
Best Indore News: राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) 2024 में इस बार न केवल देशभर में पेपर लीक और गड़बड़ी के आरोपों ने माहौल गर्म किया, बल्कि मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अलग ही तकनीकी और प्राकृतिक बाधा चर्चा में रही। बारिश और बिजली की कटौती के चलते कई छात्रों की परीक्षा बाधित हो गई। इस मुद्दे पर अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह मामला देशभर में हो रहे NEET विवादों के बीच एक अलग आयाम जोड़ता है। जानिए इस पूरे घटनाक्रम की गहराई, कोर्ट की प्रतिक्रिया और आगे की संभावनाएं।
क्या था मामला? – इंदौर सेंटर पर बारिश और बिजली ने बिगाड़ी परीक्षा
4 मई 2024 को जब NEET की परीक्षा देशभर में हो रही थी, इंदौर के एक परीक्षा केंद्र पर अचानक तेज़ बारिश और बिजली की कटौती ने माहौल को चुनौतीपूर्ण बना दिया।
- कुछ छात्रों ने दावा किया कि लाइट चली गई, जिससे OMR शीट भरने में परेशानी हुई।
- अन्य छात्रों ने कहा कि AC बंद हो गए, पंखे रुक गए और गर्मी के कारण परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो गया।
- कुछ मामलों में पेपर आंशिक रूप से गीले भी हो गए।
इन कारणों से कई छात्रों ने यह आरोप लगाया कि परीक्षा की निष्पक्षता प्रभावित हुई है और उन्हें पुनः परीक्षा (re-test) का मौका मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट पहुंचा मामला: छात्रों की याचिका पर हुई सुनवाई
घटना के बाद कई छात्रों और उनके अभिभावकों ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट की शरण ली। उनकी मांग थी कि:
- जिन छात्रों की परीक्षा प्राकृतिक कारणों से प्रभावित हुई,
- उन्हें दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाए,
- NTA (राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी) इस सेंटर को लेकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करे।
इस याचिका पर सुनवाई जबलपुर उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में हुई। NTA और केंद्र सरकार के वकीलों ने जवाब दाखिल किया, वहीं याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अदालत को बताया कि छात्रों को परीक्षा देने का उचित वातावरण नहीं मिला था।
कोर्ट ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अमरनाथ के वर्मा की खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसका मतलब है कि अदालत अब इस मामले पर सोच-विचार कर रही है और जल्द ही अंतिम निर्णय सुनाएगी।
अदालत ने ये प्रमुख बिंदु उठाए:
- क्या बारिश और बिजली की समस्या परीक्षा में हस्तक्षेप मानी जा सकती है?
- क्या सभी छात्रों को समान परिस्थिति मिली?
- पुनः परीक्षा की मांग क्या व्यवहारिक है?
- क्या तकनीकी बाधाएं इतने बड़े परीक्षा में अपेक्षित नहीं होती हैं?
छात्रों की पीड़ा: मेहनत पर पानी फिर गया
परीक्षा देने वाले छात्र आदित्य शर्मा ने कहा:
“मैंने एक साल दिन-रात पढ़ाई की, लेकिन जिस सेंटर में मैं गया, वहां अचानक लाइट चली गई और फैन बंद हो गए। गर्मी में पसीने से OMR शीट भीग गई, और ध्यान भंग हो गया।”
प्रियंका त्रिवेदी, एक छात्रा की मां ने कहा:
“हमने अपने बच्चे को लाखों रुपये की कोचिंग करवाई, लेकिन परीक्षा के दिन ऐसी लापरवाही क्यों?”
इन अभिभावकों और छात्रों की भावनाएं यह दर्शाती हैं कि ऐसी घटनाएं सिर्फ तकनीकी समस्याएं नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य से जुड़ी संवेदनशील परिस्थितियां हैं।
NTA का पक्ष: परिस्थितियां अप्रत्याशित थीं
NTA ने अपने जवाब में कहा कि:
- यह एक प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति थी, जिसे पहले से रोका नहीं जा सकता था।
- सेंटर स्टाफ ने छात्रों को शांत रखने और परिस्थितियों को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की।
- OMR शीट्स को सुरक्षित रखा गया और स्कैनिंग में किसी भी प्रकार की तकनीकी त्रुटि नहीं पाई गई।
- पूरे देश के लाखों छात्रों की परीक्षा सफलतापूर्वक हुई, केवल कुछेक स्थानों पर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुईं।
राष्ट्रीय स्तर पर भी विवादों में रहा NEET 2024
NEET 2024 पर इस बार कई विवाद छाए रहे:
- बिहार और राजस्थान में पेपर लीक की खबरें
- उत्तर प्रदेश में उत्तर कुंजी में त्रुटियां
- टॉपर को सिर्फ 10 मिनट में पेपर हल करने का दावा, जिसने मामले को कोर्ट तक पहुंचा दिया
इस माहौल में इंदौर की तकनीकी बाधा वाला मामला छात्रों के लिए न्याय और निष्पक्षता की नई कसौटी बनकर सामने आया है।
आगे क्या? – कोर्ट का फैसला और संभावित प्रभाव
यदि कोर्ट पुनः परीक्षा का आदेश देती है:
- NTA को संबंधित छात्रों के लिए एक स्पेशल री-एग्जाम कराना पड़ सकता है
- इससे परीक्षा की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं
- वहीं यदि कोर्ट याचिका खारिज करता है, तो छात्रों को सिर्फ संतोष करना होगा कि वे अगली बार बेहतर प्रयास करें
शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र जोशी का मानना है:
“इस तरह की तकनीकी बाधाएं एक बड़ी परीक्षा के दौरान कभी-कभी आ सकती हैं, लेकिन उनका समाधान समय पर होना चाहिए और छात्रों को न्याय मिलना चाहिए।”
वहीं पूर्व विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. अनामिका गुप्ता कहती हैं:
“अगर छात्रों को लगता है कि उनका हक मारा गया है, तो अदालत का दरवाजा खटखटाना उनका अधिकार है।”
न्याय की प्रतीक्षा में छात्र और अभिभावक
इस मुद्दे ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET न सिर्फ कठिन है, बल्कि इसकी प्रक्रिया भी उतनी ही संवेदनशील है।
बारिश और बिजली जैसी मामूली दिखने वाली समस्याएं भी परीक्षा को किस हद तक प्रभावित कर सकती हैं, यह इंदौर के छात्रों के अनुभव से समझा जा सकता है।
अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के उस फैसले पर टिकी हुई हैं, जो न सिर्फ इन छात्रों के लिए बल्कि भविष्य में होने वाली परीक्षाओं के लिए भी दिशा तय करेगा।
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