
कृष्णा पुरा छत्री, इंदौर
इंदौर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक कृष्णा पुरा छत्री शहर की हलचल से दूर एक शांत स्थान पर स्थित है। यह स्थल न केवल स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है, बल्कि यह इंदौर के शासकों की वीरता और सम्मान की गाथा को भी दर्शाता है। होलकर वंश की स्मृति में निर्मित यह छत्रियां आज भी उस गौरवशाली युग की गवाही देती हैं।
स्थान और आवश्यक जानकारी
- स्थान: महात्मा गांधी रोड, राजवाड़ा के पास, स्नेह नगर, इंदौर, मध्य प्रदेश 452007
- समय: प्रातः 9:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक
- दिन: सप्ताह के सभी दिन खुले रहते हैं
- प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं
- फोटोग्राफी: अनुमत है
कैसे पहुंचे?
इंदौर एक प्रमुख शहर है और भारत के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रेलवे, हवाई यात्रा और सड़क मार्ग से आप इंदौर पहुँच सकते हैं। कृष्णा पुरा छत्री, राजवाड़ा से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ आप ऑटो, रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कृष्णा पुरा छत्री का निर्माण 1800 के उत्तरार्ध में हुआ था। यह छत्रियां होलकर वंश के शासकों की स्मृति में बनाई गई थीं, जिनका इंदौर पर शासन 1948 तक रहा। यह स्मारक खान नदी के किनारे स्थित है और इसका दृश्य अत्यंत मनोहारी है।
होलकर वंश मराठा समाज के धनगर जाति से संबंध रखते थे। उन्होंने मुग़ल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध युद्ध किए और इंदौर को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया।

स्थापत्य विशेषताएं
यह छत्रियां माराठा शैली में निर्मित हैं। इनकी बनावट में पत्थरों का विशेष उपयोग हुआ है जिससे इसका बाहरी स्वरूप और भी भव्य लगता है। यहाँ कुल तीन छत्रियां हैं, जिनमें—
- पश्चिमी छत्री महारानी कृष्णाबाई होलकर को समर्पित है।
- दूसरी दो छत्रियां आपस में जुड़ी हुई हैं, जो महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय और उनके पुत्र शिवाजी राव होलकर के सम्मान में बनी हैं।
- इसके अतिरिक्त एक सुंदर कृष्ण मंदिर भी परिसर में स्थित है।
परिसर का सौंदर्य
खान नदी के किनारे स्थित होने के कारण इस स्थल की प्राकृतिक छटा और भी निखरकर सामने आती है। आसपास के हरियाली और शांत वातावरण इसे शांति प्रिय पर्यटकों के लिए आदर्श स्थल बनाते हैं। यह स्थल राजवाड़ा महल से बहुत पास है, जिससे आप दोनों स्थानों की यात्रा एक साथ कर सकते हैं।
कृष्णा पुरा छत्री के रोचक तथ्य
भव्य स्थापत्य कला
यह छत्रियां मराठा राजाओं की उत्कृष्ट स्थापत्य समझ का प्रमाण हैं।
तीन दिशाओं में निर्मित छत्रियां
प्रत्येक छत्री एक अलग शासक को समर्पित है, जिससे यहाँ एक त्रैतीय संरचना का दृश्य उत्पन्न होता है।

प्राचीन मूर्तियाँ
परिसर में शूरवीर सैनिकों, दरबारियों, संगीतकारों और राजाओं की प्राचीन मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
बाहरी दीवारों की नक्काशी
भगवानों और देवियों की सुंदर नक्काशी दीवारों पर की गई है, जो इस स्थल की भव्यता को और भी बढ़ाती है।
पुनर्निर्माण प्रयास
इंदौर गौरव फाउंडेशन द्वारा छत्रियों की सफाई और संरक्षण के लिए विशेष पहल की गई है। 2018 में इसे ऐतिहासिक वॉकिंग टूर में भी शामिल किया गया।
क्यों है यह स्थल लोकप्रिय?
कृष्णा पुरा छत्री केवल एक दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि यह वीरता, भक्ति और वास्तु कला का संगम है। यहाँ आकर आप न केवल इतिहास को करीब से महसूस करेंगे, बल्कि इंदौर की गौरवशाली विरासत से भी रूबरू होंगे।
यह स्थल इतिहास प्रेमियों, फोटोग्राफरों और शांत वातावरण में समय बिताने वाले लोगों के लिए एक आदर्श जगह है।
यात्रा के सुझाव
- अपने इंदौर यात्रा की योजना में राजवाड़ा, कांच मंदिर, लालबाग पैलेस और सराफा बाज़ार को भी शामिल करें।
- दिन के समय ही इस स्थल की यात्रा करें, क्योंकि प्राकृतिक रोशनी में इसका सौंदर्य और भी निखरता है।
- स्थानीय मार्गदर्शक से इस स्थल की ऐतिहासिक जानकारी लें जिससे आपकी यात्रा और भी ज्ञानवर्धक बनेगी।
यदि आप इंदौर की ऐतिहासिक आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो कृष्णा पुरा छत्री की यात्रा अवश्य करें। यह न केवल एक स्मारक है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य निधि है।
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