
इंदौर में ज़मीन खरीददारों के साथ बड़ा धोखा
Best Indore News: इंदौर में जमीन संबंधी धोखाधड़ी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। एक ही जमीन को दो बार दो अलग-अलग खरीदारों को बेचकर लाखों रुपये की ठगी की गई। इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस धोखाधड़ी का खुलासा करते हुए एक शातिर गिरोह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
इंदौर पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज़ और डुप्लीकेट एग्रीमेंट के जरिए एक ही ज़मीन दो बार बेच दी और दोनों पक्षों से मोटी रकम ऐंठ ली। यह मामला अब पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया है।
क्या है पूरा मामला?
क्राइम ब्रांच के अनुसार, मामला इंदौर के स्कीम नंबर 140 के पास की एक कीमती रिहायशी ज़मीन से जुड़ा है। पीड़ित रमेश जैन नामक व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत दी कि उन्होंने 2023 में इस प्लॉट को ₹35 लाख में खरीदा था और रजिस्ट्री भी करवा ली थी।
हाल ही में रमेश को पता चला कि उसी जमीन की रजिस्ट्री किसी अन्य व्यक्ति (संदीप वर्मा) के नाम पर भी हो चुकी है, और वह भी उस प्लॉट पर दावा कर रहा है। जब दोनों पक्षों ने दस्तावेज़ निकाले तो पता चला कि दोनों के पास वैध लगने वाली रजिस्ट्री कॉपी और भुगतान रसीदें हैं
ठगी का फॉर्मूला: ऐसे चली चाल
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपी प्रॉपर्टी डीलर ने पहले एक खरीदार को ज़मीन बेची और एडवांस के नाम पर भुगतान ले लिया। बाद में, यह कहकर कि सौदा रद्द हो गया है, उसने उसी प्लॉट को किसी अन्य पार्टी को बेच दिया।
- पहली रजिस्ट्री: रमेश जैन के नाम
- दूसरी रजिस्ट्री: संदीप वर्मा के नाम
- दोनों से वसूली: ₹35 लाख से अधिक की रकम
- डीलर का नाम: राहुल अग्रवाल (फरार)
विक्रेता ने दस्तावेज़ों में हेरफेर कर अलग-अलग नाम से ज़मीन को दो बार बेचा और नकली सेल एग्रीमेंट तैयार किए।
पुलिस की जांच में क्या हुआ खुलासा?
इंदौर क्राइम ब्रांच ने अब तक की जांच में पाया है कि फर्जीवाड़े में न केवल एक व्यक्ति बल्कि एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा था। इस गिरोह में बिल्डर, डीलर, रजिस्ट्रेशन एजेंट और दस्तावेज़ तैयार करने वाले लोग भी शामिल हैं।
“हमने फर्जी दस्तावेजों, नकली एग्रीमेंट और दो अलग-अलग पेमेंट रसीदों को जब्त कर लिया है। गिरोह के मुख्य आरोपी की तलाश जारी है।”
– डीसीपी (क्राइम) निरंजन वर्मा
किन धाराओं में केस दर्ज हुआ?
इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में धोखाधड़ी (IPC 420), जालसाजी (IPC 467, 468), आपराधिक षड्यंत्र (IPC 120B) और फर्जी दस्तावेज़ पेश करने (IPC 471) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि इस गिरोह ने पहले भी इस तरह की कई डील की हैं, जिनकी फाइलें दोबारा खंगाली जा रही हैं।
दस्तावेज़ की जांच में खुली पोल
इस केस में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि दोनों खरीदारों के पास रजिस्ट्री कार्यालय से मिली रसीदें और सेल डीड भी मौज़ूद थीं, जो असली प्रतीत हो रही थीं। इसका मतलब साफ है कि या तो पुराने रिकॉर्ड का दुरुपयोग किया गया या रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में भी किसी की मिलीभगत हो सकती है।
क्राइम ब्रांच अब रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है और डिजिटल एंट्री रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है।
ज़मीन खरीदने वालों के लिए चेतावनी
इस मामले के बाद पुलिस ने आम नागरिकों को चेताया है कि वे:
- किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले रियल टाइम रजिस्ट्री स्टेटस जांचें
- जमीन से जुड़े पुराने बिक्री के रिकॉर्ड और लीगल स्टेटस की पुष्टि करें
- ज़रूरी हो तो वकील और रजिस्टर्ड दस्तावेज़ विशेषज्ञ से सलाह लें
- बिना पूर्ण पुष्टि के कभी भी एडवांस न दें
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मामले के सामने आने के बाद शहर के प्रॉपर्टी मार्केट में हड़कंप मच गया है। आम नागरिकों से लेकर प्रॉपर्टी डीलर्स तक सभी इस तरह की ठगी से बचाव की मांग कर रहे हैं।
“सरकार को चाहिए कि अब सभी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए।”
– संजय अग्रवाल, अधिवक्ता (इंदौर हाईकोर्ट)
इंदौर में एक ही ज़मीन को दो बार बेचकर की गई ठगी ने यह साफ कर दिया है कि रियल एस्टेट सेक्टर में अब भी गहरी लापरवाही और धोखाधड़ी के रास्ते खुले हैं। इस मामले में क्राइम ब्रांच की सक्रियता और तत्परता ने समय रहते दो और परिवारों को ठगे जाने से बचा लिया।
यह ज़रूरी है कि खरीददार सतर्क रहें, और हर छोटी-बड़ी प्रॉपर्टी डील को वैधानिक और दस्तावेज़ी रूप से जांचें, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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