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महू-बड़वाह रेल लाइन: जंगल की जमीन से रास्ता साफ, 1.25 लाख पेड़ों की कटाई की तैयारी

Best Indore NewsMhow-Barwah railway line:

Best Indore News मध्यप्रदेश में लंबे समय से अटके महू-बड़वाह ब्रॉडगेज रेल प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अब वन विभाग की मंजूरी मिल गई है, जिससे इंदौर और निमाड़ क्षेत्र के बीच सीधी रेल कनेक्टिविटी का रास्ता अब साफ हो गया है।

हालांकि, इस विकास कार्य की एक भारी कीमत चुकानी होगी — इस परियोजना में करीब 1.25 लाख पेड़ काटे जाएंगे। परियोजना में इंदौर जिले की 408 हेक्टेयर और बड़वाह (खंडवा) की 46 हेक्टेयर वन भूमि को अधिग्रहण में शामिल किया गया है।

क्या है महू-बड़वाह रेल प्रोजेक्ट?

महू से बड़वाह के बीच प्रस्तावित यह ब्रॉडगेज रेल लाइन लगभग 63 किलोमीटर लंबी होगी। यह प्रोजेक्ट मालवा और निमाड़ क्षेत्रों को सीधे रेल मार्ग से जोड़ेगा, जिससे इंदौर से बड़वानी, खंडवा, बड़वाह, और यहां तक कि महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों तक संपर्क आसान हो जाएगा।

प्रोजेक्ट की विशेषताएं:

  • कुल लंबाई: लगभग 63 किलोमीटर
  • लागत: अनुमानित ₹1,300 करोड़
  • स्टेशनों की संख्या: 6 (महू, सिमरोल, जाम गेट, कसरावद, बड़वाह सहित)
  • ट्रेनें: पहले फेज में पैसेंजर, बाद में एक्सप्रेस और मालगाड़ी

वन विभाग की मंजूरी, लेकिन पर्यावरण की कीमत

इस परियोजना को पूरा करने के लिए वन विभाग से ‘फॉरेस्ट क्लीयरेंस’ की पहली और दूसरी स्टेज की मंजूरी मिल चुकी है। अब रेलवे को भूमि स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करनी है।

परंतु चिंता का विषय यह है कि:

  • 1.25 लाख से ज्यादा पेड़ों की कटाई की जाएगी
  • यह क्षेत्र जाम गेट और सिमरोल के संवेदनशील वन क्षेत्र से गुजरता है
  • वन्यजीवों के विचरण वाले इलाके भी इस प्रोजेक्ट में प्रभावित होंगे

वन विभाग ने क्लियरेंस देते समय कंडीशनल अप्रूवल दिया है जिसमें वन संरक्षण के बदले में वृक्षारोपण और पर्यावरणीय उपायों को अनिवार्य किया गया है।

बदलाव की कीमत: पेड़ों की जगह लगेगा पौधों का जंगल?

परियोजना को मंजूरी देते समय वन विभाग ने रेलवे को निर्देश दिए हैं कि:

  • जितने पेड़ काटे जाएंगे, उसके दोगुने पौधे लगाने होंगे
  • मियावाकी पद्धति से पौधारोपण कर हरियाली बहाल करनी होगी
  • विशेष रूप से वन्यजीवों के लिए कॉरिडोर बनाना होगा
  • नदी, झरने या जल स्रोतों का मार्ग अवरुद्ध नहीं किया जाएगा

हालांकि, पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि “पेड़ों की भरपाई पौधों से संभव नहीं होती, क्योंकि एक वयस्क पेड़ की पर्यावरणीय क्षमता कई पौधों से ज्यादा होती है।”

क्षेत्रीय लाभ: क्या बदलेगा इस रेल लाइन से?

  • इंदौर से बड़वाह का सफर 3 घंटे से घटकर 1 घंटे में होगा
  • पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा – सिमरोल, जाम गेट जैसे पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान
  • फल-सब्जी उत्पादकों को बेहतर परिवहन सुविधा
  • इंदौर से महाराष्ट्र के लिए नया वैकल्पिक मार्ग
  • मालगाड़ी चलने से व्यापारिक लॉजिस्टिक्स भी सस्ते होंगे

विरोध के स्वर भी तेज

हालांकि विकास परियोजना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में चिंता बनी हुई है।
वन्यजीव विशेषज्ञ कहते हैं:

“यह रेल लाइन वन्यजीवों के नैसर्गिक रास्तों को बाधित करेगी। जंगल का टुकड़ों में विभाजन लंबे समय में जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगा।”

कुछ संगठनों ने यह मांग भी उठाई है कि रेल लाइन को वैकल्पिक मार्ग से ले जाया जाए या एलीवेटेड सेक्शन बनाए जाएं, जिससे जंगल की ज़मीन को नुकसान न पहुंचे।

क्या आगे की प्रक्रिया है?

  • वन भूमि स्थानांतरण के बाद रेलवे को निर्माण कार्य की अनुमति मिल जाएगी
  • निर्माण से पहले ESIA (Environmental & Social Impact Assessment) रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी
  • स्थानीय ग्राम सभाओं की अनुमति भी आवश्यक है
  • निर्माण प्रक्रिया में 5 साल तक का समय लग सकता है

महू-बड़वाह रेल लाइन मध्यप्रदेश की एक बड़ी और आवश्यक परियोजना है, जो लोगों की आवाजाही, व्यापार, और पर्यटन को गति देगी। लेकिन यह भी जरूरी है कि इस विकास की कीमत प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर न चुकाई जाए।

एक ओर जहां यह प्रोजेक्ट इंदौर और निमाड़ को करीब लाएगा, वहीं हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हर कटे पेड़ की भरपाई सही तरीके से हो और पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।

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