
महाकाल की नगरी उज्जैन में लगेगा विकास का एक और पंख
Best Indore News मध्यप्रदेश की धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी उज्जैन अब एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ रही है। जल्द ही यहां देश के सबसे आधुनिक और उच्च क्षमता वाले रोपवे प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। इस परियोजना के पूरा होने के बाद हर घंटे लगभग 2000 यात्री एक साथ रोपवे से यात्रा कर सकेंगे। 55 अत्याधुनिक गोंडोले (केबिन) इस सिस्टम का हिस्सा होंगे, जो यात्रियों को महाकाल लोक, काल भैरव मंदिर और अन्य पर्यटन स्थलों से जोड़ेंगे।
निर्माण कार्य जोरों पर, CEO ने दिया आश्वासन
इस महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। निर्माण कंपनी के CEO ने जानकारी दी कि:
“यह प्रोजेक्ट अगले साल के अंत तक तैयार हो जाएगा। आधुनिक तकनीक, पर्यावरण अनुकूल निर्माण और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यह सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं, बल्कि उज्जैन के पर्यटन को नई ऊंचाई देने वाला प्रोजेक्ट है।”
रोपवे प्रोजेक्ट की खास बातें
विशेषता | विवरण |
---|---|
कुल गोंडोले (केबिन) | 55 |
एक घंटे में यात्रा करने वाले यात्री | लगभग 2000 यात्री |
यात्रा की लंबाई | लगभग 2 किमी से अधिक |
प्रमुख स्टेशनों की संख्या | 3 (शुरुआती, मध्य और अंतिम बिंदु) |
संचालन समय | सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक (संभावित) |
किराया (प्रारंभिक अनुमान) | ₹100–₹150 प्रति व्यक्ति (राउंड ट्रिप) |
किन स्थानों को जोड़ेगा रोपवे?
यह रोपवे प्रणाली उज्जैन के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ेगी:
- महाकालेश्वर मंदिर
- काल भैरव मंदिर
- रामघाट और क्षिप्रा नदी क्षेत्र
- महाकाल लोक
इन क्षेत्रों में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। रोपवे शुरू होने के बाद श्रद्धालुओं की यात्रा न केवल आसान होगी, बल्कि समय और ऊर्जा की बचत भी होगी।
उज्जैन में क्यों जरूरी था रोपवे?
उज्जैन एक धार्मिक नगरी है जहां प्रति दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। खासकर श्रावण मास, महाशिवरात्रि, नाग पंचमी और सिंहस्थ कुंभ जैसे आयोजनों में यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। ऐसे में:
- भीड़ का दबाव
- ट्रैफिक जाम
- बुजुर्ग और दिव्यांगों को असुविधा
- प्रदूषण की समस्या
इन सबका समाधान रोपवे प्रणाली से संभव होगा। यह प्रदूषण रहित, ट्रैफिक फ्री और सुविधाजनक विकल्प प्रदान करेगा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
परियोजना में यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है:
- गोंडोलों में ऑटोमैटिक लॉकिंग सिस्टम
- हर केबिन में इमरजेंसी अलार्म और संचार सुविधा
- CCTV निगरानी
- प्रशिक्षित स्टाफ
- मौसम के अनुसार ऑटो कंट्रोल तकनीक
पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता
रोपवे का मार्ग और निर्माण इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि:
- वृक्षों की कटाई न्यूनतम हो
- नदी और धार्मिक स्थल प्रभावित न हों
- इको-फ्रेंडली तकनीक का उपयोग किया जाए
पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
इस प्रोजेक्ट से ना सिर्फ श्रद्धालुओं को लाभ होगा, बल्कि:
- स्थानीय व्यापार को गति मिलेगी
- होटल, दुकानों और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा
- स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा (टेक्निकल स्टाफ, सिक्योरिटी, ऑपरेशन आदि)
सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी
यह प्रोजेक्ट PPP मॉडल (Public-Private Partnership) पर आधारित है, जिसमें सरकार और निजी कंपनी मिलकर कार्य कर रही हैं। राज्य सरकार द्वारा भूमि, अनापत्ति प्रमाण पत्र और इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायता दी जा रही है।
नागरिकों और पर्यटकों से अपील
प्रशासन और निर्माण कंपनी की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि निर्माण कार्य के दौरान:
- सहयोग करें
- साइट के आसपास सतर्कता बरतें
- अफवाहों से दूर रहें
- प्रोजेक्ट की प्रगति पर गर्व करें और प्रचार करें
उज्जैन का रोपवे प्रोजेक्ट एक ऐतिहासिक और तकनीकी बदलाव का प्रतीक है। यह सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि उज्जैन की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति की नई दिशा है। अगले कुछ वर्षों में जब श्रद्धालु गोंडोला में बैठकर ऊपर से महाकाल लोक की छटा देखेंगे, तो यह अनुभव न केवल भक्तिभाव से भरपूर होगा, बल्कि आधुनिक भारत की क्षमता का भी प्रतीक होगा।
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