
वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। विशेष बात यह है कि जब यह तिथि मंगलवार को आती है, तब इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के साथ-साथ जीवन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
आज का पंचांग – 08 जुलाई 2025 (मंगलवार)
- तिथि: शुक्ल त्रयोदशी
- दिन: मंगलवार
- मास (पूर्णिमांत): आषाढ़
- संवत्सर: 2082
- त्रयोदशी समाप्ति: 09 जुलाई की रात 12:38 बजे
- योग: शुक्ल (रात्रि 10:17 बजे तक)
- करण: कौलव (प्रातः 11:57 बजे तक), तैतिला (09 जुलाई को प्रातः 12:38 बजे तक)
- सूर्योदय: प्रातः 05:30 बजे
- सूर्यास्त: सायं 07:23 बजे
- चंद्रोदय: सायं 05:33 बजे
- चंद्रास्त: 09 जुलाई को रात 03:39 बजे
- सूर्य राशि: मिथुन
- चंद्र राशि: वृश्चिक
- पक्ष: शुक्ल
शुभ समय की जानकारी
- अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:58 से दोपहर 12:54 तक
- अमृत काल: सायं 05:42 से 07:26 तक
अशुभ समय
- गुलिक काल: दोपहर 12:26 से 02:10 तक
- यमगंड: प्रातः 08:58 से 10:42 तक
- राहुकाल: दोपहर 03:54 से सायं 05:38 तक
आज का नक्षत्र: अनुराधा नक्षत्र (प्रातः 01:11 बजे तक)
यह नक्षत्र व्यक्ति को समाज में सम्मानित, आत्मविश्वासी, बुद्धिमान, साहसी और विपरीत लिंग की ओर आकर्षित बनाता है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि हैं और इसकी राशि स्वामी मंगल हैं। देवता मित्रता के देव माने गए हैं, जिससे संबंधों में मजबूती आती है।
भौम प्रदोष व्रत 2025 – विशेष महत्व
भौम प्रदोष व्रत उस त्रयोदशी तिथि को कहा जाता है जो मंगलवार को आती है। जब यह शुक्ल पक्ष में होता है, तब यह और भी फलदायी माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार मंगलवार मंगल ग्रह का दिन होता है, जो साहस, शत्रु बाधा, ऋण और दुर्घटनाओं का कारक है। अतः इस दिन किया गया व्रत इन सभी समस्याओं से राहत दिलाने में प्रभावशाली होता है।
🕉 त्रयोदशी तिथि अवधि
- प्रारंभ: 07 जुलाई को रात्रि 11:10 बजे से
- समाप्त: 09 जुलाई को रात्रि 12:38 बजे तक
पूजा विधि – ऐसे करें भगवान शिव की उपासना
प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर व्रत का संकल्प लें।
शाम के समय सूर्यास्त से पहले प्रदोष काल में भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें – जिसमें जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल शामिल हो।
बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।
धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस व्रत से साधक को शत्रुओं से मुक्ति, रोगों से राहत और कर्ज से छुटकारा मिलता है। इसके अतिरिक्त यह व्रत व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार करता है।
इस प्रकार, आज का दिन भगवान शिव की भक्ति और कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ है। यदि आप जीवन में बाधाओं, ऋण या स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान हैं, तो भौम प्रदोष व्रत आपके लिए अत्यधिक फलदायक सिद्ध हो सकता है। नियमित रूप से भगवान शिव का पूजन और व्रत आपको मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
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