
घटना का स्थान: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
Best Indore News: इंदौर शहर में चल रहे निर्माण कार्यों और अनियंत्रित ट्रैफिक का असर अब विद्यार्थियों की शिक्षा पर भी पड़ने लगा है। मंगलवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) में हुई एक घटना ने न केवल इस समस्या को उजागर किया, बल्कि एक छात्रा के संघर्ष, इच्छाशक्ति और प्रशासन की संवेदनशीलता की मिसाल भी पेश की।
जाम में फंसी छात्रा, परीक्षा से चूकी
उज्जैन से इंदौर परीक्षा देने आ रही बीकॉम अंतिम वर्ष की एक छात्रा (नाम गोपनीय) शहर की सीमा पर ट्रैफिक जाम में बुरी तरह फंस गई। इंदौर शहर में चल रहे मेट्रो, रोड ब्रिज और ड्रेनेज लाइन के निर्माण कार्य के कारण कई इलाकों में घंटों लंबा ट्रैफिक जाम देखने को मिल रहा है। छात्रा को जिस परीक्षा केंद्र पर समय पर पहुँचना था, वहाँ पहुँचने में उसे करीब एक घंटे की देरी हो गई।
जब तक वह केंद्र पहुँची, उसकी परीक्षा शुरू हो चुकी थी और आधा घंटा बीत चुका था, जो विश्वविद्यालय की परीक्षा नीति के अनुसार परीक्षा में बैठने की सीमा से अधिक था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिखाई मानवीयता
लेकिन छात्रा के आँसुओं और उसकी ईमानदारी ने परीक्षा नियंत्रक और केंद्र अधीक्षक का मन बदल दिया। छात्रा ने स्पष्ट रूप से बताया कि वह उज्जैन से आ रही थी, और बीच रास्ते में लंबे ट्रैफिक जाम में फंसी रही। उसने अपने मोबाइल में जाम की तस्वीरें, ट्रैफिक लाइव अपडेट और कॉल रिकॉर्डिंग दिखाकर प्रमाणित किया कि वह झूठ नहीं बोल रही।
स्थिति को समझते हुए, केंद्र प्रभारी और विश्वविद्यालय प्रशासन ने विशेष अनुमति दी। छात्रा को परीक्षा देने की इजाजत तो दी गई, लेकिन उसके विषय का पेपर समाप्त हो चुका था।
बीए के छात्रों के साथ दी परीक्षा
विश्वविद्यालय प्रशासन ने विकल्प सुझाया कि अगर छात्रा परीक्षा देना चाहती है, तो वह बीए के छात्रों के साथ अलग कमरे में, उसी समय स्लॉट में, अपना पेपर दे सकती है।
यह एक असामान्य स्थिति थी, लेकिन छात्रा ने मौके को खोने के बजाय तुरंत हाँ कह दी और निर्धारित समय के अनुसार पूरी ईमानदारी से पेपर दिया।
छात्रा ने कहा – “मेरे भविष्य से बढ़कर कुछ नहीं”
परीक्षा के बाद जब पत्रकारों ने छात्रा से बात की तो उसकी आँखें नम थीं, पर चेहरा आत्मविश्वास से भरा था।
“मैं घर से समय पर निकली थी, लेकिन देवास-इंदौर बायपास के पास इतना भयानक जाम था कि गाड़ी चल ही नहीं पा रही थी। मैं परेशान थी कि कहीं साल भर की मेहनत बर्बाद न हो जाए। लेकिन विश्वविद्यालय ने मेरी बात मानी, इसके लिए मैं आभारी हूँ।”
उसने आगे कहा:
“पढ़ाई मेरी प्राथमिकता है। परिस्थिति कैसी भी हो, मुझे हार मानना पसंद नहीं।”
DAVV प्रशासन की पहल सराहनीय
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह साबित किया कि जब शिक्षा व्यवस्था में मानवीयता और लचीलापन होता है, तो छात्र-छात्राएँ अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. नवीन सक्सेना ने बताया:
“छात्रा की ईमानदारी और वास्तविक कारणों को देखकर हमने उसे अनुमति दी। हमारा उद्देश्य छात्रों का भविष्य संवारना है, न कि नियमों में जकड़ देना।”
इंदौर की ट्रैफिक व्यवस्था अब चुनौती बन चुकी है
यह घटना एक बार फिर इंदौर शहर की ट्रैफिक समस्या की गंभीरता को दर्शाती है। मेट्रो, ROB (रेलवे ओवरब्रिज), स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के चलते कई मार्गों पर गाड़ियाँ घंटों फँसी रहती हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि:
- परीक्षा के दिन यातायात रूट का विशेष प्रबंधन,
- विद्यार्थियों के लिए विशेष लेन,
- अथवा परीक्षा केंद्र के पास जगह-जगह दिशा संकेतक लगाए जाएँ,
तो इस प्रकार की समस्याएँ रोकी जा सकती हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई घटना
छात्रा की परीक्षा देने की यह कहानी अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। कई शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने DAVV प्रशासन की इस संवेदनशीलता की सराहना की है।
ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा:
“यही है नया भारत की शिक्षा – जहाँ नियम भी हैं और इंसानियत भी।”
पढ़ाई और perseverance की मिसाल
इस छात्रा की कहानी यह दिखाती है कि जब संकल्प दृढ़ हो, तो परिस्थितियाँ चाहे जैसी हों, इंसान अपनी राह बना ही लेता है।
चाहे ट्रैफिक जाम हो, समय की कमी या तनाव—जब मन में लक्ष्य हो, तो परीक्षा हॉल तक पहुँच ही जाते हैं।
इस खबर से तीन बातें स्पष्ट होती हैं:
- ट्रैफिक प्रबंधन की विफलता अब शिक्षा जैसी आवश्यक प्रणाली को प्रभावित करने लगी है।
- विश्वविद्यालयों को ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों के लिए लचीलापन और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है।
- और सबसे बड़ी बात—विद्यार्थियों में इच्छाशक्ति और संघर्ष की भावना हो, तो वे हर परीक्षा जीत सकते हैं।
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