
उपभोक्ताओं के लिए जरूरी जानकारी: स्मार्ट मीटर और उनके नियम
Best Indore News: इंदौर सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेजी से जारी है। लेकिन इस प्रक्रिया में उपभोक्ताओं की चिंताएं और सवाल लगातार सामने आ रहे हैं। कई लोगों ने शिकायत की है कि नए लगाए गए स्मार्ट मीटर में ‘00’ लिखा दिखाई दे रहा है, जिससे उन्हें आशंका है कि मीटर को ठीक से कैलिब्रेट या टेस्ट नहीं किया गया है।
ऐसे में उपभोक्ताओं को यह जानना ज़रूरी है कि अगर उनके मीटर में ऐसी स्थिति दिखाई देती है, तो उनके पास कानूनी अधिकार है कि वे उस मीटर की जांच की मांग कर सकते हैं।
क्या है ‘00’ का मतलब?
स्मार्ट मीटर पर दिखने वाला “00” एक संकेत है कि मीटर की टेस्टिंग पूरी नहीं हुई है या फिर उसकी सर्टिफिकेशन प्रक्रिया अधूरी है। आमतौर पर, हर बिजली मीटर को उपयोग में लाने से पहले वेट एंड मेजरमेंट विभाग (Weights & Measures Dept.) से टेस्टिंग और सत्यापन करवाना जरूरी होता है।
अगर किसी उपभोक्ता के मीटर में ये ‘00’ दिखता है, तो उसे समझना चाहिए कि मीटर को अधिकृत रूप से टेस्ट नहीं किया गया है, और वह इसके विरोध और जांच की मांग करने का हकदार है।
क्या उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगाने से इनकार कर सकता है?
हां, बिजली कंपनी किसी भी उपभोक्ता को जबरन स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती, जब तक कि वह तकनीकी रूप से आवश्यक न हो। यदि उपभोक्ता पुराने मीटर से संतुष्ट है और उसकी रीडिंग में कोई तकनीकी समस्या नहीं है, तो वह कंपनी से लिखित में यह निवेदन कर सकता है कि वह स्मार्ट मीटर नहीं चाहता।
लेकिन अगर वितरण कंपनी तकनीकी आधार पर यह सिद्ध कर देती है कि पुराना मीटर त्रुटिपूर्ण है या डाटा ट्रांसमिशन नहीं कर पा रहा, तो उस स्थिति में उपभोक्ता को नया मीटर स्वीकार करना होगा।
कैसे करें मीटर की जांच की मांग?
अगर उपभोक्ता को लगता है कि उसका स्मार्ट मीटर गलत रीडिंग दिखा रहा है, या उसमें ’00’ टेस्टिंग स्थिति दिखाई दे रही है, तो वह निम्न प्रक्रिया के तहत मीटर की जांच की मांग कर सकता है:
प्रक्रिया:
- लिखित आवेदन वितरण केंद्र या कंपनी के संबंधित कार्यालय में जमा करें।
- ₹50 से ₹200 तक की जांच शुल्क निर्धारित विभाग को जमा करें।
- मीटर को वेट एंड मेजरमेंट लैब में भेजा जाएगा।
- 15 कार्यदिवस के भीतर रिपोर्ट उपभोक्ता को दी जाएगी।
यदि जांच में मीटर दोषपूर्ण पाया जाता है, तो शुल्क वापस किया जाता है और नया मीटर निःशुल्क दिया जाता है।
स्मार्ट मीटर के फायदे, लेकिन सही जानकारी जरूरी
बिजली कंपनियों का कहना है कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हैं, क्योंकि:
- बिलिंग में पारदर्शिता रहती है
- रियल टाइम डेटा उपभोक्ता को मिल सकता है
- बिजली की चोरी पर नियंत्रण
- रिमोट से मीटर डिसकनेक्ट/कनेक्ट किया जा सकता है
लेकिन इन सबके लिए जरूरी है कि मीटर सही तरीके से इंस्टॉल और टेस्ट किया गया हो। ‘00’ जैसे संकेत इस प्रक्रिया की खामी को उजागर करते हैं।
किस पर उठ रहे हैं सवाल?
उपभोक्ताओं और उपभोक्ता संगठन का कहना है कि:
- कई बार बिना सूचना के मीटर बदल दिए जाते हैं
- मीटर लगाने वालों के पास कंपनी की आईडी नहीं होती
- टेस्टिंग या सत्यापन की कोई रिपोर्ट उपभोक्ता को नहीं दी जाती
- शिकायत करने पर अधिकारियों का रवैया उदासीन रहता है
“यह उपभोक्ता का अधिकार है कि उसे सही, टेस्टेड और प्रमाणित मीटर मिले। मीटर की टेस्टिंग रिपोर्ट उपभोक्ता को दी जानी चाहिए।”
– विनोद पांडे, अध्यक्ष, उपभोक्ता संरक्षण मंच
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया
शहर के विभिन्न इलाकों में रहने वाले उपभोक्ता इस मुद्दे को लेकर खासे चिंतित हैं।
“मेरा बिल पहले ₹800 आता था, लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद ₹2000 आने लगा। मीटर पर ’00’ लिखा है, और जब मैंने सवाल उठाया तो कहा गया जांच करवा लो।”
– रेखा शर्मा, निवासी विजय नगर
सुझाव और समाधान
- मीटर लगने से पहले मीटर नंबर, टेस्टिंग नंबर और सील नंबर की जानकारी रखें
- इंस्टॉलेशन के समय फोटोग्राफ लें
- बिजली कंपनी से मीटर की कॉप और रिपोर्ट मांगें
- किसी भी असमानता की स्थिति में विद्युत नियामक आयोग या उपभोक्ता फोरम में शिकायत करें
स्मार्ट मीटर तकनीकी रूप से एक उन्नत और उपयोगी प्रणाली है, लेकिन जब तक यह पारदर्शिता और सत्यापन के साथ लागू नहीं की जाती, तब तक यह उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बनी रहेगी। हर उपभोक्ता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और जब भी उन्हें मीटर में कोई गड़बड़ी दिखाई दे, तो वे जांच और जवाबदेही की मांग कर सकते हैं।
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