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इंदौर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने हुई सुनवाई:ई-रिक्शा पॉलिसी समेत कई सुझाव मिले; कोर्ट ने कहा- स्वच्छता की तरह पब्लिक अवेयरनेस कीजिए

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Best Indore News  इंदौर, जो कि लगातार स्वच्छता में नंबर वन शहर रहा है, अब ट्रैफिक व्यवस्था सुधार की दिशा में भी गंभीर प्रयास करता दिख रहा है। हाल ही में हाईकोर्ट में इंदौर की ट्रैफिक स्थिति को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें ई-रिक्शा पॉलिसी और अन्य यातायात से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। अदालत ने नगर निगम और प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि जिस तरह स्वच्छता के लिए शहरवासियों को जागरूक किया गया, उसी तरह ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर भी पब्लिक अवेयरनेस पर जोर देना जरूरी है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस, आरटीओ और अन्य संबंधित विभागों से रिपोर्ट तलब की और सुझावों की समीक्षा की। ई-रिक्शा की अव्यवस्थित पार्किंग, अवैध संचालन, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और सड़कों पर होने वाली अनावश्यक भीड़ जैसी समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया गया।

शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे यातायात पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए प्रशासन से कहा कि एक ठोस पॉलिसी के तहत ई-रिक्शा का संचालन हो, ताकि यह सुविधा भी बनी रहे और ट्रैफिक भी संतुलित रहे। इसके अलावा अवैध स्टैंड्स और गलत जगहों पर पार्किंग पर भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था तभी सुधरेगी जब आम जनता को इसके लिए संवेदनशील बनाया जाए। जैसे स्वच्छता के लिए लोगों को शिक्षित किया गया, जागरूकता अभियान चलाए गए, वैसा ही प्रयास ट्रैफिक के लिए भी करना होगा। जनभागीदारी के बिना किसी भी योजना को सफल बनाना संभव नहीं है।

सुनवाई के दौरान कई सुझाव रखे गए, जैसे—

  • प्रमुख चौराहों पर स्मार्ट सिग्नल सिस्टम की स्थापना।
  • स्कूलों और कॉलेजों में ट्रैफिक एजुकेशन की शुरुआत।
  • सोशल मीडिया और लोकल चैनलों के माध्यम से अवेयरनेस अभियान।
  • विशेष ड्राइव के जरिए ई-रिक्शा और दोपहिया चालकों की जांच।
  • नो पार्किंग जोन पर सख्त निगरानी और फाइन सिस्टम।

इंदौर शहर की सड़कें और ट्रैफिक व्यवस्था आज के समय की एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन, ओवरलोडिंग, बिना लाइसेंस गाड़ी चलाना, गलत दिशा में वाहन ले जाना जैसे व्यवहार आम होते जा रहे हैं। ऐसे में कोर्ट का यह रुख निश्चित रूप से सराहनीय है।

अब देखना होगा कि इंदौर प्रशासन और जनता इस दिशा में कितनी सक्रियता दिखाते हैं। यदि सही तरीके से जनसहभागिता और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया तो इंदौर ट्रैफिक व्यवस्था में भी देश का आदर्श बन सकता है। कोर्ट की टिप्पणी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल आदेशों से नहीं, बल्कि जन-जागरूकता से ही स्थायी समाधान संभव है।

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