
Best Indore News इंदौर में शहर के प्रमुख ट्रैफिक प्रोजेक्ट्स में से एक, Z शेप डिजाइन वाला ब्रिज इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में इस ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे मध्यप्रदेश के शहरी विकास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने साइट पर मौजूद अफसरों की खामियों पर नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को साफ शब्दों में कहा कि “जो जमीन मिली, उसमें ही बना दी प्लानिंग” जैसी सोच अब नहीं चलेगी।
यह ब्रिज शहर के ट्रैफिक प्रेशर को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है, लेकिन इसके डिजाइन और निर्माण में जिस तरह की जल्दबाजी और बिना दूरदृष्टि के प्लानिंग की गई है, उसने इस प्रोजेक्ट को सवालों के घेरे में ला दिया है।
क्या है मामला?
इंदौर नगर निगम और स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत बन रहे इस ब्रिज को लेकर शुरुआती दिनों से ही तकनीकी और जमीन से जुड़ी चुनौतियां रही हैं। ब्रिज का डिजाइन Z आकार का है, जो देखने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसकी उपयोगिता और ट्रैफिक फ्लो के लिहाज से यह डिजाइन कई सवाल खड़े करता है।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ब्रिज साइट का निरीक्षण करते हुए जब अफसरों से पूछा कि यह डिजाइन क्यों अपनाया गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि जितनी जमीन उपलब्ध थी, उसी के अनुसार यह डिजाइन तैयार किया गया। इस जवाब से मंत्री नाराज हो गए और उन्होंने कहा, “ऐसी तर्कहीन प्लानिंग स्वीकार्य नहीं है। अगर परियोजना की उपयोगिता ही प्रभावित हो, तो उसका सौंदर्य या सीमित स्थान का बहाना नहीं चलेगा।”
मंत्री का फोकस: स्मार्ट प्लानिंग और लॉन्ग टर्म उपयोगिता
कैलाश विजयवर्गीय हमेशा से ही शहर की प्लानिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर में लॉन्ग टर्म विजन को प्राथमिकता देते रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इंदौर जैसा तेजी से बढ़ता हुआ शहर अगर आज से 10 साल आगे की जरूरतों को ध्यान में रखकर काम नहीं करेगा, तो समस्याएं और बढ़ेंगी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट की प्लानिंग करते समय केवल “मौजूदा स्थिति” नहीं, बल्कि “भविष्य की जरूरतों” को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
अफसरों को चेतावनी
मंत्री विजयवर्गीय ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी भी प्रोजेक्ट में जल्दबाजी, बिना प्लानिंग और लोगों की सुविधाओं की अनदेखी हुई, तो सीधे कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इंदौर को स्मार्ट सिटी घोषित करने के बाद उसकी हर योजना में “स्मार्ट” और “प्रैक्टिकल” दोनों सोच झलकनी चाहिए।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों का कहना है कि ब्रिज की बनावट जटिल है और इससे ट्रैफिक का प्रवाह बाधित होगा। वहीं कुछ नागरिकों ने कहा कि मंत्री का यह हस्तक्षेप सराहनीय है, क्योंकि यह आम लोगों की समस्याओं को सीधे स्तर पर हल करने का प्रयास है।
आगे क्या होगा?
मंत्री ने इंजीनियरों और टाउन प्लानिंग अफसरों को यह निर्देश दिए हैं कि वे ब्रिज की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करें और अगर आवश्यक हो तो उसमें सुधार की योजना बनाई जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में बनने वाली संरचनाओं में स्थान की कमी के कारण समझौता न हो।
इंदौर में चल रहे विकास कार्यों में गुणवत्ता और दीर्घकालीन उपयोगिता सबसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं। Z डिजाइन वाला यह ब्रिज एक चेतावनी है कि सौंदर्य और स्पेस की सीमाओं को देखते हुए बनाई गई त्वरित योजनाएं अक्सर जनता को लंबे समय तक परेशान कर सकती हैं।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का यह कदम एक सकारात्मक संदेश देता है कि शासन केवल उद्घाटन और निर्माण की गति नहीं, बल्कि योजनाओं की उपयोगिता और प्रभावशीलता पर भी ध्यान दे रहा है।
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