इंदौर से 22 जून को होगी श्रीकृष्ण संगीतमय यात्रा की शुरुआत, 11 शहरों तक पहुंचेगी श्रद्धा की गूंज

Indore News: 11 शहरों में कृष्ण भक्ति की संगीतमय यात्रा का आयोजन होने जा रहा है। यह एक आध्यात्मिक और संगीतमय अनुभव है। जिसकी शुरुआत 22 जून को इंदौर से होगी। मध्य प्रदेश के 11 शहरों में कृष्ण भक्ति की संगीतमय यात्रा का आयोजन होने जा रहा है। इसकी शुरुआत इंदौर से होगी। इस यात्रा के माध्यम से श्रीकृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को संगीत, दर्शन और कहानी के माध्यम से जीवंत किया जाएगा। इंदौर के लाभ मंडपम में कृष्णभक्ति पर आधारित संगीतमय यात्रा का शुभारंभ किया जाएगा। शहरवासियों के लिए इसका आयोजन दो समय पर किया जाएगा, शाम 4:30 बजे और 7:30 बजे। आयोजक एडी वेंचर्स प्रोडक्शन की टीम ने पत्रकार वार्ता में बताया कि यह संगीतमय प्रस्तुति श्रीकृष्ण को एक विचारक, कलाकार, योद्धा और मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करती है, जो आज की पीढ़ी को गहराई से जोड़ती है। इसका नाम ‘कृष्णा- म्यूजिक, ब्लिस एंड बियॉन्ड’ दिया गया है। यह एक आध्यात्मिक और संगीतमय अनुभव है। यह भव्य संगीतमय यात्रा 11 शहरों में आयोजित की जाएगी, जिसकी शुरुआत 22 जून को इंदौर से होगी। कार्यक्रम का नेतृत्व एक अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार अमेय डबली करेंगे, जिन्होंने अब तक 4,000 से अधिक कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दी है। वे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, एआर रहमान, पं. राकेश चौरसिया, सलीम-सुलेमान और शान जैसे दिग्गजों के साथ मंच साझा कर चुके हैं। उनकी आवाज़ में भक्ति और आत्मा की गहराई साफ झलकती है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।
जून 2025 व्रत और त्योहार: गुप्त नवरात्रि से रथ यात्रा तक जानिए हर तिथि का महत्व

भारतीय पंचांग के अनुसार हर माह कई धार्मिक व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, जो न केवल हमारे धार्मिक जीवन को समृद्ध करते हैं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। जून 2025 भी विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस माह में महेश नवमी, निर्जला एकादशी, वट सावित्री पूर्णिमा, गुप्त नवरात्रि, और जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे पर्व पड़ रहे हैं। इस लेख में हम जून 2025 में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों की पूरी सूची, उनके धार्मिक महत्व, और पूजन विधियों की जानकारी देंगे, ताकि आप इन्हें अपने कैलेंडर में मार्क कर सकें और इन शुभ अवसरों पर सही रूप से पूजा कर सकें। जून 2025 के व्रत और त्योहारों की तिथिवार सूची : तिथि व्रत / त्योहार तिथि व्रत / त्योहार 4 जून 2025 महेश नवमी 15 जून 2025 मिथुन संक्रांति 5 जून 2025 गंगा दशहरा 21 जून 2025 योगिनी एकादशी 6 जून 2025 निर्जला एकादशी 23 जून 2025 प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि 8 जून 2025 प्रदोष व्रत 25 जून 2025 आषाढ़ अमावस्या 10 जून 2025 वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 26 जून 2025 आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ 11 जून 2025 कबीरदास जयंती, ज्येष्ठ पूर्णिमा 27 जून 2025 जगन्नाथ रथ यात्रा 12 जून 2025 आषाढ़ माह प्रारंभ 28 जून 2025 विनायक चतुर्थी 14 जून 2025 कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी — — 🔹 4 जून – महेश नवमी महेश नवमी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। जो दंपति संतान सुख की कामना करते हैं, उन्हें इस दिन विशेष व्रत और शिवलिंग अभिषेक करना चाहिए। 🔹 5 जून – गंगा दशहरा गंगा दशहरा को लेकर मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। गंगा स्नान, दान और गंगा आरती इस दिन विशेष पुण्य फल देती है। इस दिन मानसिक, शारीरिक और आत्मिक पापों का नाश होता है। 🔹 6 जून – निर्जला एकादशी निर्जला एकादशी व्रत को सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इस दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास रखा जाता है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। यह व्रत मानसिक शुद्धि, पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। 🔹 8 जून – प्रदोष व्रत प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना का दिन होता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को आता है और शाम के समय शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है। यह व्रत व्यक्ति को रोग, दोष और दरिद्रता से मुक्ति दिलाता है। 🔹 10 जून – वट सावित्री पूर्णिमा विवाहित स्त्रियों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियां वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। यह व्रत देवी सावित्री की दृढ़ता और पतिव्रता धर्म की प्रेरणा देता है। 🔹 11 जून – कबीरदास जयंती एवं ज्येष्ठ पूर्णिमा संत कबीरदास का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाता है। वे न केवल कवि बल्कि समाज सुधारक भी थे। उनकी रचनाएं आज भी लोगों को आध्यात्मिकता और मानवता का पाठ पढ़ाती हैं। 🔹 12 जून – आषाढ़ माह का प्रारंभ जून के मध्य में आषाढ़ मास आरंभ होता है। इस माह में श्रीहरि विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना गया है। विशेषतः सोमवार और एकादशी को उपवास करने से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है। 🔹 14 जून – कृष्ण पिंगल संकष्टी चतुर्थी इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। चंद्रमा के दर्शन के साथ यह व्रत समाप्त होता है। यह व्रत संकटों को दूर करता है और सौभाग्य में वृद्धि करता है। 🔹 15 जून – मिथुन संक्रांति इस दिन सूर्यदेव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। यह संक्रांति सूर्य उपासना, स्नान और दान के लिए उत्तम समय माना जाता है। 🔹 21 जून – योगिनी एकादशी शास्त्रों में वर्णित है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल मिलता है। यह व्रत पापों से मुक्ति और आरोग्य प्रदान करता है। 🔹 23 जून – प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि एक ही दिन दो विशेष पर्व – प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि – इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राष्टक का पाठ और रात्रि जागरण किया जाता है। 🔹 25 जून – आषाढ़ अमावस्या यह तिथि पितरों की शांति के लिए अति महत्वपूर्ण है। तर्पण, दान और ब्राह्मण भोज का आयोजन करके पितृ ऋण से मुक्ति पाई जाती है। 🔹 26 जून – गुप्त नवरात्रि प्रारंभ गुप्त नवरात्रि उन साधकों के लिए खास होती है जो तंत्र, मंत्र और शक्ति साधना करते हैं। इस नवरात्रि में देवी दुर्गा के गुप्त रूपों की पूजा की जाती है। यह आत्मशक्ति और आंतरिक जागरण का पर्व है। 🔹 27 जून – जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त पुरी पहुंचते हैं। यह आयोजन भक्तिभाव, प्रेम और सेवा की मिसाल है। 🔹 28 जून – विनायक चतुर्थी गणेश चतुर्थी हर माह आती है, लेकिन आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी भी विशेष महत्व रखती है। इस दिन गणेश जी को दूर्वा, मोदक और सिंदूर चढ़ाकर व्रत रखा जाता है। जून 2025 का महीना न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, आराधना और आस्था की अनुभूति का भी समय है। यदि आप व्रत-उपवास, पूजन और पर्वों में श्रद्धा रखते हैं तो ऊपर दी गई तिथियों को अपने जीवन में उतारें और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाएं।
“आज का पंचांग 11 जून 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा आज, एक क्लिक में पढ़ें शुभ योग, मुहूर्त और पंचांग”

“आज का पंचांग 11 जून 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा आज, एक क्लिक में पढ़ें शुभ योग, मुहूर्त और पंचांग” आज मनाई जा रही है पावन ज्येष्ठ पूर्णिमा। यह शुभ तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु आज के दिन पूरे भक्तिभाव से पूजन, व्रत और जप-तप करते हैं, उन्हें असीम धन-संपदा, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।इस दिन की पूजा न केवल सांसारिक कष्टों को दूर करती है, बल्कि जीवन में शांति और खुशहाली का संचार भी करती है।11 जून 2025 के पंचांग के अनुसार आज के दिन कोई भी कार्य आरंभ करने से पूर्व शुभ और अशुभ समय की जानकारी अवश्य लेनी चाहिए। नीचे आज के प्रमुख मुहूर्त एवं योग दिए जा रहे हैं, जो आपके दिन को सफल और मंगलमय बना सकते हैं। आज का पंचांग – 11 जून 2025 (बुधवार) पंचांग विवरण सूर्योदय एवं सूर्यास्त का समय शुभ मुहूर्त अशुभ समय आज का नक्षत्र: ज्येष्ठ
धर्म

तिथि: 10 जून 2025राष्ट्रीय मिति: ज्येष्ठ 20, शक संवत 1947विक्रम संवत: 2082सूर्य स्थिति:उत्तरायण, उत्तर गोल, ग्रीष्म ऋतुसूर्योदय: सुबह 5:22 बजेसूर्यास्त: शाम 7:18 बजे वट सावित्री व्रत (पूर्णिमा पक्ष) सुहागिन महिलाएं इस दिन वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं और अपने पति की दीर्घायु तथा अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। सावित्री और सत्यवान की कथा सुनकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। श्री सत्यनारायण व्रत भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप – श्री सत्यनारायण की पूजा इस दिन की जाती है। भक्त कथा का श्रवण करते हैं और नैवेद्य अर्पण कर सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। 10 जून 2025 का पंचांग विवरण: 10 जून के शुभ मुहूर्त: मुहूर्त समय ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:02 – 4:42 बजे विजय मुहूर्त दोपहर 2:40 – 3:36 बजे गोधूलि बेला शाम 7:17 – 7:38 बजे रवि योग सुबह 5:23 – 6:02 बजे अमृत काल सुबह 10:36 – 12:20 बजे निशिथ काल रात 12:01 – 12:41 बजे 10 जून के अशुभ मुहूर्त: अशुभ काल समय राहुकाल दोपहर 3:00 – 4:30 बजे गुलिक काल दोपहर 12:00 – 1:30 बजे यमगंड काल सुबह 9:00 – 10:30 बजे दुर्मुहूर्त सुबह 8:10 – 9:06 बजे आज का विशेष उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को तुलसी की माला अर्पित करें। यह उपाय शत्रु बाधाओं को शांत करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। धार्मिक महत्व : इस दिन दो महत्वपूर्ण व्रत एक साथ पड़ रहे हैं—वट सावित्री और श्री सत्यनारायण व्रत। ऐसे योग में व्रत रखने से दुगुना पुण्य प्राप्त होता है। चतुर्दशी से पूर्णिमा की ओर जाते हुए यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माना गया है। विशेष नोट: ज्योतिषीय सलाह : यदि आप इस दिन जन्म कुण्डली से जुड़ी कोई शुभ योजना बनाना चाहते हैं, तो विजय मुहूर्त या गोधूलि बेला श्रेष्ठ मानी गई है।