
Best Indore News सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जब लाखों श्रद्धालु देशभर के शिवधामों की ओर कावड़ लेकर निकलते हैं। मध्यप्रदेश के प्रमुख ज्योतिर्लिंग श्री ओंकारेश्वर महादेव तक पहुँचने वाला मार्ग हर साल इस समय भारी भीड़ का साक्षी बनता है। लेकिन इस बार श्रद्धा की डगर दुश्वार हो गई है, क्योंकि ओंकारेश्वर मार्ग की हालत जर्जर, अव्यवस्थित और खतरनाक बनी हुई है।
कावड़ यात्रा की राह में गड्ढे, कीचड़ और ट्रैफिक
श्रद्धालु कावड़ लेकर पैदल चल रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो पीने का पानी मिल रहा है, न विश्राम स्थल, और न ही प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं, गड्ढों में पानी भरा हुआ है, और कई स्थानों पर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।
इंदौर से ओंकारेश्वर तक के मार्ग में सबसे अधिक दिक्कतें सिमरोल, मंदलेश्वर और कसरावद क्षेत्र में सामने आ रही हैं। श्रद्धालुओं ने बताया कि:
“सड़क के दोनों ओर न तो बैरिकेड्स हैं और न ही पैदल यात्रियों के लिए अलग लेन। बड़ी गाड़ियों से टकराने का डर हर पल बना रहता है।”
कावड़ियों की बढ़ती संख्या, घटती सुविधाएं
हर साल की तरह इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु:
- पैदल यात्रा कर रहे हैं
- नर्मदा से जल भरकर ओंकारेश्वर मंदिर में जलाभिषेक करने जाते हैं
- कई लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता या बच्चों के साथ चल रहे हैं
लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक:
- ठंडे पानी की टंकी नहीं लगाई गई
- चलती मेडिकल वैन की व्यवस्था नहीं
- कई स्थलों पर रात्रि विश्राम के लिए टेंट या छांव की सुविधा भी नहीं है
बिना सुरक्षा के यात्रा: हादसों का खतरा
जैसे-जैसे कावड़ यात्रा का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे हादसों का खतरा भी बढ़ रहा है।
- जगह-जगह पर रोड पर फिसलन और कीचड़ है
- कई श्रद्धालु फिसलकर गिर चुके हैं
- रात के समय प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने से दुर्घटनाओं की संभावना और बढ़ जाती है
कुछ स्थानों पर ग्रामीणों ने खुद आगे आकर श्रद्धालुओं की मदद के लिए पेयजल स्टॉल, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और विश्राम स्थल बनाए हैं, लेकिन प्रशासन का सहयोग लगभग न के बराबर है।
स्थानीय लोगों और ग्रामीणों का आक्रोश
मार्ग से जुड़े गांवों के लोगों ने भी नाराजगी जताई है। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा:
“हर साल सावन में यही हाल होता है। श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती है, लेकिन सड़क की मरम्मत, सफाई या मेडिकल सुविधा नहीं मिलती।”
ग्राउंड रियलिटी: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें
कई सोशल मीडिया यूज़र्स और स्थानीय पत्रकारों ने तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं, जिनमें:
- गड्ढों में गिरते कावड़िए
- टूटी सड़क पर कीचड़ में फंसी एंबुलेंस
- ट्रक के पीछे चल रहे पैदल यात्री
ये दृश्य न केवल सरकार की लापरवाही को उजागर करते हैं, बल्कि श्रद्धा की डगर को संघर्ष में बदलते दिखाते हैं।
मेडिकल सहायता की भारी कमी
सावन जैसे पर्व में जब कई बुजुर्ग और बीमार श्रद्धालु भी यात्रा करते हैं, चलती स्वास्थ्य सेवा (mobile health van) का होना अत्यंत आवश्यक होता है। लेकिन:
- कहीं कोई प्राथमिक स्वास्थ्य शिविर नहीं है
- हादसे के समय उपचार उपलब्ध नहीं
- एम्बुलेंस दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती
प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही?
अधिकारियों का कहना है कि:
“व्यवस्थाएं की जा रही हैं, परंतु भारी बारिश के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। जल्दी ही सुधार कार्य प्रारंभ होगा।”
हालांकि कावड़ियों का कहना है कि यह बहाना हर साल दोहराया जाता है, लेकिन व्यवस्थाओं में कभी सुधार नहीं होता।
क्या होनी चाहिए कार्रवाई?
- सावन से पहले मार्ग का सर्वे और मरम्मत अनिवार्य की जाए
- श्रद्धालुओं के लिए अस्थाई स्वास्थ्य केंद्र और पानी की सुविधा हर 5 किमी पर सुनिश्चित हो
- ट्रैफिक मैनेजमेंट और पैदल यात्रा के लिए विशेष लेन बनाई जाए
- स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवकों को पूर्व से प्रशिक्षित किया जाए
सावन के इस पुण्य मास में ओंकारेश्वर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल तक पहुंचना आस्था की डगर नहीं, बल्कि सहनशीलता की परीक्षा बन गया है। जब लाखों श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर यात्रा कर रहे हैं, तब व्यवस्था का अभाव उनकी कठिनाइयों को बढ़ा रहा है।
इस बार नहीं, तो कब? श्रद्धा की राह को सुगम बनाने का सही समय अब है।
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