
MP News: मध्य प्रदेश में अगले महीने विधानसभा का मानसून सत्र होगा। कांग्रेस ने अनुसूचित जाति वर्ग पर हो रहे अत्याचार के मामलों पर सरकार से सवाल पूछने का फैसला किया है। साथ ही ग्वालियर में लगातार चर्चा में बने डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा मामले में सरकार की चुप्पी पर भी हंगामा होगा।
MP विधानसभा मानसून सत्र: कांग्रेस का वार, भाजपा पर सवालों की बौछार की तैयारी
भोपाल, जून 2025 – मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। इस बार कांग्रेस पूरी तरह से आक्रामक मुद्रा में है और उसने सत्र में भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है। विधानसभा के अंदर सवालों की बारिश और विरोध का गरजता तूफान देखने को मिल सकता है।
कांग्रेस ने दावा किया है कि सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है और जनता के सवालों का जवाब देने से बच रही है। अब सदन में उसे हर जवाबदेही के लिए मजबूर किया जाएगा। आइए जानते हैं कांग्रेस किन मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेरने की योजना बना रही है और भाजपा का क्या जवाब है।
भोपाल (MP Assembly Monsoon Session)। विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस (Congress in MP) अनुसूचित जाति वर्ग पर हो रहे अत्याचार के मामलों को उठाएगी। इसके लिए सागर, छतरपुर, दमोह सहित अन्य जिलों में हुईं हत्या-मारपीट जैसी घटनाओं पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।
साथ ही ग्वालियर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापना के मामले में सरकार की चुप्पी, लगातार लिए जा रहे कर्ज, खाद की कमी सहित अन्य मुद्दों को भी उठाने की तैयारी है।
कब से शुरू होगा एमपी में विधानसभा का मानसून सत्र
- विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से प्रारंभ होगा। 10 दिन सदन चलेगा। इसमें सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सागर जिले के रहली क्षेत्र में ओंकार अहिरवार और छतरपुर जिले के लवकुश नगर में पंकज प्रजापति की हत्या का मामले को आधार बनाकर सरकार से जवाब मांगेगी।
इसी तरह दमोह के तेंदूखेड़ा क्षेत्र में गुंडागर्दी के साथ बुरहानपुर जिले के नेपानगर में आदिवासियों के पट्टे निरस्त करने का मुद्दा उठाने की तैयारी है। पार्टी का आरोप है कि प्रदेश के तीन लाख से अधिक पात्र आदिवासियों की पात्रता होने के बाद भी अब तक वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पट्टे नहीं दिए हैं।दूसरी ओर आदिवासियों की जमीन बड़े पैमाने पर अधिकारियों द्वारा सांठगांठ करके गैर आदिवासियों को बेची जा रही है। प्रदेश के ऊपर कर्ज सवा चार लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इसे कम करने के स्थान पर सरकार लगातार कर्ज ले रही है। वहीं, विभागों में पूंजीगत कामों की गति धीमी है, जिसके कारण अधोसंरचना विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं।
भाजपा संविधान और दलित विरोधी
कांग्रेस पार्टी ने अपने विधायकों से कहा है कि वे विधानसभा में इस बात को पूरी ताकत के साथ रखें कि भाजपा संविधान और दलित विरोधी है। ग्वालियर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापना से जुड़े विवाद पर अब तक न तो मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने समाधान निकालने की कोई पहल ही और न ही पार्टी की ओर से अपना पक्ष स्पष्ट किया गया। इससे साफ है कि भाजपा संविधान विरोधी है। दलितों पर अत्याचार के मामले में प्रदेश अव्वल है। कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।
भाजपा का पलटवार – “विकास ही जवाब है”
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस बेवजह का हंगामा खड़ा कर रही है। भाजपा के मुख्य सचेतक ने कहा कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली जैसे हर क्षेत्र में रिकॉर्ड काम हुआ है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी संकेत दिए हैं कि मानसून सत्र में उनकी सरकार विकास के आंकड़ों के साथ विपक्ष को जवाब देगी। साथ ही राज्य में हाल ही में घोषित नई योजनाओं और निवेश आकर्षण की सफलता भी उजागर की जाएगी।
MP विधानसभा का यह मानसून सत्र हंगामेदार होने के पूरे संकेत दे रहा है। विपक्ष तैयारी में है, सत्ता पक्ष जवाब के लिए मोर्चा संभाल रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि सदन में असली मुद्दों पर कितनी चर्चा होती है और कितनी राजनीति। जनता की नजरें दोनों दलों पर हैं—वो जवाब चाहती है, बहाने नहीं।
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