
Best Indore News: भारत सरकार की “भारत गौरव ट्रेन यात्रा योजना” का उद्देश्य देशवासियों को तीर्थ स्थलों का धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव कराना है, लेकिन हाल ही में इंदौर से रवाना हुए यात्रियों के अनुभव ने इस योजना पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन्स) के लिए यह यात्रा, जो श्रद्धा और आस्था से भरी होनी चाहिए थी, वह अव्यवस्था, थकावट और असहजता का प्रतीक बन गई।
भारत गौरव ट्रेन के माध्यम से इंदौर से वाराणसी, गया, पुरी, कोणार्क, रामेश्वरम, मदुरै, कन्याकुमारी जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा पर निकले श्रद्धालु जब वाराणसी पहुंचे, तो उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। यात्रियों की शिकायत है कि उन्हें गलत हेलीपैड पर उतारा गया, होटल में लिफ्ट नहीं थी, और उन्हें तीसरी मंजिल तक सीढ़ियों से चढ़ना पड़ा। 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह अनुभव अत्यंत कष्टदायक रहा।
भारत गौरव यात्रा: उद्देश्य और वादा
भारत गौरव ट्रेन योजना का शुभारंभ भारत सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया था। इसका उद्देश्य यात्रियों को एक साथ धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा कराने का है – वह भी उचित मूल्य पर, भोजन, रहना, ट्रांसपोर्ट, और गाइड की सुविधाओं के साथ।
IRCTC द्वारा संचालित यह योजना कई यात्रियों के लिए एक सपना पूर्ण करने जैसी रही है, लेकिन इंदौर से जुड़े इस विशेष मामले ने योजना के प्रबंधन और जमीनी कार्यान्वयन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
गलत हेलीपैड पर उतरे यात्री, दूरी हुई दुगुनी
वाराणसी पहुंचने पर यात्रियों को गाड़ी से होटल पहुंचाया जाना था। लेकिन अफसोस की बात है कि उन्हें जिस हेलीपैड पर उतारा गया वह उनके होटल से अपेक्षाकृत बहुत दूर था। इससे न सिर्फ यात्रा का समय बढ़ा, बल्कि गर्मी और उमस के बीच घंटों तक बस और टेम्पो में बैठकर घूमना पड़ा।
यात्रियों ने शिकायत की कि टूर ऑपरेटर और गाइड को खुद यह जानकारी नहीं थी कि उन्हें किस स्थान पर छोड़ना है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई और पर्यटकों को अनावश्यक रूप से परेशान होना पड़ा।
होटल की व्यवस्था बेहद खराब, लिफ्ट नहीं – सीढ़ियों से ऊपर पहुंचे बुजुर्ग
पर्यटकों को जिस होटल में ठहराया गया, वहां लिफ्ट जैसी मूलभूत सुविधा नहीं थी। अधिकतर कमरे तीसरी और चौथी मंजिल पर दिए गए थे, जहाँ तक पहुंचने के लिए यात्रियों को सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ा।
विशेष रूप से 70 से 80 वर्ष की उम्र के यात्रियों के लिए यह अनुभव बेहद थकाने वाला रहा। कुछ यात्रियों की तो सांसें फूलने लगीं, और उन्हें ऊपर पहुंचने में 15-20 मिनट का समय लग गया।
श्रीमती कमला बाई शर्मा (उम्र 73) ने बताया,
“हमने भगवान के दर्शन के लिए यात्रा की थी, न कि सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए। टूर वालों ने यह नहीं बताया था कि होटल में लिफ्ट नहीं होगी। हमारी तबियत बिगड़ गई।”
भोजन की गुणवत्ता और समय भी बना चिंता का विषय
भोजन की गुणवत्ता को लेकर भी कई यात्रियों ने नाराजगी व्यक्त की। एक ओर जहां कहा गया था कि शुद्ध सात्विक भोजन मिलेगा, वहीं यात्रियों को कई बार ठंडा या अधपका खाना दिया गया। साथ ही, खाने का समय नियमित नहीं था, जिससे दवा लेने वाले बुजुर्गों को परेशानी हुई।
गाइड की अनुपस्थिति और अनुशासनहीन प्रबंधन
गाइड और ट्रैवल स्टाफ से भी यात्रियों को खास सहयोग नहीं मिला। कई स्थानों पर यात्रियों को अकेले मंदिरों या पर्यटन स्थलों तक जाना पड़ा। भीड़ और गर्मी में गाइड न होने से बुजुर्ग यात्री भटकते रहे।
श्री अनिल जोशी (उम्र 68) ने बताया,
“हमें वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर तक कैसे जाना है – ये किसी ने नहीं बताया। बस ड्राइवर ने कहा – ‘सामने से चले जाइए।’ हमने बड़ी मुश्किल से भीड़ में रास्ता खोजा।”
क्या कहती है IRCTC और पर्यटन विभाग की गाइडलाइन?
IRCTC की वेबसाइट और बुकिंग ब्रोशर में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधा, मेडिकल हेल्प और आरामदायक होटल की व्यवस्था होगी। लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे उलट रही।
बुजुर्गों के लिए यात्रा – आशीर्वाद या आफत?
भारत गौरव यात्रा योजना में बुजुर्गों की भागीदारी सबसे अधिक रहती है। यह वर्ग आशा करता है कि उन्हें सहूलियत के साथ जीवन में एक बार धार्मिक स्थलों के दर्शन मिलेंगे। लेकिन यदि उन्हें सड़कें, सीढ़ियां, असुविधाएं और उपेक्षा मिलेगी – तो यह यात्रा आशीर्वाद नहीं, आफत बन जाएगी।
क्या कहती है जनता: यात्रियों की मांगें और सुझाव
यात्रियों की मुख्य मांगें हैं:
- हर होटल में लिफ्ट और मेडिकल सुविधा अनिवार्य हो
- गाइड की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि हर ग्रुप को दिशा मिल सके
- होटल, ट्रांसपोर्ट और मंदिर की दूरी का पूर्व विवरण दिया जाए
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सहायता स्टाफ की तैनाती हो
- समयबद्ध भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जाएं
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
फिलहाल इस घटना पर IRCTC या राज्य पर्यटन विभाग की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सोशल मीडिया और यात्रियों के फीडबैक से यह स्पष्ट है कि यह घटना व्यापक ध्यान आकर्षित कर रही है।
श्रद्धा की यात्रा अव्यवस्था की भेंट न चढ़े
भारत गौरव यात्रा जैसी योजनाएँ भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने में सहायक हैं। लेकिन यदि ऐसी योजनाओं में सुविधा और सम्मान की जगह अव्यवस्था और उपेक्षा मिलती है, तो इसका उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
ज़रूरत है कि शासन, IRCTC और संबंधित एजेंसियाँ प्रत्येक यात्रा से पूर्व संपूर्ण योजना, निरीक्षण और यात्रियों की विशेष जरूरतों का ध्यान रखें। ताकि यात्रियों के लिए यह वास्तव में गौरव यात्रा बन सके, न कि एक कठिन परीक्षा।
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