Top 1 Astrologer in Indore

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी: तांत्रिक साधनाओं और देवी उपासना का अद्भुत संगम

भारतवर्ष में देवी दुर्गा की उपासना के अनेक रूप हैं। उनमें से एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली पर्व है – गुप्त नवरात्रि। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है: आषाढ़ और माघ मास में। विशेषकर आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि, जिसे महानवमी भी कहा जाता है, देवी आराधना और तांत्रिक साधनाओं के दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और सिद्धिदायक मानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि क्या है?

गुप्त नवरात्रि का तात्पर्य है – गुप्त रूप से देवी की उपासना। यह पर्व आम नवरात्रि की तरह सार्वजनिक नहीं होता, बल्कि तांत्रिक, साधक और विशेष श्रद्धालु इसे एकांत में मनाते हैं। इस नवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण तिथि होती है नवमी, जब देवी के सभी नौ रूपों और दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।

नवमी तिथि का विशेष महत्व

देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा

गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करना विशेष फलदायक माना जाता है। इन नौ रूपों में शक्ति के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन होता है। शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो नवदुर्गा की प्रथम रूप हैं और स्थिरता का प्रतीक हैं। ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का आदर्श रूप हैं। चंद्रघंटा शांति और साहस प्रदान करती हैं, जबकि कूष्मांडा ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी मानी जाती हैं। स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं और मातृत्व का प्रतीक हैं। कात्यायनी राक्षसों का नाश करने वाली वीरता की देवी हैं। कालरात्रि बुराइयों का अंत कर भय को दूर करती हैं। महागौरी, शुद्धता और करुणा का स्वरूप हैं, तो वहीं सिद्धिदात्री, साधकों को सिद्धि और ज्ञान प्रदान करती हैं। नवमी को इन सभी रूपों की पूजा करके साधक जीवन की सभी बाधाओं को पार करने की शक्ति प्राप्त करता है।

इन रूपों की पूजा करके साधक शक्ति, स्वास्थ्य, वैभव, और सफलता प्राप्त करते हैं।

तांत्रिक साधना और दस महाविद्याएं

गुप्त नवरात्रि मुख्यतः तांत्रिक साधकों के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी समय होता है, जिसमें नवमी तिथि को विशेष रूप से दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं शक्ति के दस महान और उग्र स्वरूपों को दर्शाती हैं। इनमें काली विनाश और मोक्ष की देवी हैं, तारा जीवनदायिनी और ज्ञान की प्रतीक हैं, जबकि त्रिपुर सुंदरी सौंदर्य, प्रेम और भोग की देवी मानी जाती हैं। भुवनेश्वरी ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री हैं, और भैरवी तांत्रिक जागरण का उग्र रूप हैं। छिन्नमस्ता आत्मबलिदान और ऊर्जा के नियंत्रण की देवी हैं, वहीं धूमावती त्याग और वैराग्य का रूप हैं। बगलामुखी शत्रुओं को स्तंभित करने वाली हैं, मातंगी विद्या और कला की देवी हैं, और कमला लक्ष्मी स्वरूप में समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। इन दस महाविद्याओं की साधना से साधक को गुप्त ज्ञान, मानसिक बल, तांत्रिक सिद्धियां और आत्मिक जागृति प्राप्त होती है।

मनोकामनाओं की पूर्ति

गुप्त नवरात्रि की नवमी को देवी के समक्ष अपनी गुप्त इच्छाओं और विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवी को गुप्त रूप से की गई पूजा विशेष फल देती है।

हवन और कन्या पूजन

नवमी तिथि को हवन करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है। 9 कन्याओं को भोजन कराकर, उनका सम्मान कर देवी रूप मानकर पूजा करना, नवमी के पुण्य को और भी महान बना देता है।

गुप्त नवरात्रि नवमी के दिन क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • देवी दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • दस महाविद्याओं की तांत्रिक विधियों से आराधना करें।
  • अपने गुरु या मार्गदर्शक की सलाह से साधना करें।
  • हवन, मंत्र जाप और कन्या पूजन करें।
  • सात्विक भोजन करें और उपवास रखें।
  • गुप्त रूप से पूजन करें, किसी को बताने से बचें।

क्या न करें:

  • मांसाहार, मदिरा, या किसी भी प्रकार के तामसिक आचरण से बचें।
  • क्रोध, अपशब्द और वासना से दूर रहें।
  • दिन में नींद लेना, अशुद्ध वस्त्र पहनना और चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग न करें।

गुप्त नवरात्रि और क्षेत्रीय महत्व

गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से उत्तरी भारत के राज्यों में प्रसिद्ध है, जैसे कि:

  • पंजाब,
  • हिमाचल प्रदेश,
  • उत्तराखंड,
  • हरियाणा

इसके अतिरिक्त, असम के कामाख्या मंदिर जैसे शक्तिपीठों पर यह पर्व अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली रूप में मनाया जाता है।

विशेष फल और लाभ

  • गुप्त नवरात्रि में की गई पूजा का फल सार्वजनिक नवरात्रि से कई गुना अधिक माना गया है।
  • साधकों को विशेष सिद्धियां, आयुष्मानता, मानसिक बल, और दुश्मनों पर विजय मिलती है।
  • व्यापार, विवाह, संतान, नौकरी आदि से जुड़ी गुप्त समस्याएं दूर होती हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी तिथि है। यह दिन न केवल देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का है, बल्कि तांत्रिक साधना, शक्ति प्राप्ति, और मनोकामनाओं की पूर्ति का भी अत्यंत शुभ अवसर है। यदि इस दिन विधिपूर्वक और श्रद्धा से पूजा की जाए तो साधक अपने जीवन की अनेक बाधाओं को पार कर सकता है।

इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

Facebook-logo-sign-blue-removebg-preview

100, 200

Fans

9

Subscribers

  • Latest News