
बारिश आई, लेकिन वैसी नहीं जैसी अपेक्षा थी
Best Indore News: मध्यप्रदेश में मानसून की दस्तक जून के अंतिम सप्ताह में हो गई थी और उम्मीद जताई जा रही थी कि जुलाई के पहले हफ्ते में झमाझम बारिश से गर्मी और उमस से राहत मिलेगी। लेकिन वास्तविकता इससे थोड़ी अलग रही।
जुलाई का पहला सप्ताह हल्की रिमझिम, बादलों की आवाजाही और मौसम में हल्की ठंडक लेकर आया, मगर तेज और मूसलधार बारिश की जो अपेक्षा थी, वह पूरी नहीं हो सकी। अब मौसम विभाग का कहना है कि मौसमी सिस्टम के सक्रिय होने में थोड़ा और समय लग सकता है।
क्या कहता है मौसम विज्ञान विभाग?
मौसम विभाग के मुताबिक, जुलाई की शुरुआत में जो अपेक्षित सिस्टम — जैसे लो प्रेशर एरिया, ट्रफ लाइन या साइक्लोनिक सर्कुलेशन — बनने चाहिए थे, वे कमजोर बने या बने ही नहीं।
इस कारण से:
- बारिश की तीव्रता कम रही
- अधिकतर जगहों पर रुक-रुककर बूंदाबांदी होती रही
- तापमान में गिरावट जरूर आई, लेकिन बिजली, तेज हवाओं या गरज के साथ बारिश नहीं हुई
“जुलाई के पहले हफ्ते में औसत से कम बारिश दर्ज हुई है। आने वाले सप्ताह में बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से कोई सक्रिय सिस्टम आएगा तभी तेज बारिश की संभावना बनेगी।” — IMD अधिकारी, भोपाल
आंकड़ों में देखें जुलाई का पहला हफ्ता
ज़िला | सामान्य औसत वर्षा (मिमी) | अब तक हुई वर्षा (मिमी) |
---|---|---|
इंदौर | 150 | 72 |
भोपाल | 140 | 61 |
जबलपुर | 180 | 88 |
उज्जैन | 130 | 49 |
रीवा | 160 | 65 |
इन आंकड़ों से साफ है कि ज्यादातर जिलों में औसत से कम वर्षा हुई है।
कैसा रहा मौसम का मिजाज?
- सुबह और शाम के समय मौसम रहा हल्का ठंडा और सुहावना
- दोपहर में उमस बनी रही, लेकिन तापमान सामान्य से 2–3 डिग्री नीचे रहा
- कई जगहों पर बादल छाए रहे पर बारिश नहीं हुई
- पश्चिमी हवाओं और नमी के कारण कभी-कभी हल्की बारिश दर्ज हुई
“बारिश कम जरूर हुई है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पंखे और कूलर की ज़रूरत नहीं पड़ी।” — इंदौर निवासी
किसान हो रहे चिंतित
जुलाई का पहला सप्ताह किसानों के लिए खरीफ फसलों की बुआई का प्रमुख समय होता है। लेकिन बारिश की कमी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है:
- कई जगहों पर धान, मक्का और सोयाबीन की बुआई रुकी हुई है
- कुछ किसानों ने बिना पर्याप्त नमी के बीज बो दिए, लेकिन अंकुरण कमजोर रहा
- अगर अगले 4–5 दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है
“हमने बीज डाल दिए थे, लेकिन बारिश नहीं हुई तो खेत सूख गए। अब दोबारा खर्च करके बुआई करनी पड़ेगी।” — किसान, धार
शहरवासियों को मिली आंशिक राहत
बारिश भले ही तेज़ नहीं हुई, लेकिन बादलों और ठंडी हवाओं ने शहरों की गर्मी और ट्रैफिक की उमस से लोगों को कुछ राहत जरूर दी:
- सड़कों पर जलभराव नहीं होने से यातायात सामान्य रहा
- पार्कों और वॉकिंग ट्रैक पर लोगों की चहल-पहल बढ़ी
- कई परिवारों ने वीकेंड आउटिंग का आनंद लिया
“बिना तेज़ बारिश के बादलों वाली ठंडक ने मौसम को मनभावन बना दिया है।” — निवासी, भोपाल
आने वाले दिनों में क्या उम्मीद?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार:
- बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर सिस्टम बनने के संकेत हैं
- 3–4 दिनों के अंदर मध्यप्रदेश के पूर्वी हिस्सों में भारी वर्षा की संभावना
- पश्चिमी हिस्सों — इंदौर, उज्जैन, रतलाम — में रिमझिम का सिलसिला जारी रहेगा
मौसम विभाग ने कहा कि 10 से 15 जुलाई के बीच मानसून दोबारा सक्रिय हो सकता है, जिससे बारिश की गति में तेजी आएगी।
जुलाई का पहला हफ्ता मानसून की दृष्टि से उतना संतोषजनक नहीं रहा जितनी उम्मीद की जा रही थी। कमजोर मानसून, सिस्टम की निष्क्रियता और रिमझिम बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया है, जबकि शहरवासियों को आंशिक राहत जरूर मिली है।
अब निगाहें मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर टिकी हैं — और उम्मीद की जा रही है कि दूसरे हफ्ते से प्रदेश को भरपूर बारिश मिलेगी, जिससे खेती, जलस्रोत और जलवायु — तीनों को संजीवनी मिल सके।
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