
क्या है ट्रॉली ट्रायल और क्यों ज़रूरी है?
Best Indore News: इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रायरिटी कोरिडोर पर दूसरे चरण का ट्रॉली ट्रायल शुक्रवार सुबह आयोजित किया गया। इसमें स्टेशन SC‑3 (Super Corridor Station‑3) से लेकर रेडिएशन चौराहा (Radiation Chouraha) तक का मार्ग तय किया गया, जो लगभग 11 किमी लम्बा है। यह ट्रायल उन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है जो सिस्टम की तैयारियों, ट्रैक की सुरक्षितता, और इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती को जांचने में बेहद उपयोगी है। यह यात्रा सुबह 9 बजे मालवीय नगर चौराहा से शुरू हुई और SC‑01 तक का मार्ग तय करते हुए पूरी हुई
पहले ट्रायल का सारांश
इंदौर पहले ट्रॉली ट्रायल में भी यह मार्ग शामिल था, जब एस. कृष्ण चैतन्य (MD, MPMRCL) ने रेलवे ट्रैक, प्लेटफॉर्म संरचनाएँ, लिफ्ट-एस्केलेटर, सिस्टम रूम आदि का निरीक्षण किया। उस समय भी पूरी प्रक्रिया सुबह से दोपहर तक चली थी
निरीक्षण टीम ने क्या-क्या देखा?
ट्रॉली ट्रायल के दौरान निरीक्षण में निम्न पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया:
- सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर: प्लेटफार्म, शेड, प्रवेश-निकास मार्ग, फिनिशिंग वर्क
- सिस्टम एलिमेंट्स: सिग्नलिंग, ओवरहेड टाइट्रेक्शन, संचार व्यवस्था
- सुरक्षा उपाय: कंट्रोल रूम, विद्युत आपूर्ति, सिस्टम रूम, टिकेटिंग काउंटर, आदि
विशेष रूप से, हर स्टॉपेज पर अंतिम व्यवस्थाओं की जांच और निर्देश दिए गए ताकि नियमित परिचालन की तैयारी पूरी हो सके। अधिकारियों ने सभी ठेकेदारों को समानांतर समन्वय में कार्य करने और निर्धारित समय सीमा (जुलाई अंत तक सिविल कार्य, सितंबर तक सिस्टम कार्य और अक्टूबर में सेवा शुरू) का निर्देश दिया ।
समयरेखा और आगे की रणनीति
- जुलाई अंत से पहले सिविल संरचनाएँ पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
- सितंबर तक ट्रैक, सिस्टम और र signalling आदि कार्यों के परीक्षण और इंटीग्रेशन पर फोकस है।
- अक्टूबर 2025 तक वाराणसी मार्ग पर व्यावसायिक संचालन (गांधी नगर से रेडिसन स्क्वायर तक) शुरू करना प्राथमिकता है ।
गांधी नगर से रेडिसन (मालवीय नगर) स्टेशनों तक विस्तार के दुसरे चरण (Phase‑2) की गति भी बढ़ रही है, जहाँ 70 % काम पूरा हो चुका है। स्थलीय निरीक्षण में इसके फिनिशिंग टच और इंटीग्रेशन भी शामिल रहे ।
क्यों दो बार ट्रायल ज़रूरी है?
- ट्रैक स्थिरता का परीक्षण: बार-बार डब्बे चलाकर माइक्रो उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं।
- सिस्टम चेक: सिग्नल, ब्रेकिंग सिस्टम, संचार, विद्युत आपूर्ति सहित सभी सिस्टम्स एक साथ टेस्ट होते हैं।
- समन्वय प्रक्रिया सुनिश्चित: सिविल, सिस्टम, ट्रैक कार्यों में क्रॉस समन्वय के लिए दो या तीन ट्रायल जरूरी माने जाते हैं।
- CMRS निरीक्षण के पहले: अंतिम CMRS निरीक्षण से पहले ट्रायल से तैयारी सुनिश्चित होती है ।
अधिकारी क्या कह रहे हैं?
एमडी एस. कृष्ण चैतन्य ने कहा:
“हम निर्धारित समय के अनुसार कार्य कर रहे हैं। जुलाई में सिविल कार्य पूरा कर, सिस्टम स्टार्ट करेंगे और अक्टूबर में जनता को मेट्रो सेवा उपलब्ध करने का लक्ष्य है।”
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है:
“10 सुबह से 11 किमी का ट्रायल हुआ—इस दौरान स्टेशन संरचना, लिफ्ट, एस्केलेटर और काउंटर वेलनेस का निरीक्षण किया गया”
यात्रियों और शहर को सुविधा कब?
- पहला चरण (गांधी नगर ‑ SC‑3) व्यावसायिक संचालन के लिए अक्टूबर 2025 में तैयार होगा।
- दूसरा चरण (SC‑3 ‑ मालवीय नगर) जनवरी‑2026 तक संभव है
- तीसरे चरण में अंडरग्राउंड और अति-विस्तार क्षेत्र (रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट तक) भी शामिल होंगे, पर उनकी लॉन्ग-टर्म योजना समय लेगी।
- इंदौर मेट्रो के ट्रॉली ट्रायल की प्रक्रिया स्पष्ट करती है कि यह प्रोजेक्ट गंभीरता और समयबद्धता से आगे बढ़ रहा है।
- दो ट्रायल्स, विस्तृत निर्माण और सघन निरीक्षण का मतलब यह है कि सुरक्षा, विश्वसनीयता और समय-सीमा तीनों को प्राथमिकता दी जा रही है।
- अक्टूबर में प्रायरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो सेवा की शुरुआत इंदौरवासियों को आधुनिक, सुरक्षित और जलवायु-निष्पक्ष यातायात विकल्प प्रदान करेगी।
इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।