नीट-यूजी 2025: दोबारा परीक्षा की मांग पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई – छात्रों की उम्मीदें और न्याय व्यवस्था की परीक्षा

Best Indore News देशभर में लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ी नीट-यूजी 2025 परीक्षा अब एक नई कानूनी लड़ाई के मोड़ पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) को लेकर बीते दिनों में जो विवाद सामने आए, उसने पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई छात्र, अभिभावक और संगठनों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तय हो चुकी है, जिससे छात्र समुदाय को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। क्या है नीट-यूजी परीक्षा विवाद? NEET-UG 2025, जो कि मेडिकल, डेंटल और अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अनिवार्य है, इस साल भी विवादों में घिर गया। कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक, समय से पहले हल मिलना, OMR शीट की गड़बड़ी, और कुछ केंद्रों पर अनुचित व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, रिजल्ट जारी होने के बाद कुछ छात्रों को मिले ‘पूर्ण अंक’ (720/720) पर भी सवाल उठे, खासकर तब जब उनकी grace marking या स्कोरिंग में पारदर्शिता नहीं दिखाई दी। छात्रों और अभिभावकों की मांग छात्रों का स्पष्ट कहना है कि जब परीक्षा की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही और कई लोगों को अनुचित लाभ मिला, तो फिर इसे निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। ऐसे में, लाखों छात्रों के साथ न्याय करने के लिए एकमात्र रास्ता है – नीट-यूजी की पुनः परीक्षा कराना। छात्रों का दावा है कि जब परीक्षा में अनियमितताएं सिद्ध हो चुकी हैं, तो सिर्फ दोषियों पर कार्रवाई से बात नहीं बनेगी, बल्कि पूरी परीक्षा प्रणाली को दोबारा निष्पक्ष तरीके से लागू करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में क्या हो सकता है? अब जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है, तो न्यायपालिका से बड़ी उम्मीदें बंध गई हैं। कोर्ट इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें CBI जांच की मांग, परीक्षा रद्द करने और दोबारा कराने की मांग भी शामिल है। कोर्ट यह भी देखेगा कि क्या नीट जैसी एक बड़ी और महत्वपूर्ण परीक्षा में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताएं इतनी गंभीर हैं कि परीक्षा को दोहराना आवश्यक है। सुनवाई की तारीख तय हो चुकी है, और इस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। शिक्षा मंत्रालय और NTA की भूमिका शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने अब तक दोबारा परीक्षा कराने की मांग को खारिज करते हुए यह तर्क दिया है कि केवल कुछ केंद्रों पर शिकायतें मिली थीं और ऐसी स्थिति में पूरे देश की परीक्षा को रद्द करना उचित नहीं होगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि किसी छात्र को नुकसान हुआ है, तो उसे सुधारात्मक उपाय दिए जाएंगे। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा की निष्पक्षता और छात्रों के भरोसे को कायम रखने के लिए सरकार और एजेंसियों को अब ज़िम्मेदारी से जवाब देना होगा। छात्रों का मनोबल और मानसिक स्वास्थ्य लगातार विवादों और अनिश्चितताओं के कारण छात्रों में तनाव और चिंता का स्तर काफी बढ़ गया है। कई छात्र कहते हैं कि परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने एक वर्ष या अधिक समय तक दिन-रात मेहनत की थी, और अब यह सब व्यर्थ जाता दिखाई दे रहा है। ऐसे में देश की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों के मनोबल को टूटने न दे और निष्पक्ष निर्णय ले। सोशल मीडिया और जनआंदोलन सोशल मीडिया पर #NEETReExam ट्रेंड कर रहा है, और हजारों छात्र अपने अनुभव और आक्रोश को साझा कर रहे हैं। कई जगहों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी हुए हैं। छात्र यह कह रहे हैं कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे। नीट-यूजी 2025 का विवाद केवल एक परीक्षा से जुड़ा मामला नहीं है, यह छात्रों के भविष्य, शिक्षा की गुणवत्ता, और परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता से जुड़ा बड़ा सवाल है। अब जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, तो उम्मीद की जा रही है कि न्यायपालिका छात्रों के हित में एक उचित फैसला सुनाएगी। देश के लाखों परिवारों की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर हैं, और यह समय है जब शिक्षा व्यवस्था को पुनः विश्वास दिलाने का मौका मिला है। यदि दोबारा परीक्षा कराई जाती है, तो यह एक साहसिक और न्यायसंगत कदम होगा। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
बाणसागर के 8, सतपुड़ा डैम के 5 गेट खुले: बारिश का असर बढ़ा, नदी-नालों में उफान, मंदिर डूबे – जल प्रबंधन और सुरक्षा का सवाल

Best Indore News प्रदेश में मानसून की सक्रियता ने आखिरकार दस्तक दी है। भारी बारिश के चलते मध्य प्रदेश के प्रमुख जलाशयों बाणसागर और सतपुड़ा डैम के गेट खोल दिए गए हैं। बाणसागर डैम के 8 और सतपुड़ा डैम के 5 गेट खोलने का निर्णय जलस्तर के तेज़ी से बढ़ने के चलते लिया गया है। इससे न सिर्फ नदियों का प्रवाह तेज हुआ है, बल्कि निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी है। आलीराजपुर में 5 घंटे की मूसलधार बारिश आलीराजपुर जिले में मात्र 5 घंटे में हुई जोरदार बारिश ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया। बारिश के चलते उर नदी उफान पर आ गई, जिससे कई गांवों के संपर्क मार्ग कट गए। कई स्थानों पर पानी पुलियों के ऊपर बहने लगा। प्रशासन ने स्थानीय लोगों से नदियों व नालों के किनारे न जाने की अपील की है। डिंडौरी में नर्मदा नदी में मंदिर डूबे डिंडौरी जिले में लगातार बारिश के कारण नर्मदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। इसके चलते तट के पास स्थित कई प्राचीन मंदिर पानी में डूब गए हैं। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को नदी किनारे जाने से रोका जा रहा है। प्रशासन ने चेतावनी जारी की है और राहत व बचाव दल अलर्ट पर हैं। जलाशयों के गेट खोलने का निर्णय क्यों? बाणसागर और सतपुड़ा जैसे डैमों में जब जलस्तर अधिक हो जाता है, तो सुरक्षा की दृष्टि से उनके गेट खोलना आवश्यक हो जाता है। इससे न केवल बांध की संरचना को नुकसान से बचाया जाता है, बल्कि जल की अधिकता को संतुलित तरीके से नीचे की ओर बहा दिया जाता है। हालांकि इससे निचले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए प्रशासन को पहले से तैयारी करनी होती है। क्या सावधानी बरतें? मौसम विभाग की चेतावनी मौसम विभाग ने आगामी 48 घंटों में कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई है। खासकर पूर्वी और दक्षिणी मध्य प्रदेश के जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रीवा, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सागर, होशंगाबाद और नरसिंहपुर जैसे जिलों में अगले कुछ दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है। बाणसागर और सतपुड़ा डैम के गेट खोलने से स्पष्ट है कि प्रदेश में अब मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है। बारिश राहत तो लेकर आती है, लेकिन इसके साथ खतरे भी लाती है। इसलिए नागरिकों को सावधानी बरतनी चाहिए और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना चाहिए। नदी किनारे के मंदिरों का डूबना सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से चिंता का विषय है, साथ ही ये जल प्रबंधन की योजना पर भी पुनर्विचार करने का संकेत है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
इंदौर एयरपोर्ट में मच्छरों से यात्री परेशान: यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर सवाल, पहले भी सामने आ चुकी हैं लापरवाहियाँ

Best Indore News इंदौर जैसे स्मार्ट सिटी के एयरपोर्ट पर इन दिनों यात्री मच्छरों की वजह से परेशान हो रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें यात्रियों ने एयरपोर्ट परिसर में मच्छरों की भरमार की शिकायत की है। वीडियो के साथ यात्रियों ने प्रबंधन को टैग करते हुए साफ लिखा कि एयरपोर्ट पर बैठना मुश्किल हो गया है, यहां न सिर्फ सफाई की कमी है बल्कि मच्छरों का आतंक यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जोखिम भी बन रहा है। यह पहली बार नहीं है जब इंदौर एयरपोर्ट की अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठे हों। इससे पहले भी एयरपोर्ट पर चूहों और कबूतरों के घूमने की खबरें आ चुकी हैं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठे थे। एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती कि वहां इस तरह की मूलभूत सुविधाओं का अभाव हो। यात्रियों की नाराजगी और शिकायतें मच्छरों की भरमार से न केवल यात्रियों की सुविधा प्रभावित हो रही है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी खतरनाक है। डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों का डर हमेशा बना रहता है। यात्रियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इंदौर एयरपोर्ट की गिनती देश के अच्छे एयरपोर्ट्स में होती है, ऐसे में इस तरह की लापरवाहियाँ अस्वीकार्य हैं। प्रबंधन की ज़िम्मेदारी अब यह ज़रूरी हो गया है कि एयरपोर्ट प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से ले और मच्छर नियंत्रण के लिए उचित फॉगिंग और कीटनाशक स्प्रे जैसे उपाय किए जाएं। साथ ही, एयरपोर्ट परिसर की सफाई व्यवस्था को और मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से यात्रियों को जूझना न पड़े। पहले भी उठ चुके हैं सवाल कुछ महीनों पहले भी एयरपोर्ट के अंदर चूहों और कबूतरों के दिखाई देने की खबरें आई थीं। उस समय भी सोशल मीडिया पर यात्रियों ने नाराजगी जताई थी और प्रबंधन को सतर्क होने की हिदायत दी थी। लेकिन अब मच्छरों की समस्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रबंधन यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है? स्वच्छता रैंकिंग पर असर जब इंदौर पूरे देश में स्वच्छता के क्षेत्र में नंबर 1 शहर के तौर पर जाना जाता है, तो फिर उसके एयरपोर्ट पर इस तरह की अव्यवस्था इमेज को खराब कर सकती है। यह समय है जब संबंधित विभागों को एकजुट होकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए। इंदौर एयरपोर्ट पर मच्छरों की समस्या ने यात्रियों की चिंता को बढ़ा दिया है। एक तरफ स्मार्ट सिटी और स्वच्छ शहर के दावे, दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं की कमी – यह विरोधाभास अब और नहीं चल सकता। संबंधित अधिकारियों को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यात्रियों को सुरक्षित, स्वच्छ और आरामदायक यात्रा अनुभव मिल सके। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
बारिश के इंतजार में इंदौर: आधा महीना सूखा बीता, 12 इंच औसत बारिश अब भी दूर

Best Indore News इंदौर – मध्यप्रदेश का प्रमुख शहर इंदौर इन दिनों मानसून की बेरुखी से जूझ रहा है। जुलाई का आधा महीना बीत चुका है लेकिन अब तक शहर में सामान्य बारिश का आंकड़ा नहीं छू पाया है। इस बार बादलों की आवाजाही तो दिखी, पर पानी नहीं बरस सका। बारिश की कमी ने किसानों, आम जनता और नगर प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। अब तक की स्थिति: इंदौर मौसम विभाग के अनुसार, इंदौर में इस वर्ष जुलाई में अब तक औसतन मात्र 6 से 6.5 इंच बारिश ही दर्ज हुई है, जबकि सामान्य तौर पर इस समय तक 12 इंच के आसपास वर्षा हो जानी चाहिए थी। यानी लगभग 50% की कमी देखी जा रही है। बादल आए, पर बरसे नहीं: बीते कुछ दिनों में इंदौर में कई बार आसमान पर बादल मंडराए, बिजली चमकी और हवाएं भी चलीं, लेकिन अपेक्षित बारिश नहीं हो सकी। यह स्थिति खासकर ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। किसानों ने बोवनी की तैयारी की थी, लेकिन पर्याप्त पानी न मिलने के कारण कई जगहों पर खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। किसान संकट में: किसानों का कहना है कि यदि आगामी एक सप्ताह में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो खरीफ की फसलें खासकर सोयाबीन, मूंगफली, और मक्का पर संकट मंडरा सकता है। कई किसानों ने बोवनी को रोक दिया है तो कुछ ने शुरुआती बुवाई करके अब चिंतित मुद्रा में खेतों की ओर निहारना शुरू कर दिया है। जल संकट की आहट: शहर की जल सप्लाई व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है। यशवंत सागर और बिलावली तालाब जैसे जल स्रोतों में जलस्तर सामान्य से कम है। अगर अगले कुछ सप्ताह में मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो पेयजल की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। प्रशासन और मौसम विभाग की नजर: इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन लगातार मौसम विभाग से अपडेट ले रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में फिलहाल कोई बड़ा सिस्टम सक्रिय नहीं है। हालांकि, अगले एक सप्ताह में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। स्वच्छता की चुनौती भी: कम बारिश के कारण शहर में धूल भरे हालात बन गए हैं, जिससे स्वच्छता रैंकिंग पर भी प्रभाव पड़ सकता है। सड़कों पर गंदगी और सूखे कचरे की समस्या बढ़ी है। इंदौर में बारिश की कमी सिर्फ एक मौसमीय घटना नहीं है, बल्कि यह कृषि, जल आपूर्ति और स्वच्छता जैसे कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है। यदि आने वाले दिनों में स्थिति नहीं सुधरी, तो प्रशासन को आपात योजना पर काम करना होगा। उम्मीद है कि सावन के आगे के सप्ताह इंदौर के लिए राहत की बारिश लेकर आएंगे और सूखे की छाया जल्द ही हटेगी। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
8वीं बार इंदौर का नंबर-1 बनना तय: स्वच्छता में फिर रचेगा इतिहास, भोपाल, देवास और शाहगंज को प्रेसिडेंशियल अवार्ड

Best Indore News इंदौर एक बार फिर इतिहास रचने के कगार पर है। देश के सबसे स्वच्छ शहर की सूची में इंदौर का आठवीं बार शीर्ष स्थान पक्का माना जा रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के परिणाम आज घोषित किए जाएंगे और सभी निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि इंदौर इस बार भी नंबर-1 की कुर्सी पर कायम रहता है या नहीं। हालांकि, संकेत साफ हैं कि इंदौर की सफाई व्यवस्था और जनसहभागिता ने फिर बाजी मारी है। स्वच्छता का प्रतीक बना इंदौर इंदौर ने बीते वर्षों में जिस प्रकार स्वच्छता के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किया है, वह अन्य शहरों के लिए मिसाल बन चुका है। यहाँ कचरा प्रबंधन से लेकर सड़कों की सफाई, पब्लिक टॉयलेट्स की सुविधा और वेस्ट से वेल्थ के प्रोजेक्ट्स तक सब कुछ सुनियोजित तरीके से लागू किया गया है। नगर निगम और नागरिकों की साझेदारी ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है। भोपाल, देवास और शाहगंज भी सम्मानित स्वच्छता के इस राष्ट्रीय अभियान में सिर्फ इंदौर ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य शहर भी पीछे नहीं हैं। भोपाल, देवास और शाहगंज को प्रेसिडेंशियल अवार्ड से नवाजा गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि पूरे प्रदेश ने इस अभियान को एक आंदोलन का रूप दे दिया है। क्या है स्वच्छ सर्वेक्षण? स्वच्छ सर्वेक्षण भारत सरकार का एक वार्षिक अभियान है, जिसमें शहरी क्षेत्रों की सफाई, नागरिक भागीदारी, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता अभियान और तकनीकी पहलुओं का मूल्यांकन किया जाता है। 2024 के सर्वेक्षण में लाखों नागरिकों की राय, फील्ड इंस्पेक्शन और डिजिटल डॉक्युमेंटेशन के आधार पर शहरों की रैंकिंग तय की जा रही है। इंदौर की सफाई रणनीति के मुख्य बिंदु: इंदौर का आत्मविश्वास और जनता का योगदान इस बार का सर्वेक्षण और अधिक कड़ा था, लेकिन इंदौर ने लगातार सुधार और नवाचार से अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी। स्थानीय प्रशासन से लेकर आम नागरिकों तक सभी ने स्वच्छता को केवल सरकारी काम नहीं, बल्कि अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में अपनाया। आज आएंगे नतीजे स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजे आज केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए जाएंगे। इंदौर के नागरिकों और नगर निगम के अधिकारियों को पूर्ण विश्वास है कि उनका शहर फिर से नंबर-1 का ताज पहनेगा। यदि इंदौर लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनता है, तो यह न केवल इंदौरवासियों के लिए गर्व की बात होगी, बल्कि पूरे भारत के लिए यह एक इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
महू-बड़वाह रेल लाइन: जंगल की जमीन से रास्ता साफ, 1.25 लाख पेड़ों की कटाई की तैयारी

Best Indore News मध्यप्रदेश में लंबे समय से अटके महू-बड़वाह ब्रॉडगेज रेल प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अब वन विभाग की मंजूरी मिल गई है, जिससे इंदौर और निमाड़ क्षेत्र के बीच सीधी रेल कनेक्टिविटी का रास्ता अब साफ हो गया है। हालांकि, इस विकास कार्य की एक भारी कीमत चुकानी होगी — इस परियोजना में करीब 1.25 लाख पेड़ काटे जाएंगे। परियोजना में इंदौर जिले की 408 हेक्टेयर और बड़वाह (खंडवा) की 46 हेक्टेयर वन भूमि को अधिग्रहण में शामिल किया गया है। क्या है महू-बड़वाह रेल प्रोजेक्ट? महू से बड़वाह के बीच प्रस्तावित यह ब्रॉडगेज रेल लाइन लगभग 63 किलोमीटर लंबी होगी। यह प्रोजेक्ट मालवा और निमाड़ क्षेत्रों को सीधे रेल मार्ग से जोड़ेगा, जिससे इंदौर से बड़वानी, खंडवा, बड़वाह, और यहां तक कि महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों तक संपर्क आसान हो जाएगा। प्रोजेक्ट की विशेषताएं: वन विभाग की मंजूरी, लेकिन पर्यावरण की कीमत इस परियोजना को पूरा करने के लिए वन विभाग से ‘फॉरेस्ट क्लीयरेंस’ की पहली और दूसरी स्टेज की मंजूरी मिल चुकी है। अब रेलवे को भूमि स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करनी है। परंतु चिंता का विषय यह है कि: वन विभाग ने क्लियरेंस देते समय कंडीशनल अप्रूवल दिया है जिसमें वन संरक्षण के बदले में वृक्षारोपण और पर्यावरणीय उपायों को अनिवार्य किया गया है। बदलाव की कीमत: पेड़ों की जगह लगेगा पौधों का जंगल? परियोजना को मंजूरी देते समय वन विभाग ने रेलवे को निर्देश दिए हैं कि: हालांकि, पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि “पेड़ों की भरपाई पौधों से संभव नहीं होती, क्योंकि एक वयस्क पेड़ की पर्यावरणीय क्षमता कई पौधों से ज्यादा होती है।” क्षेत्रीय लाभ: क्या बदलेगा इस रेल लाइन से? विरोध के स्वर भी तेज हालांकि विकास परियोजना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में चिंता बनी हुई है।वन्यजीव विशेषज्ञ कहते हैं: “यह रेल लाइन वन्यजीवों के नैसर्गिक रास्तों को बाधित करेगी। जंगल का टुकड़ों में विभाजन लंबे समय में जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगा।” कुछ संगठनों ने यह मांग भी उठाई है कि रेल लाइन को वैकल्पिक मार्ग से ले जाया जाए या एलीवेटेड सेक्शन बनाए जाएं, जिससे जंगल की ज़मीन को नुकसान न पहुंचे। क्या आगे की प्रक्रिया है? महू-बड़वाह रेल लाइन मध्यप्रदेश की एक बड़ी और आवश्यक परियोजना है, जो लोगों की आवाजाही, व्यापार, और पर्यटन को गति देगी। लेकिन यह भी जरूरी है कि इस विकास की कीमत प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर न चुकाई जाए। एक ओर जहां यह प्रोजेक्ट इंदौर और निमाड़ को करीब लाएगा, वहीं हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हर कटे पेड़ की भरपाई सही तरीके से हो और पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
ये ओंकारेश्वर मार्ग है…: सावन में बदहाली का आलम, व्यवस्था नदारद, कावड़ियों के लिए कठिन हुई यात्रा

Best Indore News सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जब लाखों श्रद्धालु देशभर के शिवधामों की ओर कावड़ लेकर निकलते हैं। मध्यप्रदेश के प्रमुख ज्योतिर्लिंग श्री ओंकारेश्वर महादेव तक पहुँचने वाला मार्ग हर साल इस समय भारी भीड़ का साक्षी बनता है। लेकिन इस बार श्रद्धा की डगर दुश्वार हो गई है, क्योंकि ओंकारेश्वर मार्ग की हालत जर्जर, अव्यवस्थित और खतरनाक बनी हुई है। कावड़ यात्रा की राह में गड्ढे, कीचड़ और ट्रैफिक श्रद्धालु कावड़ लेकर पैदल चल रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो पीने का पानी मिल रहा है, न विश्राम स्थल, और न ही प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं, गड्ढों में पानी भरा हुआ है, और कई स्थानों पर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। इंदौर से ओंकारेश्वर तक के मार्ग में सबसे अधिक दिक्कतें सिमरोल, मंदलेश्वर और कसरावद क्षेत्र में सामने आ रही हैं। श्रद्धालुओं ने बताया कि: “सड़क के दोनों ओर न तो बैरिकेड्स हैं और न ही पैदल यात्रियों के लिए अलग लेन। बड़ी गाड़ियों से टकराने का डर हर पल बना रहता है।” कावड़ियों की बढ़ती संख्या, घटती सुविधाएं हर साल की तरह इस बार भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु: लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक: बिना सुरक्षा के यात्रा: हादसों का खतरा जैसे-जैसे कावड़ यात्रा का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे हादसों का खतरा भी बढ़ रहा है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों ने खुद आगे आकर श्रद्धालुओं की मदद के लिए पेयजल स्टॉल, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और विश्राम स्थल बनाए हैं, लेकिन प्रशासन का सहयोग लगभग न के बराबर है। स्थानीय लोगों और ग्रामीणों का आक्रोश मार्ग से जुड़े गांवों के लोगों ने भी नाराजगी जताई है। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा: “हर साल सावन में यही हाल होता है। श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती है, लेकिन सड़क की मरम्मत, सफाई या मेडिकल सुविधा नहीं मिलती।” ग्राउंड रियलिटी: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें कई सोशल मीडिया यूज़र्स और स्थानीय पत्रकारों ने तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं, जिनमें: ये दृश्य न केवल सरकार की लापरवाही को उजागर करते हैं, बल्कि श्रद्धा की डगर को संघर्ष में बदलते दिखाते हैं। मेडिकल सहायता की भारी कमी सावन जैसे पर्व में जब कई बुजुर्ग और बीमार श्रद्धालु भी यात्रा करते हैं, चलती स्वास्थ्य सेवा (mobile health van) का होना अत्यंत आवश्यक होता है। लेकिन: प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही? अधिकारियों का कहना है कि: “व्यवस्थाएं की जा रही हैं, परंतु भारी बारिश के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। जल्दी ही सुधार कार्य प्रारंभ होगा।” हालांकि कावड़ियों का कहना है कि यह बहाना हर साल दोहराया जाता है, लेकिन व्यवस्थाओं में कभी सुधार नहीं होता। क्या होनी चाहिए कार्रवाई? सावन के इस पुण्य मास में ओंकारेश्वर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल तक पहुंचना आस्था की डगर नहीं, बल्कि सहनशीलता की परीक्षा बन गया है। जब लाखों श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर यात्रा कर रहे हैं, तब व्यवस्था का अभाव उनकी कठिनाइयों को बढ़ा रहा है। इस बार नहीं, तो कब? श्रद्धा की राह को सुगम बनाने का सही समय अब है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
स्वच्छता में शीर्ष शहरों को एक-एक शहर गोद लेना होगा… इसी से तय होगी रैंकिंग

Best Indore News स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों में एक बड़ा बदलाव करते हुए घोषणा की है कि अब स्वच्छता में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहरों को एक-एक शहर गोद लेना होगा। यही नहीं, गोद लिए गए शहर की स्वच्छता में सुधार ही उनकी अगली रैंकिंग का आधार बनेगा। इस नई प्रणाली का उद्देश्य केवल अपने शहर को स्वच्छ बनाना नहीं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर साथ लेकर चलना है। स्वच्छता में लगातार नंबर 1 रहने वाले शहरों पर बढ़ी जिम्मेदारी जैसे कि इंदौर, जो लगातार 7 वर्षों से स्वच्छता में देश का नंबर 1 शहर बना हुआ है, उसे अब सरकार द्वारा तय किए गए किसी कम रैंकिंग वाले शहर को गोद लेना होगा और वहां स्वच्छता के मॉडल को लागू करने में मदद करनी होगी। इस अभियान को नाम दिया गया है – “एक शहर, एक संकल्प”। क्या है योजना का उद्देश्य? स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के नए दिशानिर्देशों के अनुसार: इंदौर के लिए नया चैलेंज इंदौर नगर निगम कमिश्नर ने इस योजना को लेकर कहा: “हम इस नई व्यवस्था का स्वागत करते हैं। इंदौर ने जो सीखा है, उसे पूरे देश के साथ साझा करना हमारी जिम्मेदारी है। जल्द ही हम एक प्रभावी कार्य योजना बनाएंगे।” संभावना है कि इंदौर को एमपी या आसपास के राज्यों के किसी पिछड़े नगर को गोद लेने की जिम्मेदारी मिलेगी। नगर निगम की टीम पहले से ही कुछ मॉड्यूल और टीम तैयार कर रही है। देशभर में कैसे लागू होगा ये मॉडल? रैंकिंग में क्या बदलेगा? नई स्वच्छता रैंकिंग में निम्नलिखित बदलाव होंगे: पुरानी व्यवस्था नई व्यवस्था केवल अपने शहर का प्रदर्शन अपने + गोद लिए गए शहर का प्रदर्शन कचरा प्रबंधन, ULB दस्तावेज़ जन-सहभागिता, मेंटरशिप फील्ड सर्वे इम्पैक्ट ऑडिट भी शामिल इससे लोगों को परिणाम नज़र आने वाले बदलावों की ओर आकर्षित किया जाएगा। विशेषज्ञों की राय क्या है? ** uraban planner डॉ. अशोक वर्मा** कहते हैं: “स्वच्छता केवल सिस्टम से नहीं आती, यह एक आदत है। अगर सफल शहर अपनी आदतें और रणनीतियाँ दूसरों के साथ बांटेंगे, तो यह एक स्थायी आंदोलन बन सकता है।” गोद लिए शहरों को क्या मिलेगा? इंदौर मॉडल” को अपनाने की तैयारी इंदौर की उपलब्धियाँ: अब इन मॉडलों को गोद लिए शहरों में स्थापित करने की योजना बनाई जाएगी। स्वच्छता सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। यदि हर टॉप शहर एक-एक कमजोर शहर को साथ लेकर चले, तो देश के हजारों शहरों को नया जीवन मिल सकता है। यह योजना भारत को न केवल स्वच्छ बनाएगी, बल्कि एकजुटता और साझा उत्तरदायित्व का भी संदेश देगी। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
एमपी में 72% बारिश पूरी, निवाड़ी में कोटा फुल; इंदौर-उज्जैन पिछड़े, आज 18 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

Best Indore News मध्यप्रदेश में मानसून ने धीरे-धीरे गति पकड़ ली है। जुलाई के तीसरे सप्ताह तक राज्य में औसतन 72% वर्षा हो चुकी है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक प्रदेश में 464.5 मिमी (करीब 18.2 इंच) बारिश दर्ज की गई है। हालांकि, राज्य के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई है, वहीं इंदौर और उज्जैन जैसे बड़े शहर अभी भी औसत से पीछे चल रहे हैं। कहां कितनी बारिश हुई अब तक? मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार: संभाग औसत बारिश (%) स्थिति निवाड़ी 100% (कोटा फुल) सामान्य से अधिक टीकमगढ़ 98% सामान्य शहडोल 92% सामान्य सीधी 90% सामान्य इंदौर 52% औसत से कम उज्जैन 50% औसत से कम राज्य के पूर्वी हिस्सों में मानसून ज़ोरदार है, लेकिन पश्चिमी और मालवा क्षेत्र अब भी तेज बारिश का इंतजार कर रहा है। आज 18 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि आज यानी 25 जुलाई को प्रदेश के 18 जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इन जिलों में: इन क्षेत्रों में जलभराव, सड़क जाम और नदियों के जलस्तर में वृद्धि की संभावना को देखते हुए प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। इंदौर और उज्जैन में बारिश की कमी क्यों? हालांकि मानसून प्रदेश में सक्रिय है, परंतु इंदौर और उज्जैन संभागों में मानसूनी सिस्टम अभी तक प्रभावी नहीं रहा। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि: जलस्तर बढ़ा, पर कुछ जिलों में जल संकट बरकरार जहां एक ओर निवाड़ी, टीकमगढ़, और शहडोल जैसे जिलों में तालाब, डेम और नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है, वहीं इंदौर और उज्जैन में अब भी कई जल स्रोत आधा ही भर पाए हैं। इससे आने वाले महीनों में पेयजल संकट की संभावना बनी हुई है। किसानों की मिली-जुली प्रतिक्रिया प्रदेश के किसान इस वर्षा की स्थिति को लेकर मिश्रित अनुभव साझा कर रहे हैं: प्रशासन अलर्ट पर, राहत टीमें तैनात राज्य सरकार ने भारी बारिश वाले जिलों में: मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार 24×7 कंट्रोल रूम चालू कर दिए गए हैं। क्या होगा आगे? मौसम विभाग की भविष्यवाणी आईएमडी के अनुसार: हालांकि 2025 का मानसून अब तक सामान्य आंकड़ों के आसपास है, लेकिन इसके असंतुलित वितरण ने कुछ क्षेत्रों में राहत और कुछ में परेशानी खड़ी कर दी है। आगामी दिनों में बनने वाला स्ट्रॉन्ग सिस्टम ही इंदौर, उज्जैन जैसे क्षेत्रों के हालात को सामान्य बना सकेगा। अब देखना होगा कि अगस्त की बारिश संतुलन बनाए रखती है या नहीं। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
सड़क हादसे में ढाबा संचालक की मौत:महाकाल दर्शन से लौटते वक्त धरावरा धाम के पास कंटेनर ने बाइक को मारी टक्कर, कुक घायल

Best Indore News एक धार्मिक यात्रा के दौरान एक परिवार में मातम छा गया। धार जिले के धरावरा धाम के पास सोमवार रात एक दर्दनाक सड़क हादसे में ढाबा संचालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका साथी, जो पेशे से कुक है, गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसा उस समय हुआ जब वे दोनों महाकाल दर्शन कर लौट रहे थे और उनकी बाइक को तेज रफ्तार कंटेनर ने टक्कर मार दी। इस हृदय विदारक हादसे ने न सिर्फ परिजनों को गहरे दुख में डुबो दिया, बल्कि इलाके के लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है। हादसा कैसे हुआ? जानकारी के अनुसार, मृतक राजेश सोलंकी (उम्र लगभग 38 वर्ष) इंदौर-बड़वानी हाईवे के समीप स्थित एक ढाबे का संचालन करते थे। वे सोमवार को अपने साथी कुक शिवराज (32 वर्ष) के साथ उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए गए थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक सवार दोनों लोग दूर जा गिरे। राजेश सोलंकी के सिर में गहरी चोट लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि शिवराज को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मदद देर से पहुंची, कंटेनर चालक फरार हादसे के बाद आस-पास के लोगों ने पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी। करीब 20 मिनट बाद एंबुलेंस और पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने वाहन जब्त कर लिया है और सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। राजेश सोलंकी: मेहनती ढाबा संचालक, सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्ति राजेश सोलंकी न सिर्फ एक ढाबा संचालक थे, बल्कि वह क्षेत्र में एक लोकप्रिय और मददगार व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। उनका ढाबा धार रोड पर स्थित था, जहां हर दिन सैकड़ों लोग भोजन करने आते थे। स्थानीय लोगों के अनुसार: “राजेश बहुत ही विनम्र और धर्मपरायण इंसान थे। हर सोमवार को उपवास रखते और महाकाल के दर्शन अवश्य करते थे।” उनकी असमय मृत्यु ने परिजनों के साथ-साथ ग्राहकों और मित्रों को भी गहरे शोक में डाल दिया है। शिवराज की हालत गंभीर, ICU में भर्ती राजेश के साथ बाइक पर सवार शिवराज पेशे से ढाबे का कुक है। हादसे में उसकी टांग और सिर में गंभीर चोटें आई हैं। डॉक्टरों ने बताया कि: पुलिस कर रही है जांच, जल्द होगी गिरफ्तारी धरावरा थाना प्रभारी ने मीडिया को बताया कि: “हमने कंटेनर जब्त कर लिया है और नंबर के आधार पर ड्राइवर की पहचान की जा रही है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।” मामले में लापरवाही से वाहन चलाने और गैर-इरादतन हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों में गुस्सा, सड़क सुरक्षा पर उठे सवाल इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि: परिवार में मातम, ढाबा हुआ बंद राजेश की मौत की खबर सुनते ही उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मंगलवार को उनके ढाबे पर सन्नाटा पसरा रहा। कई ग्राहक और परिचित श्रद्धांजलि देने पहुंचे। स्थानीय व्यापारी संघ ने प्रशासन से मांग की है कि: यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि सड़क पर रफ्तार की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम है। जब तक सड़क सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन नहीं होता, तब तक ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे। राजेश की धार्मिक आस्था और परिवार के लिए मेहनत अब उनकी यादों में जीवित रहेगी। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।