
आज का पंचांग – शनिवार, 21 जून 2025 आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि, दिन का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
आज का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह योगिनी एकादशी का पावन पर्व है, जो पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। साथ ही, शनिवार का दिन शनि देव की उपासना और न्यायिक ऊर्जा को संतुलित करने के लिए उत्तम होता है।
पंचांग विवरण :
तिथि और पक्ष
- कृष्ण पक्ष दशमी: सुबह 07:19 AM तक
- एकादशी (योगिनी एकादशी): 07:19 AM से शुरू होकर 22 जून 04:27 AM तक
- द्वादशी: 22 जून 04:27 AM से 23 जून 01:22 AM तक
आज दिनभर एकादशी व्रत करने वालों के लिए उपवास, कथा और भगवान विष्णु की आराधना से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
नक्षत्र और योग
- अश्विनी नक्षत्र: रात 07:50 PM तक
- उसके बाद: भरणी नक्षत्र
- अतिगण्ड योग: रात 08:29 PM तक
- फिर आरंभ: सुकर्मा योग
अश्विनी नक्षत्र के दौरान किए गए कार्यों में आरंभिक ऊर्जा और नवचेतना देखने को मिलती है, जबकि सुकर्मा योग जीवन में शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है।
करण
- विष्टि: सुबह 07:19 AM तक
- बव: शाम 05:55 PM तक
- बालव: 22 जून 04:28 AM तक
- फिर: कौलव करण प्रारंभ
सूर्य और चंद्रमा
- सूर्य राशि: मिथुन
- चंद्र राशि: मेष (पूरा दिन)
- सूर्योदय: 5:46 AM
- सूर्यास्त: 7:11 PM
- चंद्रोदय: 1:42 AM (21 जून)
- चंद्रास्त: 3:00 PM
मेष राशि का चंद्रमा आज ऊर्जा, उत्साह और साहस का प्रतीक बनकर हमारे मन को प्रेरित करता है।
अशुभ मुहूर्त
- राहुकाल: 09:07 AM – 10:48 AM
- यमगण्ड: 02:09 PM – 03:49 PM
- कुलिक: 05:46 AM – 07:26 AM
- दुर्मुहूर्त: 07:33 AM – 08:27 AM
- वर्ज्यम्: 04:09 PM – 05:37 PM और 04:33 AM – 06:00 AM
इन समयों में कोई भी नया कार्य आरंभ करना वर्जित माना गया है।
शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: 12:01 PM – 12:55 PM
- अमृत काल: 01:43 PM – 03:11 PM
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:10 AM – 04:58 AM
अभिजीत मुहूर्त विशेष रूप से कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, निर्णय या योजना प्रारंभ करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
व्रत और पर्व
- योगिनी एकादशी व्रत
यह एकादशी विशेष रूप से स्वास्थ्य, पाप-क्षय और मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम मानी जाती है। व्रती को चतुर्मास में शुभ आरंभ और अगले चार महीनों की आध्यात्मिक नींव इस दिन से प्राप्त होती है।
विशेष योग
- सर्वार्थ सिद्धि योग
20 जून रात 09:45 PM से 21 जून सुबह 05:46 AM तक (अश्विनी नक्षत्र + शुक्रवार)
यह योग सभी कार्यों में सफलता प्राप्ति हेतु अति शुभ माना गया है।
ऋतु, संवत्सर और मास विवरण
- वैदिक ऋतु: ग्रीष्म
- संवत्सर: विक्रम संवत 2082 (कालयुक्त), शक संवत 1947 (विश्वावसु)
- मास: आषाढ़ (पूर्णिमांत), ज्येष्ठ (अमांत)
ग्रीष्म ऋतु का यह अंतिम चरण आत्मविश्लेषण और ध्यान के लिए उत्तम है।
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