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जुलाई 2025 में गुरु-शनि समेत 6 बड़े ग्रहों का गोचर: इन 6 राशियों को मिलेगा भाग्य का साथ, धन और प्रतिष्ठा में वृद्धि

Best Indore july month planetary transit, Indore–July 07, 2025

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जुलाई 2025 एक अत्यंत महत्वपूर्ण माह साबित होने वाला है। इस महीने गुरु (बृहस्पति), शनि, सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र जैसे छह प्रभावशाली ग्रह अपनी स्थिति में परिवर्तन करेंगे। इन ग्रहों की चाल का प्रभाव संपूर्ण विश्व, भारत की अर्थव्यवस्था और 12 राशियों के जीवन पर देखने को मिलेगा। विशेष रूप से 6 राशियाँ – मेष, वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक और कुंभ – इस गोचर से विशेष रूप से लाभान्वित होंगी। आइए जानें कब-कब होगा ग्रह परिवर्तन और किन-किन राशियों को मिलेगा इसका शुभ फल। जुलाई 2025 ग्रह गोचर कैलेंडर: इन 6 राशियों को मिलेगा विशेष लाभ मेष राशि जुलाई का महीना मेष राशि वालों के लिए ऊर्जा और सफलता से भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी मेहनत रंग लाएगी और आप विरोधियों से आगे निकलेंगे।लाभ: वृषभ राशि आपके पुराने अधूरे कार्य पूरे होंगे और नई ज़िम्मेदारियाँ भी मिल सकती हैं। मेहनत का भरपूर फल मिलेगा और सामाजिक मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।लाभ: मिथुन राशि गुरु और शुक्र का प्रभाव रिश्तों और करियर में सकारात्मकता लाएगा। व्यापार में निवेश फलदायी रहेगा और आय के नए स्रोत खुल सकते हैं।लाभ: कन्या राशि यह महीना कन्या राशि के लिए अत्यंत शुभ रहेगा। पढ़ाई, नौकरी और प्रॉपर्टी के मामलों में बड़ी सफलताएँ मिल सकती हैं।लाभ: वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि वालों के लिए यह महीना तरक्की और पदोन्नति लेकर आएगा। निवेश लाभदायक रहेगा और पारिवारिक रिश्तों में सामंजस्य बना रहेगा।लाभ: कुंभ राशि इस राशि वालों को जुलाई में हर क्षेत्र में लाभ मिलेगा। विदेश से जुड़े कार्य, पढ़ाई और दांपत्य जीवन सभी क्षेत्रों में सफलता संभव है।लाभ: जुलाई 2025 के ग्रह गोचर न केवल वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी चाल का असर रोज़मर्रा की जिंदगी में भी देखा जा सकता है। यदि आप उपयुक्त ग्रह योग का लाभ उठाना चाहते हैं, तो अपनी जन्मकुंडली की जांच अवश्य कराएं और अनुभवी ज्योतिषाचार्य से मार्गदर्शन लें। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

इंदौर के प्रसिद्ध शिव मंदिर: आस्था, इतिहास और रहस्यों से भरी पौराणिक धरोहर

Best Indore Famous Shiva Temples of Indore– July 07, 2025

इंदौर न केवल एक आधुनिक औद्योगिक शहर है, बल्कि यह आध्यात्मिकता, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का भी केंद्र है। विशेष रूप से सावन मास में, जब भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है, तब इंदौर के प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इन मंदिरों का ऐतिहासिक, पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व भी अत्यंत विशेष है। इंद्रेश्वर महादेव मंदिर – इंदौर की पहचान से जुड़ा प्राचीन शिवधाम सबसे पहले बात करें इंद्रेश्वर महादेव मंदिर की, जिसे इंदौर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं देवराज इंद्र ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी। यही नहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि इंदौर शहर का नाम भी इस मंदिर के नाम पर ही पड़ा। इसके अतिरिक्त, इतिहास गवाह है कि देवी अहिल्याबाई होलकर स्वयं इस मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने आती थीं, जिससे यह स्थान और भी अधिक पुण्यकारी माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इंदौर की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। गेंदेश्वर महादेव मंदिर – एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों और चार धामों के दर्शन इसके बाद बात करते हैं परदेशीपुरा क्षेत्र में स्थित गेंदेश्वर महादेव मंदिर की, जो अपनी विशिष्टता के लिए पूरे इंदौर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु एक ही स्थान पर 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ चार धामों के दर्शन भी कर सकते हैं। यही नहीं, प्रत्येक संध्या यहां तांडव आरती का आयोजन होता है, जो भक्ति भाव से भर देता है और भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। ऐसे धार्मिक आयोजनों के कारण यह मंदिर इंदौरवासियों के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। भूतेश्वर महादेव मंदिर – श्मशान भूमि पर विराजमान रहस्यमय शिव अब यदि रहस्यमय और तांत्रिक महत्त्व वाले शिव मंदिर की बात करें, तो भूतेश्वर महादेव मंदिर अवश्य उल्लेखनीय है। यह मंदिर श्मशान घाट के समीप स्थित है और जनमान्यता है कि बाबा भूतेश्वर महादेव स्वयं श्मशान भूमि पर विराजमान हैं। विशेष रूप से तंत्र-साधना करने वाले साधक इस स्थान को अत्यंत शक्तिशाली मानते हैं। इतना ही नहीं, इस मंदिर को इंदौर का सबसे पुराना शिवालय भी माना जाता है, जो इसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष बनाता है। देवगुराड़िया शिव मंदिर – नाग-नागिन और अविनाशी जलकुंड का चमत्कार यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का संगम एक साथ अनुभव करना चाहते हैं, तो देवगुराड़िया शिव मंदिर आपके लिए एक उत्तम स्थान है। यह मंदिर इंदौर से लगभग 15 किलोमीटर दूर नेमावर रोड पर स्थित है और यह क्षेत्र अपने प्राचीन धार्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस स्थान पर गरुड़ ने कठोर तपस्या की थी और देवी अहिल्याबाई होलकर ने यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। सबसे अद्भुत बात यह है कि मंदिर परिसर में स्थित एक जलकुंड कभी सूखता नहीं, और यहां नाग-नागिन का स्थायी वास भी माना जाता है। इससे यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक रहस्यमयी आकर्षण का केंद्र बन चुका है। अन्य प्रसिद्ध शिव मंदिर – जबरेश्वर, गुटकेश्वर और निरंजनपुर शिवालय उपरोक्त मंदिरों के अतिरिक्त इंदौर में कई अन्य शिव मंदिर भी हैं जो स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। जबरेश्वर महादेव मंदिर, गुटकेश्वर महादेव मंदिर और निरंजनपुर शिव मंदिर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। प्रत्येक मंदिर का अपना एक अलग महत्व और ऊर्जा है, जिसे भक्तगण प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करते हैं। यदि आप इंदौर में रहते हैं या यहां की यात्रा पर हैं, तो इन शिव मंदिरों के दर्शन अवश्य करें। ये मंदिर न केवल आध्यात्मिक तृप्ति प्रदान करते हैं, बल्कि आत्मिक शांति और ज्योतिषीय लाभ भी देते हैं। सावन मास, महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत जैसे विशेष अवसरों पर इन स्थानों की यात्रा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

इंदौर का चमत्कारी रणजीत हनुमान मंदिर: श्रद्धा, इतिहास और चमत्कारों का संगम

Best Indore Ranjit Hanuman Temple Indore–July 05, 2025

इंदौर, मध्यप्रदेश का दिल, न केवल औद्योगिक प्रगति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी धार्मिक विरासत भी उतनी ही प्राचीन और अद्भुत है। इसी धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है रणजीत हनुमान मंदिर, जो न केवल इंदौर बल्कि समूचे मालवा क्षेत्र में श्रद्धा और चमत्कारों के लिए विख्यात है। इतिहास की गहराइयों से जुड़ी मान्यताएं रणजीत हनुमान मंदिर का इतिहास सन् 1907 से शुरू होता है, जब इंदौर के गुमाश्ता नगर क्षेत्र में स्थित वीरान जंगलों में पहलवानी में रुचि रखने वाले अल्हड़ सिंह भारद्वाज, जो हनुमान जी के परम भक्त थे, ने भगवान हनुमान की एक पवित्र प्रतिमा की स्थापना की थी। उन्होंने एक छोटे से अखाड़े की भी नींव रखी थी, जहाँ शारीरिक और आध्यात्मिक साधना एक साथ होती थी। धीरे-धीरे यह स्थल केवल अखाड़ा न रहकर एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र बन गया, क्योंकि वहाँ ऐसी चमत्कारी घटनाएं घटने लगीं, जिन्हें भक्तजन आज भी श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं। तब से लेकर आज तक इस मंदिर को “रणजीत हनुमान मंदिर” के नाम से जाना जाता है – जिसका शाब्दिक अर्थ है रण (युद्ध) में विजय दिलाने वाला हनुमान। मंदिर से जुड़ी चमत्कारी मान्यताएं समय के साथ इस मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास इतना बढ़ा कि यहाँ आने वाले हर भक्त को यहाँ चमत्कारिक अनुभव प्राप्त होने लगे। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में एक अदृश्य शक्ति का वास है, जो हनुमान जी के स्वरूप में आज भी सक्रिय है। विशेषतः मंगलवार और शनिवार को यहाँ अत्यधिक भीड़ होती है, और भक्त हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड का पाठ करके हनुमान जी को प्रसन्न करते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही एक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मन में भक्ति भाव जाग उठता है और जीवन की समस्याएं क्षण भर में लघु प्रतीत होने लगती हैं। मंदिर की आध्यात्मिक महत्ता और स्थान यह मंदिर इंदौर के फूटी कोठी रोड पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए शहर के किसी भी कोने से आसान यातायात सुविधा उपलब्ध है। मंदिर परिसर शांत, व्यवस्थित और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है, जहाँ प्रवेश करते ही आत्मा को विशेष शांति का अनुभव होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से रणजीत हनुमान ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष, शनि साढ़ेसाती, राहु-केतु के अशुभ योग हों, उन्हें रणजीत हनुमान जी के दर्शन और पूजा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए।यहाँ चोला चढ़ाने, सिंदूर अर्पण करने, और जाप करने जैसे कार्यों से बाधाएं शांत होती हैं, और कार्यों में सफलता मिलने लगती है। श्रद्धा का प्रतीक, विजय का आशीर्वाद यहाँ के बारे में कहा जाता है कि – “जो भी अपने रण में विजय प्राप्त करना चाहता है, वह रणजीत हनुमान के दरबार में जरूर आता है।” चाहे वह नौकरी की प्रतिस्पर्धा हो, पारिवारिक संघर्ष, या मानसिक चिंता – रणजीत हनुमान का नाम लेने मात्र से विजय की राह आसान हो जाती है। इस मंदिर से जुड़े लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव यही बताते हैं कि यहां मनोकामना पूर्ण होने की संभावनाएं और आत्मबल मिलने की शक्ति निश्चित रूप से मिलती है। हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष आयोजन हर वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर इस मंदिर में विशेष भंडारे, भजन संध्या, हवन, और अखंड पाठ आयोजित किए जाते हैं। इस दिन मंदिर में एक विशेष ऊर्जा का वातावरण होता है, जहाँ भक्तों की भावनाएं चरम पर होती हैं और पूरी रात जयकारों से वातावरण गूंजता रहता है। मंदिर जानकारी रणजीत हनुमान मंदिर, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि चमत्कारी अनुभवों का जीवंत प्रतीक है। यहाँ आने से न केवल मन को शांति मिलती है बल्कि जीवन के रण में विजय का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। यदि आपने अब तक इस पावन स्थल के दर्शन नहीं किए हैं, तो अगली बार इंदौर जाएं, तो रणजीत हनुमान मंदिर की यात्रा अवश्य करें। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी: तांत्रिक साधनाओं और देवी उपासना का अद्भुत संगम

Best Indore Ashadh Gupt Navratri Navmi, Indore–July, 2025

भारतवर्ष में देवी दुर्गा की उपासना के अनेक रूप हैं। उनमें से एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली पर्व है – गुप्त नवरात्रि। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है: आषाढ़ और माघ मास में। विशेषकर आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि, जिसे महानवमी भी कहा जाता है, देवी आराधना और तांत्रिक साधनाओं के दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और सिद्धिदायक मानी जाती है। गुप्त नवरात्रि क्या है? गुप्त नवरात्रि का तात्पर्य है – गुप्त रूप से देवी की उपासना। यह पर्व आम नवरात्रि की तरह सार्वजनिक नहीं होता, बल्कि तांत्रिक, साधक और विशेष श्रद्धालु इसे एकांत में मनाते हैं। इस नवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण तिथि होती है नवमी, जब देवी के सभी नौ रूपों और दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। नवमी तिथि का विशेष महत्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करना विशेष फलदायक माना जाता है। इन नौ रूपों में शक्ति के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन होता है। शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो नवदुर्गा की प्रथम रूप हैं और स्थिरता का प्रतीक हैं। ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का आदर्श रूप हैं। चंद्रघंटा शांति और साहस प्रदान करती हैं, जबकि कूष्मांडा ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी मानी जाती हैं। स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं और मातृत्व का प्रतीक हैं। कात्यायनी राक्षसों का नाश करने वाली वीरता की देवी हैं। कालरात्रि बुराइयों का अंत कर भय को दूर करती हैं। महागौरी, शुद्धता और करुणा का स्वरूप हैं, तो वहीं सिद्धिदात्री, साधकों को सिद्धि और ज्ञान प्रदान करती हैं। नवमी को इन सभी रूपों की पूजा करके साधक जीवन की सभी बाधाओं को पार करने की शक्ति प्राप्त करता है। इन रूपों की पूजा करके साधक शक्ति, स्वास्थ्य, वैभव, और सफलता प्राप्त करते हैं। तांत्रिक साधना और दस महाविद्याएं गुप्त नवरात्रि मुख्यतः तांत्रिक साधकों के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी समय होता है, जिसमें नवमी तिथि को विशेष रूप से दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं शक्ति के दस महान और उग्र स्वरूपों को दर्शाती हैं। इनमें काली विनाश और मोक्ष की देवी हैं, तारा जीवनदायिनी और ज्ञान की प्रतीक हैं, जबकि त्रिपुर सुंदरी सौंदर्य, प्रेम और भोग की देवी मानी जाती हैं। भुवनेश्वरी ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री हैं, और भैरवी तांत्रिक जागरण का उग्र रूप हैं। छिन्नमस्ता आत्मबलिदान और ऊर्जा के नियंत्रण की देवी हैं, वहीं धूमावती त्याग और वैराग्य का रूप हैं। बगलामुखी शत्रुओं को स्तंभित करने वाली हैं, मातंगी विद्या और कला की देवी हैं, और कमला लक्ष्मी स्वरूप में समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। इन दस महाविद्याओं की साधना से साधक को गुप्त ज्ञान, मानसिक बल, तांत्रिक सिद्धियां और आत्मिक जागृति प्राप्त होती है। मनोकामनाओं की पूर्ति गुप्त नवरात्रि की नवमी को देवी के समक्ष अपनी गुप्त इच्छाओं और विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवी को गुप्त रूप से की गई पूजा विशेष फल देती है। हवन और कन्या पूजन नवमी तिथि को हवन करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है। 9 कन्याओं को भोजन कराकर, उनका सम्मान कर देवी रूप मानकर पूजा करना, नवमी के पुण्य को और भी महान बना देता है। गुप्त नवरात्रि नवमी के दिन क्या करें और क्या न करें क्या करें: क्या न करें: गुप्त नवरात्रि और क्षेत्रीय महत्व गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से उत्तरी भारत के राज्यों में प्रसिद्ध है, जैसे कि: इसके अतिरिक्त, असम के कामाख्या मंदिर जैसे शक्तिपीठों पर यह पर्व अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली रूप में मनाया जाता है। विशेष फल और लाभ आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी तिथि है। यह दिन न केवल देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का है, बल्कि तांत्रिक साधना, शक्ति प्राप्ति, और मनोकामनाओं की पूर्ति का भी अत्यंत शुभ अवसर है। यदि इस दिन विधिपूर्वक और श्रद्धा से पूजा की जाए तो साधक अपने जीवन की अनेक बाधाओं को पार कर सकता है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

कनकेश्वरी माता मंदिर, इंदौर: एक आध्यात्मिक यात्रा

Best Indore Kanakeshwari Mata Temple Indore–July, 2025

इंदौर के परदेशीपुरा इलाके में स्थित कनकेश्वरी माता मंदिर (एक अन्य नाम: कंचनारिया माता मंदिर), भक्तों के बीच अपनी भव्यता और आध्यात्मिक माहौल के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को 2002 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 2018 में इसके भव्य स्वरूप का निर्माण पूरा हुआ जो कि स्थानीय वास्तुकला और महल जैसी बनावट के कारण आकर्षण का केंद्र है । वास्तु और स्थापत्य मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है और इसकी भव्यता को बनाने वाले कुल 70 से अधिक खिड़कियाँ हैं, जो पूरे मंदिर में खूबसूरती और रोशनी का विशेष प्रभाव उत्पन्न करती हैं । गर्भगृह में मां जगदंबा की मूर्ति वज्रासन पर स्थापित है, जो 2011 में जयपुर से लाई गई थी मंदिर परिसर में मकराना संगमरमर का उपयोग हुआ है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। पूजा का समय और दर्शन मंदिर सुबह 7:00 बजे से शाम तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है; हालांकि शाम का सटीक समय कभी-कभार बदलता रहता है, इसलिए यात्रा से पहले मंदिर प्रशासन से संपर्क करना उत्तम रहता है। आस्था और परंपरा स्थानीय आस्था अनुसार, माता कनकेश्वरी Devi जोकि शक्ति आशीर्वाद की देवी हैं, की उपासना से गृहस्थ जीवन में सुख‑समृद्धि आती है और संकटों से मुक्ति मिलती है ,मंदिर में अक्सर भजन‑संड्या, “अखंड ज्योति”, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। कैसे पहुंचें मंदिर का पता है: परदेशीपुरा, इंदौर – पिन:452003 • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देवहिल्या एयरपोर्ट (लगभग 10–12 किमी)। • राहदारी मार्ग: इंदौर रेलवे स्टेशन से ऑटो/टैक्सी द्वारा लगभग 8–10 किमी दूरी पर है • बस सेवा: गंगवाल और सरवटे बस स्टैंड्स से ऑटो द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यात्रा टिप्स इंदौर में मौजूद यह कनकेश्वरी माता मंदिर, सिर्फ वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक भी है। सफेद संगमरमर, भव्य खिड़कियाँ और निर्मल वातावरण—यह सब मिलकर भक्तों को मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करते हैं। यदि आप एक शांतिपूर्ण और दिव्य अनुभव की तलाश में हैं, तो यह मंदिर निश्चित रूप से आपकी यात्रा की सूची में होना चाहिए। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर: देवी अन्नपूर्णा की कृपा और द्रविड़ वास्तुकला का संगम

Best Indore Annapurna Temple Indore July, 2025

अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर शहर का एक अत्यंत प्रतिष्ठित और सुंदर धार्मिक स्थल है, जो देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है और भोजन व पोषण की देवी के रूप में श्रद्धा के साथ पूजित होता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी भव्य द्रविड़ वास्तुकला, सुंदर नक्काशी और शांत वातावरण के कारण यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1959 में आरंभ हुआ था, लेकिन मंदिर का भव्य मुख्य प्रवेश द्वार, जिसे ‘हाथी गेट’ कहा जाता है, 1975 में तैयार किया गया था, और यह चार विशाल हाथियों की पीठ पर बना हुआ है, जो इसकी कलात्मकता को और अधिक बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, मंदिर लगभग 2 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी बनावट तमिलनाडु के प्रसिद्ध मदुरै मीनाक्षी मंदिर की शैली से मिलती-जुलती प्रतीत होती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मंदिर निर्माण में द्रविड़ स्थापत्य शैली को प्रमुखता दी गई है। जब भक्त मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें गर्भगृह में स्थापित 3 फीट ऊँची देवी अन्नपूर्णा की संगमरमर से बनी प्रतिमा के दर्शन होते हैं, जो अत्यंत शांतिपूर्ण और दिव्य अनुभूति प्रदान करती है। इसके साथ ही, मंदिर परिसर में भगवान शिव, हनुमान और कालभैरव के भी मंदिर स्थित हैं, जो इसे केवल एक देवी मंदिर न बनाकर पूर्ण आध्यात्मिक स्थल बना देते हैं, जहाँ विभिन्न देवताओं की पूजा एक ही परिसर में की जा सकती है। इतना ही नहीं, मंदिर में एक उप-मंदिर भी है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, और उसमें उनके जीवन की विभिन्न छवियों को मूर्तिरूप में दर्शाया गया है, जिससे बच्चों और युवाओं को धार्मिक शिक्षाएँ सहज रूप में मिलती हैं। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति स्थापत्य कला में रुचि रखता है, तो उसे इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर उकेरी गई पौराणिक कथाओं और देवी-देवताओं की नक्काशियों को अवश्य देखना चाहिए, जो इतिहास और संस्कृति दोनों की झलक प्रस्तुत करती हैं। भक्तों के अनुसार, अन्नपूर्णा मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भोजन, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और साथ ही जीवन में शांति व संतुलन भी बना रहता है। यदि आप इंदौर में हैं या वहाँ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह मंदिर अवश्य आपके यात्रा कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि यहाँ की शांत और पवित्र ऊर्जा हर आगंतुक के मन को छू लेती है। मंदिर तक पहुँचना भी बेहद आसान है। निकटतम रेलवे स्टेशन इंदौर जंक्शन है, जबकि हवाई मार्ग से आने वालों के लिए निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इन दोनों स्थानों से आप कैब या स्थानीय वाहन की सहायता से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। अतः कहा जा सकता है कि अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह द्रविड़ शैली की कला, धार्मिक आस्था, और सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत प्रतीक है, जहाँ हर भक्त को माँ अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

इंदौर का ख़जराना गणेश मंदिर: आस्था, चमत्कार और ज्योतिषीय रहस्य का संगम

Best Indore Khajrana Ganesh Temple Indore July, 2025

खजराना गणेश मंदिर, इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित एक अत्यंत पूजनीय और चमत्कारी मंदिर है, जिसे भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। यह मंदिर केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1735 में मालवा की धर्मपरायण रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा करवाया गया था, जिन्होंने मुगल शासक औरंगज़ेब से भगवान गणेश की मूर्ति को बचाने के लिए उसे एक कुएं में छिपा दिया था। इसके पीछे मान्यता यह है कि जब मुगलों ने देवस्थान नष्ट करना आरंभ किया, तब रानी अहिल्याबाई ने गणेश जी की रक्षा हेतु उन्हें गुप्त स्थान पर स्थापित कर दिया। हालांकि प्रारंभ में यह स्थान एक साधारण सी झोपड़ी हुआ करता था, परंतु श्रद्धालुओं की आस्था और समय के साथ यह एक भव्य मंदिर परिसर के रूप में विकसित हो गया है। इस मंदिर की वास्तुकला में पारंपरिक शिल्पकला की सुंदर झलक मिलती है, जो दर्शकों को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण कर देती है। गर्भगृह का द्वार और बाहरी दीवारें चाँदी से निर्मित हैं, जो मंदिर की दिव्यता और भव्यता को दर्शाती हैं। साथ ही, भगवान गणेश की आंखों में जड़े हीरे इस बात का संकेत हैं कि यह स्थान न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि यहाँ आने वाले भक्त स्वेच्छा से सोना, चाँदी, हीरे और अन्य कीमती रत्नों का दान करते हैं। यदि बात की जाए भक्तों के विश्वास की, तो स्थानीय समुदाय और दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं का यह दृढ़ विश्वास है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई पूजा हर प्रकार की मनोकामना की पूर्ति करती है। विशेष रूप से बुधवार और रविवार को यहाँ दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है, जो यह दर्शाती है कि लोगों का विश्वास इस स्थान से किस गहराई से जुड़ा है। विनायक चतुर्थी के पर्व पर तो यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। वे दीप प्रज्वलित करते हैं, विशेष अभिषेक करते हैं और भगवान गणेश के समक्ष अपनी जीवन की समस्याओं का समाधान मांगते हैं। इसके अतिरिक्त, एक अत्यंत अनूठी मान्यता भी इस मंदिर से जुड़ी है, जिसके अनुसार जो भक्त अपनी विशेष कामना लेकर आते हैं, वे पहले उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और जब उनकी कामना पूर्ण हो जाती है, तब वे आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। इसी तरह, खजराना मंदिर के पास ही स्थित है बड़ा गणपति मंदिर, जिसकी विशाल गणेश प्रतिमा देशभर में प्रसिद्ध है और जिसे देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। अब बात करें कैसे पहुँचा जाए, तो यह मंदिर इंदौर हवाई अड्डे से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ से आप कैब या स्थानीय बस सेवा के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। वहीं, इंदौर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 10.5 किलोमीटर है, और वहाँ से भी लोकल ट्रांसपोर्ट द्वारा यह स्थान सुलभ है। मंदिर का संपूर्ण प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है, जो पीढ़ियों से इस मंदिर की सेवा में संलग्न हैं। वे पूजा-पद्धति, दान प्रक्रिया और मंदिर आयोजन को पारंपरिक रीति-नीति से संचालित करते हैं। अतः निष्कर्षतः कहा जाए तो खजराना गणेश मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक ऐसा दिव्य स्थान है जहाँ परंपरा, श्रद्धा और ज्योतिषीय आस्था का अद्वितीय संगम होता है। अगर आप किसी समस्या से जूझ रहे हैं, या जीवन में बाधाएँ बनी हुई हैं, तो इस मंदिर में एक बार दर्शन अवश्य करें, क्योंकि यहाँ गणपति बप्पा हर भक्त की पुकार अवश्य सुनते हैं। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

जुलाई 2025 व्रत एवं त्यौहार लिस्ट: देवशयनी एकादशी से नाग पंचमी तक

Best Indore Indore, Vrat aur Tyohar, July , 2025

जुलाई मास हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस माह में अनेक प्रमुख व्रत, पर्व और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। जुलाई 2025 में गुप्त नवरात्रि का समापन, सावन मास की शुरुआत, मंगला गौरी व्रत, गुरु पूर्णिमा, नाग पंचमी, हरियाली अमावस्या जैसे कई पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाएंगे। इस माह में देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाएंगे, जिससे चातुर्मास का प्रारंभ होता है। साथ ही इस माह में शनि, गुरु सहित 6 ग्रहों का गोचर भी विशेष ज्योतिषीय प्रभाव उत्पन्न करेगा। जुलाई 2025 के प्रमुख व्रत-त्यौहारों की सूची: दिनांक व्रत/त्योहार का नाम वार 1 जुलाई विवस्वत सप्तमी मंगलवार 8 जुलाई भौम प्रदोष व्रत मंगलवार 10 जुलाई कोकिला व्रत गुरुवार 10 जुलाई गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा गुरुवार 14 जुलाई सावन सोमवार (प्रथम व्रत) सोमवार 22 जुलाई सावन भौम प्रदोष व्रत मंगलवार 23 जुलाई सावन शिवरात्रि बुधवार 24 जुलाई हरियाली अमावस्या, सावन अमावस्या गुरुवार 27 जुलाई मधुस्त्रवा हरियाली तीज रविवार 29 जुलाई नाग पंचमी मंगलवार 30 जुलाई श्री कल्कि जयंती बुधवार 31 जुलाई तुलसीदास जयंती गुरुवार विशेष जानकारी: इस पवित्र महीने में उपवास, पूजा-पाठ, और दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्राप्त होते हैं। अपने जीवन को धर्म और श्रद्धा से भरने के लिए इन व्रत-त्यौहारों का पालन अवश्य करें। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

इंदौर के खजराना गणेश जी को मिलेगा नया स्वर्ण मुकुट:

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Best Indore News: इंदौर के श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र खजराना गणेश मंदिर इन दिनों एक नई तैयारी के चलते सुर्खियों में है। यहां भगवान गणेश जी को जल्द ही एक नया स्वर्ण मुकुट पहनाया जाएगा। मंदिर प्रशासन द्वारा यह फैसला उस समय लिया गया जब गणेशजी के पुराने मुकुट में दरार (क्रैक) देखी गई। इस महत्वपूर्ण निर्णय ने भक्तों के बीच उत्साह और श्रद्धा को और अधिक गहरा कर दिया है। क्यों बदला जा रहा है मुकुट? इंदौर: खजराना गणेश मंदिर में भगवान गणेशजी के श्रृंगार में इस्तेमाल किया जाने वाला स्वर्ण मुकुट अब पुराने हो चुके है। नियमित पूजा और विशेष अवसरों पर होने वाले अलंकरण के कारण मुकुट में महीन दरारें आ गई हैं। इस बात की जानकारी मिलते ही मंदिर समिति ने इस पर गहन विचार-विमर्श किया और नया मुकुट बनाने का निर्णय लिया गया। पहले तैयार होगा चांदी का मॉडल मुकुट नए मुकुट को तैयार करने से पहले, मंदिर प्रशासन एक 3 से 3.5 किलो चांदी का मॉडल मुकुट तैयार करेगा। इसे गणेशजी पर पहनाकर देखा जाएगा कि आकार, डिज़ाइन और भार संतुलित है या नहीं। यदि यह मुकुट पूरी तरह अनुकूल और संतोषजनक पाया गया, तभी असली स्वर्ण मुकुट बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कितना होगा वजन और डिज़ाइन? नए स्वर्ण मुकुट का वजन लगभग 6 से 7 किलो प्रस्तावित है। इसके अलावा गणेश जी के साथ विराजमान रिद्धि और सिद्धि तथा शुभ और लाभ की प्रतिमाओं के लिए भी अलग-अलग मुकुट तैयार किए जाएंगे। रिद्धि-सिद्धि के मुकुट लगभग 1–1.5 किलो और शुभ-लाभ के मुकुट लगभग 500 ग्राम के होंगे। मुकुट के डिज़ाइन को बेहद भव्य और धार्मिक भावना से प्रेरित रखा गया है। इसमें ॐ, स्वास्तिक, कमल पुष्प, बेलपत्र आकृति, शंख जैसे पवित्र प्रतीकों को उकेरा जाएगा, जिससे मुकुट न केवल सौंदर्य की दृष्टि से मनोहारी हो, बल्कि उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा का भी संचार हो। कौन देखेगा प्रक्रिया की निगरानी? इस कार्य की पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु मंदिर ट्रस्ट द्वारा एक 10-सदस्यीय निगरानी समिति बनाई गई है। इस समिति में पुजारियों, शिल्पकारों, नगर निगम के प्रतिनिधियों, खजाना विभाग तथा स्थानीय गणमान्य नागरिकों को शामिल किया गया है। यह समिति मुकुट निर्माण की हर प्रक्रिया पर नज़र रखेगी और गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी। कब तक बनकर तैयार होगा मुकुट? मंदिर प्रशासन का लक्ष्य है कि यह नया मुकुट आगामी गणेश चतुर्थी से पहले बनकर तैयार हो जाए। हालांकि, यदि किसी कारणवश यह समयसीमा पूरी नहीं हो पाई, तो गणेश चतुर्थी पर भगवान को पुराना मुकुट पहनाया जाएगा और ‘तिल चतुर्थी’ (जनवरी) के अवसर पर नया मुकुट धारण कराया जाएगा। चांदी का मॉडल मुकुट तैयार होने में लगभग 1 महीना, और उसके बाद स्वर्ण मुकुट के निर्माण में लगभग 20–25 दिन का समय लगेगा। इस प्रक्रिया को पारंपरिक तौर-तरीकों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्ण किया जाएगा। सोने की व्यवस्था कैसे होगी? मंदिर ट्रस्ट के पास पहले से ही 6 से 6.5 किलो सोना विभिन्न रूपों में उपलब्ध है, जिसमें पुराने मुकुट, चैन, छत्र आदि शामिल हैं। यदि आवश्यकता पड़ी, तो भक्तों से स्वर्ण दान भी लिया जा सकता है। कई श्रद्धालु पहले ही इस धार्मिक कार्य में योगदान देने की इच्छा जता चुके हैं। श्रद्धालुओं में उत्साह इस समाचार के सामने आने के बाद से ही शहर सहित प्रदेशभर के श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। सभी की भावनाएं गणेशजी के नए मुकुट से जुड़ी हैं और भक्तगण इसकी भव्यता देखने को आतुर हैं। माना जा रहा है कि यह मुकुट खजराना गणेश जी के इतिहास में अब तक का सबसे भव्य अलंकरण होगा। खजराना गणेश मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि इंदौर की आत्मा है। यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। गणेशजी के इस नए स्वर्ण मुकुट से न केवल मंदिर की शोभा बढ़ेगी, बल्कि आस्था भी और अधिक प्रबल होगी। यह पहल मंदिर की धार्मिक गरिमा, संस्कृति संरक्षण और भव्यता को दर्शाती है। उम्मीद है कि इस मुकुट के साथ खजराना गणेशजी और भी अधिक भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे और सभी को सुख, समृद्धि और शुभता का आशीर्वाद देंगे। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।

श्री नवचंडी देवी मंदिर, इंदौर – एक अलौकिक शक्ति पीठ का अद्भुत अनुभव

Best Indore Sri Navchandi Devi Temple Indore July 01, 2025

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर न केवल अपनी सफाई, स्वादिष्ट खानपान और आधुनिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के आध्यात्मिक स्थलों में भी एक गहरा आकर्षण है। इसी आध्यात्मिक धरोहर का एक चमकता हुआ रत्न है — श्री नवचंडी देवी मंदिर, जो माँ दुर्गा के नव रूपों की संयुक्त आराधना का अद्भुत केंद्र है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, बल्कि उनके दुखों, चिंताओं और जीवन की उलझनों का समाधान भी बनता है। यह स्थान नवरात्रि के पावन दिनों में विशेष रूप से शक्ति उपासकों के लिए एक तीर्थ के समान हो जाता है। मंदिर का भौगोलिक और आध्यात्मिक स्थान श्री नवचंडी देवी मंदिर, इंदौर के सिलिकॉन सिटी, बाइपास रोड, या महू रोड के पास स्थित है। यह स्थान शांत, साफ-सुथरा और अत्यंत सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक अलग ही आत्मिक शांति का अनुभव होता है। जैसे ही आप माता के द्वार पर पहुँचते हैं, ऐसा लगता है मानो सारी नकारात्मक ऊर्जा पीछे छूट गई हो और आप किसी दैवीय प्रकाश की ओर खिंचे चले आ रहे हों। देवी नवचंडी – नौ रूपों की एक शक्ति “नवचंडी” शब्द स्वयं में अत्यंत शक्तिशाली है। यह केवल एक देवी नहीं बल्कि माँ दुर्गा के नौ रूपों का सामूहिक स्वरूप है। ये नौ रूप हैं: शैलपुत्री – पर्वतराज की पुत्रीब्रह्मचारिणी – तपस्विनी स्वरूपचंद्रघंटा – सौंदर्य और युद्ध की देवीकूष्मांडा – ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली शक्तिस्कंदमाता – कार्तिकेय की जननीकात्यायनी – दुर्गा का योद्धा रूपकालरात्रि – बुराई का विनाश करने वालीमहागौरी – उज्जवल और सौम्य रूपसिद्धिदात्री – सिद्धियों की प्रदाता इन सभी शक्तियों की संयुक्त आराधना के लिए यह मंदिर एक पवित्र स्थान है, जहाँ आने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और समाधान की अनुभूति होती है। मंदिर की विशेषताएँ – एक दिव्य अनुभूति भव्य मूर्ति और गर्भगृह मंदिर के गर्भगृह में माँ नवचंडी की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिनके चारों ओर नौ रूपों की मूर्तियाँ सुशोभित हैं। मूर्तियों की भव्यता और ऊर्जा देखकर हर श्रद्धालु का मन सहज ही भक्ति में लीन हो जाता है। नवरात्रि में विशेष आयोजन नवरात्रि के नौ दिनों में मंदिर का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और जादुई हो जाता है। हर दिन विशेष पूजन, दुर्गा सप्तशती पाठ, कन्या पूजन, हवन और भजन संध्या होती है। यहाँ प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं और माँ के चरणों में नतमस्तक होते हैं। नवचंडी यज्ञ और शक्तिपूजन मंदिर में प्रतिवर्ष “नवचंडी यज्ञ” का आयोजन होता है, जो बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस यज्ञ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को विशेष रूप से नकारात्मकता से मुक्ति, संतान सुख, रोग नाश, और कर्ज़ से मुक्ति जैसे वरदान मिलते हैं। भंडारा और कन्या भोज नवरात्रि के प्रत्येक दिन निःशुल्क भंडारा और कन्या भोज का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त श्रद्धा से भोजन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। ध्यान और मंत्र-जाप केंद्र मंदिर परिसर में विशेष रूप से ध्यान और मंत्र-जाप के लिए स्थान बनाए गए हैं, जहाँ साधक शांति से माँ की आराधना कर सकते हैं। यह स्थान उनके लिए अमृत के समान है जो आध्यात्मिक प्रगति की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। दर्शन और पूजा का समय: 🔹 दिन 🔹 समय प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक विशेष पर्वों पर रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन संभव कैसे पहुँचे? यहाँ क्यों आएँ? – श्रद्धा और समाधान का संगम अगर आप जीवन में किसी कठिनाई, रोग, संतानहीनता, वैवाहिक समस्याएँ, आर्थिक संकट या मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो माँ नवचंडी की पूजा और यज्ञ निश्चित ही आपके लिए एक चमत्कारी अनुभव बन सकता है। यह मंदिर उन लोगों के लिए भी एक वरदान है जो सच्चे मन से आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं। श्रद्धालु अनुभव: “मैंने जब नवचंडी यज्ञ करवाया, तो मेरे व्यापार की सारी रुकावटें दूर हो गईं। माँ ने मेरी पुकार सुनी।” — रमेश जैन, राऊ “नवरात्रि में कन्या पूजन के दिन यहाँ जो ऊर्जा मिलती है, वो कहीं और नहीं मिलती। ऐसा लगता है माँ साक्षात सामने हैं।” — सुमन यादव, स्कीम नंबर 78 श्री नवचंडी देवी मंदिर, इंदौर का एक उभरता हुआ और शक्तिशाली शक्ति पीठ है, जो हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा, मन की शांति और जीवन की दिशा प्रदान करता है। नवरात्रि में यहाँ दर्शन करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इंदौर की अधिक जानकारी, हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ विकल्प और स्थानीय अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट Best Indore पर जरूर विजिट करें।