
Best Indore News इंदौर का खजराना गणेश मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है और यहां गणेश भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। इसी आस्था को और भव्य स्वरूप देने के लिए अब खजराना गणेश जी के लिए एक नया चांदी का मुकुट तैयार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार यह मुकुट एक सप्ताह के भीतर बनकर तैयार हो जाएगा। यह मुकुट पूरी तरह से शुद्ध चांदी से निर्मित किया जा रहा है और इसे मंदिर के गर्भगृह में विराजे भगवान गणेश को अर्पित किया जाएगा।
चांदी की हो रही मरम्मत:
मंदिर प्रशासन ने बताया कि न केवल नया मुकुट तैयार किया जा रहा है बल्कि गर्भगृह में पहले से लगी चांदी की सजावट और परत की भी मरम्मत का कार्य चल रहा है। गर्भगृह की चांदी की परतें समय के साथ कुछ स्थानों पर खराब हो गई थीं, जिन्हें फिर से मजबूत और चमकदार बनाया जा रहा है। यह काम मंदिर की गरिमा और भव्यता को बनाए रखने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
विशेष कारीगर कर रहे निर्माण:
मुकुट और चांदी की मरम्मत का काम पारंपरिक कारीगरों द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें इस प्रकार की धार्मिक कलाकृति बनाने में विशेष दक्षता है। यह कारीगर न केवल धार्मिक परंपरा का सम्मान करते हैं, बल्कि भगवान की मूर्ति को एक दिव्य और आकर्षक स्वरूप प्रदान करने का भी ध्यान रखते हैं।
भक्तों में उत्साह:
खजराना गणेश जी के नए मुकुट की खबर सुनते ही श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर में आने वाले भक्त अब इस नए मुकुट की झलक पाने के लिए और भी अधिक उत्साहित हो गए हैं। यह मुकुट गणेश चतुर्थी या किसी विशेष पर्व पर भगवान को पहनाया जा सकता है।
मंदिर समिति की पहल:
मंदिर समिति ने यह पहल मंदिर की भव्यता को बनाए रखने और श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए की है। चांदी के मुकुट और गर्भगृह की चांदी की परतें मंदिर को और भी दिव्यता प्रदान करती हैं। इससे पहले भी मंदिर में कई बार भक्तों द्वारा स्वर्ण और रजत अर्पण किए जा चुके हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
खजराना गणेश मंदिर का धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व है। यह मंदिर होलकर राजवंश की रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनवाया गया था और तब से यहां गणेश जी की विशेष पूजा होती है। भक्त मानते हैं कि यहां की जाने वाली मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।
खजराना गणेश मंदिर के इस नवीन चांदी के मुकुट से भक्तों की आस्था और भी मजबूत होगी। मंदिर प्रशासन और कारीगरों का यह कार्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की दिशा में एक सराहनीय पहल भी है। भक्तों को गणेश जी के इस नव स्वरूप के दर्शन की प्रतीक्षा है, जो एक सप्ताह के भीतर पूरी होने वाली है।
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