इंदौर के जिला अस्पताल की छत पर मिला दवाईयों का जखीरा, कोविड काल में मंगाई थी

ओंकारेश्वर में बुधवार को नर्मदा नदी के नगरघाट पर स्नान कर रहे दो युवक और एक चार वर्षीय बालक अचानक बढ़े जलस्तर के कारण चट्टानों पर फंस गए। डैम से पानी छोड़े जाने के बाद तेज बहाव में तीनों की जान खतरे में पड़ गई। तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में बुधवार सुबह एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। नगरघाट पर नर्मदा स्नान के दौरान दो युवक और एक चार वर्षीय बालक नदी के बीच चट्टानों पर फंस गए। गनीमत रही कि समय रहते नाविक संघ, होमगार्ड और एसडीआरएफ की तत्परता से तीनों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। चट्टानों पर फंस गए थे तीनों श्रद्धालु प्राप्त जानकारी के अनुसार, विदिशा निवासी बंटी (उम्र 29 वर्ष), सुनील और चार वर्षीय अंश नगरघाट पर स्नान के लिए पहुंचे थे। सुबह घाट पर जलस्तर कम होने के कारण तीनों नर्मदा नदी के बीच चट्टानों पर चले गए। इसी दौरान ओंकारेश्वर डैम से बिजली उत्पादन के लिए टरबाइन चालू कर पानी छोड़ा गया, जिससे नदी का बहाव अचानक तेज हो गया। जब तक तीनों कुछ समझ पाते, वे तेज धाराओं के बीच फंस चुके थे। नाविक संघ और SDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन तीर्थयात्रियों की जान खतरे में देखकर ओंकारेश्वर नाविक संघ के सदस्य सेलू पिता मंगू सबसे पहले बिना इंजन वाली नाव से मदद के लिए पहुंचे, लेकिन तेज बहाव और बिना इंजन की नाव के चलते उनका प्रयास सफल नहीं हो सका। इसके बाद नाविक संघ के ही पिंटू उर्फ पंकज केवट (पिता मंगू) ने डीजल इंजन वाली नाव से घटनास्थल पर पहुंचकर होमगार्ड और SDRF जवानों की मदद से तीनों को सुरक्षित नगरघाट पर वापस लाया। बचाव कार्य में इनका रहा अहम योगदान रेस्क्यू ऑपरेशन में नाविक संघ के पिंटू उर्फ पंकज केवट और सेलू पिता मंगू के साथ सैनिक नवल सिंह और एचडीईआरएफ (SDRF) के महेश रावत की भी सराहनीय भूमिका रही। समय रहते की गई इस कार्रवाई से एक बड़ा हादसा टल गया। स्थानीयों की प्रशासन से मांग घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और नाविक संघ ने प्रशासन से मांग की है कि जब तक सभी इंजन चालित नावें घाटों पर उपलब्ध नहीं हो जातीं, तब तक हर घाट पर कम से कम एक इंजन युक्त नाव की अनिवार्य तैनाती सुनिश्चित की जाए। लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं बारिश के मौसम में और अधिक बढ़ सकती हैं, लिहाज़ा एहतियातन पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं।