
22 जुलाई 2025, भोपाल/इंदौर
Best Indore News मध्यप्रदेश में मानसून की चाल अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती दिख रही है। राज्य में अब तक सीजन की कुल अनुमानित बारिश का 45% पानी गिर चुका है। जहां निवाड़ी जिले में 102% और टीकमगढ़ में 90% बारिश रिकॉर्ड की गई है, वहीं इंदौर और उज्जैन संभाग अभी भी औसत से नीचे चल रहे हैं। सोमवार को मौसम विभाग द्वारा जारी अपडेट ने साफ कर दिया कि राज्य के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में मानसून मेहरबान रहा, जबकि पश्चिमी और मालवा क्षेत्रों में अभी भी राहत की दरकार है।
राज्य की वर्षा स्थिति: कौन आगे, कौन पीछे
मौसम विभाग के अनुसार, 1 जून से अब तक पूरे मध्यप्रदेश में औसतन 408 मिमी बारिश अपेक्षित थी, लेकिन 187 मिमी ही रिकॉर्ड हुई। यानी अब तक 45.8% बारिश हुई है। आइए नज़र डालते हैं कुछ प्रमुख जिलों पर:
जिला | सामान्य बारिश (मिमी) | अब तक हुई बारिश (मिमी) | प्रतिशत |
---|---|---|---|
निवाड़ी | 263 | 268 | 102% |
टीकमगढ़ | 324 | 293 | 90% |
डिंडोरी | 389 | 310 | 80% |
भोपाल | 429 | 210 | 49% |
इंदौर | 452 | 145 | 32% |
उज्जैन | 418 | 138 | 33% |
इंदौर और उज्जैन संभाग में बारिश की कमी क्यों?
विशेषज्ञों के अनुसार, इंदौर और उज्जैन संभागों में इस वर्ष अब तक कोई स्ट्रॉन्ग मानसून सिस्टम विकसित नहीं हुआ है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले दो अलग-अलग सिस्टम मध्य और उत्तर-पूर्वी एमपी की ओर सक्रिय रहे, लेकिन पश्चिमी एमपी अभी तक इनके दायरे से बाहर रहा।
इसका असर यह हुआ कि इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम और खरगोन जैसे जिलों में बारिश न के बराबर हुई। कृषि क्षेत्र इससे खासा प्रभावित हो रहा है, क्योंकि इन जिलों में किसान अब तक सोयाबीन और मूंग की बुवाई नहीं कर पाए हैं।
कृषि पर असर: किसान कर रहे इंतजार
इंदौर जिले के किसान राजेश पाटीदार बताते हैं:
“हर साल जुलाई के पहले हफ्ते तक खेतों में बुवाई हो जाती है, लेकिन इस बार अब तक ना तो खेत गीले हुए, ना ही बारिश आई। हम आसमान की ओर देख रहे हैं।”
सरकार ने इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग और राजस्व अमले को अलर्ट पर रखा है। कुछ जिलों में बीज वितरण की समयसीमा भी बढ़ाई गई है।
आगे कैसा रहेगा मानसून? – IMD की भविष्यवाणी
मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि:
- बंगाल की खाड़ी में 24-48 घंटे के भीतर एक नया लो प्रेशर सिस्टम बनने की संभावना है
- इससे पूर्वी मध्यप्रदेश, जबलपुर, रीवा, शहडोल में अच्छी बारिश हो सकती है
- इंदौर और उज्जैन में 3-4 दिन बाद बारिश की गतिविधि बढ़ सकती है, लेकिन तेज बारिश की संभावना कम है
जलाशयों की स्थिति
कम बारिश का असर प्रदेश के प्रमुख जलाशयों और बांधों पर भी पड़ा है। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार:
- 60% जलाशय 50% से कम क्षमता पर हैं
- नर्मदा घाटी परियोजनाओं में सिर्फ 35% पानी भरा है
- आने वाले दिनों में पेयजल संकट की आशंका जताई जा रही है यदि बारिश नहीं हुई
जनजीवन पर प्रभाव
- ग्रामीण इलाकों में नलकूपों पर निर्भरता बढ़ी
- शहरों में पेयजल आपूर्ति में फिलहाल संकट नहीं, लेकिन आगामी समय में पानी की कटौती संभव
- पेयजल टैंकरों की मांग छोटे शहरों और कस्बों में बढ़ने लगी है
मध्यप्रदेश में भले ही अब तक 45% बारिश पूरी हो चुकी हो, लेकिन स्थिति अभी संतोषजनक नहीं मानी जा रही। कृषि, जल आपूर्ति और जनजीवन पर असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सप्ताहों में मानसून की सक्रियता बढ़े और राज्य के सभी क्षेत्रों में समान रूप से वर्षा हो। सरकार को चाहिए कि वह अग्रिम इंतजाम करे, ताकि किसी संकट की स्थिति में जल, बीज और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
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