
Best Indore News: झाबुआ के आदिवासी इलाकों में कुपोषण और पोषण की कमी लंबे समय से चिंता का विषय रही है। हाल ही में भास्कर टीम की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि झारनी, थैथम और भीमपुरी जैसे गांवों में जिंक की गंभीर कमी से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं बढ़ रही हैं। स्थिति इतनी खराब है कि 100 में से 36 लोग औसत ऊंचाई तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं बच्चों में गंजापन जैसी समस्या भी आम होती जा रही है।
क्या है जिंक की कमी का असर?
जिंक एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो शरीर की वृद्धि, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बालों की सेहत के लिए जरूरी है। जिंक की कमी से बच्चों की वृद्धि रुक जाती है और उनकी ऊंचाई औसत से कम रह जाती है।
प्रमुख लक्षण:
- बाल झड़ना और गंजापन
- भूख कम लगना
- बार-बार संक्रमण होना
- मानसिक और शारीरिक विकास में देरी
ग्राउंड रिपोर्ट की मुख्य बातें
- झाबुआ के झारनी, थैथम और भीमपुरी गांवों में जिंक की कमी बेहद गंभीर है।
- 100 में से 36 लोग औसत ऊंचाई तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
- कई बच्चों में समय से पहले गंजापन देखा जा रहा है।
- गांवों में पोषण संबंधी जागरूकता बेहद कम है।
जिंक की कमी के कारण
इन इलाकों में जिंक की कमी के पीछे कई कारण हैं:
- पोषक आहार की कमी: आदिवासी क्षेत्रों में भोजन मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट आधारित होता है।
- हरी सब्जियों और प्रोटीन की कमी: नियमित भोजन में दालें, हरी सब्जियां और जिंक युक्त खाद्य पदार्थ नहीं होते।
- गरीबी और संसाधनों की कमी: आर्थिक स्थिति कमजोर होने से लोग संतुलित आहार नहीं ले पाते।
स्वास्थ्य पर गहरा असर
इन क्षेत्रों में जिंक की कमी से बच्चों में वृद्धि रुक रही है। कई किशोर सामान्य ऊंचाई से 10-12 सेंटीमीटर छोटे रह जाते हैं। बाल झड़ने की समस्या इतनी आम हो गई है कि कई छोटे बच्चे गंजे दिखाई देते हैं।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी
पोषण सुधारने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण आहार, लेकिन इन योजनाओं का लाभ सीमित रूप से मिल रहा है।
जरूरी कदम:
- जिंक युक्त पूरक आहार (Zinc Supplements) की आपूर्ति
- आंगनवाड़ी और स्कूलों में पोषण जागरूकता अभियान
- जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का वितरण
स्थानीय लोगों की राय
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस समस्या से अनजान हैं। उनके अनुसार, बच्चों के बाल झड़ने को वे सामान्य मानते हैं, जबकि यह गंभीर पोषण की कमी का संकेत है।
समाधान के लिए क्या करना होगा?
- जिंक युक्त आहार:
- साबुत अनाज, दालें, बीन्स, मांस, अंडे, समुद्री भोजन
- जागरूकता अभियान:
- स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गांव-गांव जागरूकता फैलाना
- सरकारी सहयोग:
- जिंक की गोलियां और पोषक आहार उपलब्ध कराना
झाबुआ के आदिवासी क्षेत्रों में जिंक की कमी सिर्फ एक पोषण समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है। बच्चों की वृद्धि रुकना और बालों का झड़ना उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है। अब जरूरत है कि सरकार, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संस्थाएं मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।
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