
जब बात भारत के ऐतिहासिक स्थलों की होती है, तो आमतौर पर दिल्ली का लाल किला, कुतुब मीनार या आगरा का ताजमहल याद आता है। लेकिन क्या आपने कभी मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित राजवाड़ा पैलेस के बारे में सुना है? यह भव्य महल होलकर वंश की शक्ति और संस्कृति का प्रतीक है। आइए जानते हैं राजवाड़ा पैलेस की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के बारे में।
राजवाड़ा पैलेस का इतिहास
राजवाड़ा पैलेस को होलकर महल या राजवाड़ा महल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वास्तुकला मुग़ल, मराठा और फ्रेंच शैली का अनूठा संगम है। इसका निर्माण होलकर वंश के संस्थापक मल्हारराव होलकर ने वर्ष 1747 में करवाया था। उन्होंने इंदौर को अपनी राजधानी बनाया और प्रशासनिक व आवासीय उद्देश्य से इस महल का निर्माण कराया।
यह महल कई ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव का गवाह बना है। राजवाड़ा को पिडारी, सिंधिया और ब्रिटिश आक्रमणकारियों द्वारा तीन बार जलाया गया। इतिहासकारों के अनुसार अंतिम बार यह महल 1984 के दंगों में जलकर खाक हो गया, जिसमें ऊपरी चार मंज़िलें नष्ट हो गईं और केवल पत्थर से बनी निचली मंज़िलें ही बच पाईं।
लेकिन भारत सरकार और होलकर परिवार के प्रयासों से यह महल फिर से पुनर्निर्मित हुआ। आज यह महल मालवा उत्सव जैसे सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र है, जो इंदौर की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।

राजवाड़ा पैलेस की वास्तुकला
यह सात मंज़िला महल अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है। इसकी निचली तीन मंज़िलें पत्थर की बनी हैं, जबकि ऊपरी मंज़िलें लकड़ी की हैं। इसका मुख्य द्वार विशाल लकड़ी का है, जो अपने आप में भव्यता को दर्शाता है।
महल का आकार आयताकार है और यह लगभग 2.4 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दो हिस्सों में बंटा है — मुख्य महल और पिछला महल (Rear Palace)। मुख्य महल पुराना भाग है जो मुख्य सड़क की ओर है, जबकि पिछला महल नया हिस्सा है जो बगीचे और झरने की ओर खुलता है।

मुख्य महल
राजवाड़ा का मुख्य महल तीन मंज़िला है और इसका प्रवेशद्वार लकड़ी का विशाल दरवाज़ा है, जिसमें फूलों की कलाकारी और लोहे की कीलें लगी हैं। यह कीलें पुराने समय में हाथी के आक्रमण से सुरक्षा के लिए लगाई जाती थीं।
इस महल में मुग़ल शैली की मेहराबें, आंगन, मंदिर, और विभिन्न कक्ष हैं। मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिसका दरवाज़ा चाँदी का बना है और गणेशजी की मूर्ति सोने की बनी है।
पिछला महल
यह भाग चार मंज़िला है जिसमें एक सुंदर बगीचा, झरना, फव्वारा और पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर की कांस्य प्रतिमा है। बगीचे में रंग-बिरंगे फूल हैं और झरने की मधुर ध्वनि मन को शांति देती है।
यहाँ का फव्वारा इतना शक्तिशाली है कि पानी की धार 100 फीट तक ऊपर उठती है। हर शाम यहाँ एक लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है, जिसमें राजवाड़ा की ऐतिहासिक गाथा को चित्रित किया जाता है।

राजवाड़ा पैलेस घूमने का सर्वोत्तम समय
मध्यप्रदेश का मौसम उपोष्ण कटिबंधीय है, जहाँ गर्मी, सर्दी और बारिश तीनों ऋतुएं होती हैं। अक्टूबर से मार्च के बीच का समय राजवाड़ा महल घूमने के लिए सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है।
राजवाड़ा पैलेस खुलने का समय
राजवाड़ा पैलेस सोमवार से शनिवार तक सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। यहाँ प्रवेश टिकट वयस्क और बच्चों की श्रेणी के अनुसार काफी सुलभ दरों पर उपलब्ध है।
इंदौर के दिल में स्थित राजवाड़ा पैलेस न केवल इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है बल्कि आम पर्यटकों के लिए भी यह एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। यह महल दर्शाता है कि भारत का इतिहास कितना समृद्ध और प्रेरणादायक है।
तो जब भी आप इंदौर आएं, राजवाड़ा पैलेस जरूर देखने जाएं और होलकर वंश की गाथा को नजदीक से महसूस करें।
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