात्री-कष्ट मार्ग बनती जा रही है।
इंदौर इसी मुद्दे पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी, जिसमें NHAI (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) से जवाब मांगा गया। लेकिन जवाब देने गईं अधिवक्ता अनीता शर्मा का एक विवादित बयान सबके लिए चौंकाने वाला रहा।
हाईकोर्ट में उठे सवाल, अधिवक्ता के बयान से मचा विवाद
हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान जब NHAI की ओर से अधिवक्ता अनीता शर्मा पेश हुईं तो उन्होंने कहा:
“लोग बिना कारण के इतनी जल्दी क्यों निकलते हैं? ट्रैफिक जाम तो कभी भी हो सकता है। हर बार एनएचएआई को ही जिम्मेदार ठहराना सही नहीं।”
उनके इस बयान से कोर्ट रूम में न केवल असहमति की लहर दौड़ी, बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोग गुस्से में आ गए। नागरिकों ने कहा कि यह बयान आम जनता के संवेदनशील मुद्दे के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है।
NHAI ने अधिवक्ता को हटाया, नया वकील किया नियुक्त
बयान पर विवाद बढ़ने के बाद, NHAI ने तत्काल प्रभाव से अनीता शर्मा को केस से हटा दिया और एक नए वकील की नियुक्ति की पुष्टि की। प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा:
“हम आम जनता की भावनाओं का सम्मान करते हैं। हमारी मंशा कभी भी किसी की परेशानी को अनदेखा करना नहीं है। बयान दुर्भाग्यपूर्ण था, इसलिए हमने वकील बदलने का फैसला किया है।”
अब इस केस की अगली सुनवाई में एक नया अधिवक्ता पेश होगा, जो NHAI की ओर से हाईकोर्ट में पक्ष रखेगा।
इंदौर–देवास हाईवे की समस्या क्या है?
- निर्माणाधीन फ्लाईओवर और सड़क चौड़ीकरण
- ट्रैफिक डायवर्जन की खराब व्यवस्था
- बारिश के मौसम में कीचड़ और गड्ढे
- एनएचएआई और ठेकेदारों में समन्वय की कमी
इन कारणों से अक्सर हाईवे पर 5–7 किमी लंबा ट्रैफिक जाम लग जाता है, जिससे लोग घंटों फंसे रहते हैं।
जनता की पीड़ा
देवास निवासी राजीव तिवारी कहते हैं:
“ऑफिस के लिए हर दिन 8 बजे निकलता हूँ, फिर भी जाम में फंस कर 10:30 तक पहुंचता हूँ। NHAI को जवाबदेह बनाना जरूरी है।”
इंदौर की नेहा ठाकुर बताती हैं:
“मेरी बेटी की स्कूल बस भी जाम में फंसती है। बारिश के मौसम में हालात और बिगड़ जाते हैं। हमें लगता है सरकार सुन ही नहीं रही।”
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने भी इस मामले में NHAI को जिम्मेदार ठहराते हुए सख्त टिप्पणी की थी कि:
“जनता के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। सड़क निर्माण जनता के लिए हो रहा है, न कि जनता के विरोध में।”
कोर्ट ने NHAI से कहा है कि वह एक विस्तृत कार्य योजना पेश करे जिसमें बताए कि ट्रैफिक नियंत्रण और निर्माण कार्य एक साथ कैसे चलेंगे।
आगे की कार्रवाई
- कोर्ट ने 3 सप्ताह का समय दिया है
- NHAI को नई रिपोर्ट पेश करनी है
- नए अधिवक्ता से उम्मीद है कि वह तकनीकी और लॉजिस्टिक मुद्दों पर ठोस जवाब देंगे
- जनहित याचिका की अगली सुनवाई में कोर्ट हस्तक्षेप के संकेत भी दे सकता है
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दीं:
- “बिना काम के क्यों निकलते हैं? ये बयान तो संवेदनहीनता की हद है।”
- “जनता ही जिम्मेदार है, ये सोच रखने वाले अफसर और वकील सिस्टम का मज़ाक बना रहे हैं।”
- “हम टैक्स देकर हाईवे इस्तेमाल करते हैं, मुफ्त की सेवा नहीं ले रहे।”
इंदौर–देवास हाईवे का मामला अब सिर्फ जाम या असुविधा का नहीं रहा, यह जनता की गरिमा और शासन की जवाबदेही से जुड़ चुका है। NHAI का वकील बदलना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन असल बदलाव तभी होगा जब सड़कें समय पर बनें और यातायात की बेहतर व्यवस्था हो।
आशा है कि हाईकोर्ट की सख्ती, जन आक्रोश और मीडिया की सतर्कता से जिम्मेदार संस्थाएं अब निष्क्रिय नहीं रहेंगी और इंदौर–देवास के लाखों यात्रियों को राहत मिलेगी।
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