
Best Indore News: इंदौर नगर निगम (IMC) ने शहरवासियों के लिए संपत्ति कर (Property Tax) से जुड़ी एक अहम घोषणा की है, जिससे हजारों नागरिकों पर सीधा असर पड़ेगा। निगम ने रेट जोन (Rate Zone) की सीमा और संपत्ति कर स्लैब में व्यापक बदलाव करते हुए वार्षिक किराया मूल्य (Annual Rental Value) को भी संशोधित कर दिया है। इस बदलाव के कारण कई क्षेत्रों में लोगों का कर भार दो से तीन गुना तक बढ़ सकता है।
इस निर्णय को निगम प्रशासन ने राजस्व वृद्धि और शहर की स्मार्ट सिटी रैंकिंग में सुधार के लक्ष्य से जोड़ा है, लेकिन आम नागरिकों और व्यापारियों में इसे लेकर चिंता और आक्रोश दोनों ही दिखाई दे रहा है।
क्या है रेट जोन और क्यों हुआ बदलाव?
नगर निगम शहर को विभिन्न रेट जोन में बांटता है – जैसे कि प्राइम लोकेशन, कमर्शियल जोन, रेसिडेंशियल जोन आदि। इन जोनों के आधार पर संपत्ति कर की गणना होती है। अबकी बार निगम ने लगभग 60% इलाकों की श्रेणी में बदलाव कर उन्हें ऊंची श्रेणी में कर दिया है।
उदाहरण के लिए:
- जो क्षेत्र पहले ZONE-B में था, अब ZONE-A में चला गया।
- जोन अपग्रेड होने का मतलब है अधिक वार्षिक किराया मूल्य और उच्च कर स्लैब।
किराया मूल्य में हुआ इजाफा
निगम ने संपत्ति कर की गणना में उपयोग किए जाने वाले वार्षिक किराया मूल्य (ARV) को नए तरीके से निर्धारित किया है।
पुराना किराया मूल्य – ₹12 प्रति वर्गफुट (आवासीय)
नया किराया मूल्य – ₹30-40 प्रति वर्गफुट (क्षेत्र विशेष के अनुसार)
इसका असर यह होगा कि
जिनका पहले सालाना संपत्ति कर ₹3,000 था, अब उन्हें ₹7,000 से ₹10,000 तक देना पड़ सकता है।
कमर्शियल प्रॉपर्टी पर पड़ेगा सीधा असर
नया नियम खासकर दुकानदारों, ऑफिस बिल्डिंग्स और कमर्शियल हब्स पर ज्यादा असर डालेगा। रेसिडेंशियल जोनों में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन व्यापारिक संपत्तियों पर टैक्स भार तीन गुना तक बढ़ेगा।
- MG रोड, राजवाड़ा, पलासिया, विजय नगर, और C21 मॉल क्षेत्र जैसे जोन अब प्राइम टैक्स स्लैब में रखे गए हैं।
- छोटे दुकानदारों का कहना है कि इससे उनके मासिक खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
नगर निगम का तर्क: राजस्व सुधार और विकास जरूरी
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि:
“पिछले पांच वर्षों से संपत्ति कर में कोई वृद्धि नहीं की गई थी, जबकि शहर की आबादी, सेवाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर लागत लगातार बढ़ रही है। इस बदलाव से लगभग ₹200 करोड़ अतिरिक्त राजस्व मिलेगा जिससे नागरिक सुविधाएं बेहतर की जा सकेंगी।”
निगमायुक्त ने कहा कि ये राशि पेयजल, सफाई, सीवरेज और सड़क विकास में लगाई जाएगी।
नागरिकों का विरोध और असंतोष
इन बदलावों के खिलाफ आमजन में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कई इलाकों में RWA (Resident Welfare Association) ने विरोध जताया है।
अनामिका जैन (सुदामा नगर निवासी) कहती हैं:
“हम पहले ही महंगाई से परेशान हैं, अब टैक्स भी तीन गुना कर दिया गया। नगर निगम ने हमसे पूछे बिना फैसला क्यों लिया?”
इंदौर व्यापार महासंघ ने भी कहा है कि:
“यह फैसला छोटे व्यापारियों को खत्म कर देगा। हम इसे न्यायालय में चुनौती देंगे।”
संपत्ति कर की नई स्लैब दरें (उदाहरण)
जोन | प्रकार | पुराना टैक्स | नया टैक्स (संभावित) |
---|---|---|---|
ZONE-C | आवासीय | ₹2,500 | ₹5,000 |
ZONE-B | दुकान | ₹7,000 | ₹14,000 |
ZONE-A | ऑफिस | ₹10,000 | ₹28,000 |
नोट: वास्तविक दरें क्षेत्र और वर्गफुटेज पर आधारित होती हैं।
टैक्स पेमेंट की नई व्यवस्था
निगम ने यह भी घोषणा की है कि कर भुगतान के लिए ऑनलाइन पेमेंट पोर्टल को अपग्रेड किया गया है। इसके अंतर्गत:
- QR कोड से सीधे भुगतान
- मोबाइल पर रसीद
- अर्ली पेमेंट पर 5% की छूट
- विलंब शुल्क पर 1.5% प्रति माह जुर्माना
रियायत और सुझाव आमंत्रण का आश्वासन
हालांकि विरोध के बाद नगर निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि:
- वृद्ध नागरिकों, विकलांगों और Below Poverty Line (BPL) कार्डधारकों को विशेष छूट दी जा सकती है।
- 15 दिनों के भीतर नागरिक सुझावों और आपत्तियों पर विचार करने के लिए सार्वजनिक सुनवाई की जाएगी।
कर बोझ या विकास का आधार?
इंदौर में रेट जोन और किराया मूल्य में बदलाव नगर निगम की विकास-नीति का हिस्सा है। लेकिन जब तक इसकी सही तरीके से सामाजिक और आर्थिक वर्गों पर विवेचना नहीं होगी, तब तक यह निर्णय भारी विवाद का कारण बन सकता है।
आम नागरिकों और व्यापारियों की राय, राहत योजना और पारदर्शिता के साथ लागू की गई व्यवस्था ही इस फैसले को स्वीकार्य बना सकती है।
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