
Best Indore News: इंदौर नगर निगम अब शहर में मिल रहे गंदे पानी को लेकर पूरी तरह से एक्शन मोड में आ गया है। पिछले कुछ हफ्तों से लगातार कई कॉलोनियों और वार्डों से पीने के पानी में गंदगी, बदबू, और मटमैले रंग की शिकायतें मिल रही थीं, जिससे आम जनता बेहद परेशान थी। अब इस पर निगमायुक्त हरीश राठौड़ ने सख्त रुख अपनाते हुए जलप्रदाय विभाग और जोन अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि “अब किसी भी क्षेत्र से गंदे पानी की शिकायत नहीं आनी चाहिए।”
शिकायतों का सिलसिला और जनता की नाराज़गी
पिछले महीने इंदौर के कई क्षेत्रों – जैसे राजेंद्र नगर, माणिकबाग, सिलिकॉन सिटी, खजराना, मालवा मिल, और सुदामा नगर – से गंदे पानी की शिकायतें दर्ज की गईं। लोगों ने बताया कि पानी में बदबू आ रही है, उसमें कीड़े हैं या वह नहाने तक लायक नहीं है। कुछ जगहों पर यह पानी पीने से डायरिया और स्किन एलर्जी जैसी बीमारियों की भी खबरें आईं।
स्थानीय निवासी भावना तिवारी (वार्ड 36) का कहना है –
“पिछले 5 दिनों से लगातार पीले रंग का पानी आ रहा है। इसे पीना तो दूर, कपड़े धोने पर भी बदबू आती है।”
निगमायुक्त ने की सख्त बैठक
इन बढ़ती शिकायतों के बीच निगमायुक्त हरीश राठौड़ ने सोमवार को नगर निगम मुख्यालय में सभी 19 जोन के ज़ोनल अफसरों, जलप्रदाय अभियंताओं और सुपरवाइज़रों के साथ आपात बैठक की। उन्होंने कहा कि:
“हर शिकायत का समाधान 24 घंटे के भीतर किया जाए। जो अधिकारी कार्य में लापरवाही करेगा, उस पर वेतन रोक और निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने ये भी निर्देश दिए कि:
- हर ज़ोन में जलप्रदाय की स्थिति का प्रतिदिन फील्ड सर्वे किया जाए।
- वाटर टेस्टिंग यूनिट्स द्वारा नमूनों की जांच की जाए।
- पुराने पाइपलाइन क्षेत्रों की तत्काल जांच की जाए।
- जहां ज़रूरत हो, वहां तात्कालिक टैंकर से पानी पहुंचाया जाए।
जड़ में है पाइपलाइन का जाल और पुरानी व्यवस्था
नगर निगम के जलप्रदाय विभाग के अनुसार, शहर में लगभग 2600 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन फैली है। इनमें से कई लाइनें 25 वर्ष से भी पुरानी हैं, जो अब जंग खा चुकी हैं और उनमें सीवेज का रिसाव हो रहा है। नई कॉलोनियों को जोड़ने के चक्कर में कई पुरानी लाइनों पर दबाव भी बढ़ा है।
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार:
“जहां भी गंदा पानी आ रहा है, वहां पाइपलाइन या तो लीकेज है या सीवेज पाइप से क्रॉस-कनेक्शन हो चुका है।”
डिजिटल शिकायत प्रणाली होगी मजबूत
निगमायुक्त ने IMC ऐप और 311 हेल्पलाइन पर दर्ज हो रही शिकायतों का भी विश्लेषण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि:
- “शिकायतों का समाधान केवल कागज पर नहीं, फील्ड पर दिखना चाहिए।”
- “जो अधिकारी समस्या के समाधान के बाद फ़ॉलो-अप नहीं करता, उस पर जवाबदेही तय होगी।”
जल गुणवत्ता परीक्षण के निर्देश
हर जोन में जल गुणवत्ता परीक्षण यूनिट को एक्टिव कर दिया गया है। निगम ने 50 से अधिक नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा है, ताकि पता चले कि किस इलाके का पानी पीने लायक है और कहां खतरे की आशंका है।
टैंकर व्यवस्था और वैकल्पिक आपूर्ति
जहां गंदा पानी लगातार आ रहा है, वहां तत्काल प्रभाव से टैंकरों से शुद्ध पानी की सप्लाई की जा रही है। साथ ही, नगर निगम 15 नए हाई-प्रेशर वाटर टैंकर भी किराए पर ले रहा है।
निगमायुक्त की अपील: जनता का सहयोग जरूरी
अपने संदेश में निगमायुक्त हरीश राठौड़ ने नागरिकों से अपील की कि वे:
- पानी में गंदगी मिलने पर तुरंत 311 पर शिकायत दर्ज करें।
- पाइपलाइन में छेड़छाड़ न करें।
- अवैध नल कनेक्शन को तुरंत हटवाएं।
- बच्चों और बुजुर्गों को गंदे पानी से दूर रखें।
स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट पर
नगर निगम ने स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट कर दिया है। नगर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों – जैसे एमवाय, बॉम्बे हॉस्पिटल और ग्रेटर कैलाश – में जलजनित बीमारियों की रिपोर्टिंग की समीक्षा की जा रही है। डॉक्टरों ने भी लोगों से उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी है।
अब उम्मीदें जागीं, लेकिन इंतज़ार है कार्रवाई का
इंदौर नगर निगम द्वारा गंदे पानी को लेकर लिया गया यह एक्शन आम जनता के लिए राहत का संकेत है। हालांकि यह देखना बाकी है कि केवल निर्देश और चेतावनी से हालात सुधरते हैं या वास्तविक सुधार कार्य भी ज़मीन पर दिखेंगे। शहरवासी अब यह देखना चाहते हैं कि “शब्दों से आगे बढ़कर निगम कितनी तेजी से पानी की व्यवस्था को दुरुस्त करता है।”
इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।