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इंदौर का छत्रीबाग – होलकर राजवंश की भव्य धरोहर और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम

इंदौर का छत्रीबाग: जहां इतिहास, कला और संस्कृति एक साथ जीवंत होती है

जब पेशवाओं ने मालवा की बागडोर होलकर वंश को सौंपी, तब मल्हार राव होलकर ने प्रथम सूबेदार के रूप में इस भूमि पर शासन की नींव रखी। प्रारंभ में उन्होंने कंपेल गांव को चुना, किंतु शीघ्र ही इंदौर में आकर सत्ता को विस्तार दिया। यद्यपि स्वतंत्रता के बाद राजे-रजवाड़ों और रियासतों का युग समाप्त हो गया, फिर भी उन गौरवशाली दिनों की छाप आज भी इंदौर की हवाओं में महसूस की जा सकती है।

इन्हीं ऐतिहासिक यादों का सुंदर प्रतिबिंब छत्रीबाग परिसर में देखा जा सकता है, जहां एक किलेनुमा परकोटे के बीच, होलकर परिवार के राजाओं और रानियों की छत्रियां आज भी गर्व से खड़ी हैं।

जीर्णोद्धार के बाद बदली तस्वीर: बदहाली से खुशहाली तक का सफर

स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत लगभग 4.3 करोड़ रुपये की लागत से छत्रीबाग का कायाकल्प किया गया है। पहले जहां वीरानी और उपेक्षा का आलम था, अब वहीं सुव्यवस्थित उद्यान, सुंदर पाथवे और आधुनिक लाइटिंग ने इस ऐतिहासिक स्थल को नई पहचान दी है।

अब यह परिसर खासगी ट्रस्ट के संरक्षण में है और पर्यटक सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक यहां भ्रमण कर सकते हैं।

होलकर राजवंश की छत्रियां: हर कृति में है इतिहास की आत्मा

इस परिसर में आठ प्रमुख छत्रियों के अतिरिक्त अन्य सदस्य जैसे गौतमाबाई, खांडेराव, तुकोजीराव द्वितीय, स्नेहलता राजे आदि की छत्रियां भी स्थापित हैं। सबसे पहली छत्री मल्हार राव होलकर की थी, जिसका निर्माण 1780 में देवी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था।

इन छत्रियों की विशिष्टता यह है कि हर एक छत्री की शिल्पकला, नक्काशी और स्थापत्य शैली भिन्न है। मल्हार राव व मालेराव की छत्रियां राजपूत छत्री परंपरा में बनी हैं, जिनमें ऊँची जगती और अष्टकोणीय गर्भगृह हैं।

स्थापत्य कला का अद्भुत समागम: राजपूत और मराठा शैली की झलक

यहां की छत्रियां राजपूत और मराठा स्थापत्य का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करती हैं। मल्हार राव की छत्री विशेष रूप से आकर्षक है, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्तियां, बेलबूटे, सूर्य और यम जैसी आकृतियां बनी हुई हैं।

गौतमाबाई की छत्री में स्थापित पार्वती जी की मूर्ति विशेष ध्यान आकर्षित करती है, जिसमें वे शिवजी का अभिषेक करती प्रतीत होती हैं। वहीं खांडेराव की छत्री में अहिल्याबाई समेत अन्य रानियों की मूर्तियां स्थापित हैं।

आधुनिक रोशनी और सुविधाएं: अब शूटिंग और इवेंट्स की भी है अनुमति

हाल ही में परिसर में सुंदर विद्युत सज्जा की गई है, जिससे रात के समय भी छत्रियों की भव्यता निखरकर सामने आती है। अब यह स्थल न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए बल्कि फोटोग्राफरों, शूटिंग और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है।

हालांकि, शूटिंग व इवेंट्स के लिए पूर्व अनुमति और शुल्क आवश्यक है। इसके साथ ही यहां एक खूबसूरत बगीचा भी विकसित किया जा रहा है।

छत्रीबाग कैसे पहुंचें: Indore में यात्रा की पूरी जानकारी

रेलमार्ग से:
छत्रीबाग, इंदौर जंक्शन से लगभग 2.8 किलोमीटर और सैफी नगर स्टेशन से मात्र 2.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आसानी से ऑटो या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।

बस मार्ग से:
GDC, Old GDC, कर्बला, कलेक्टोरेट और मालगंज बस स्टॉप्स इसके निकटवर्ती बस स्टॉप हैं।

हवाई मार्ग से:
देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट से यह स्थल केवल 9 किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई अड्डे से कैब की सुविधा सरलता से उपलब्ध है।

छत्रीबाग खुलने का समय:

प्रवेश समय: सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक
फोटोग्राफी और शूटिंग: निर्धारित शुल्क व अनुमति के बाद

छत्रीबाग – अतीत की महिमा और वर्तमान की प्रेरणा

छत्रीबाग न केवल इंदौर की ऐतिहासिक विरासत है, बल्कि यह स्थापत्य कला, संस्कृति और राजवंश की भव्यता का प्रतीक भी है। दिन में इसकी भव्यता तो रात में रोशनी से नहाए छत्रियों की सुंदरता देखने योग्य है।

यदि आप इंदौर के राजघराने के इतिहास को करीब से जानना चाहते हैं, स्थापत्य प्रेमी हैं या बस कुछ शांत और सुंदर देखना चाहते हैं – तो छत्रीबाग आपके लिए एक आदर्श स्थल है।

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