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पीथमपुर का सामुदायिक भवन बदहाल: स्कूल बसों की अवैध पार्किंग, टूटी सुविधाएं और गंदगी से परेशान रहवासी

Best Indore NewsPithampur's community hall in a bad state

सुविधाओं के लिए बना भवन अब बना सिरदर्द

Best Indore News: धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में लोगों की सुविधाओं और सामाजिक आयोजनों के लिए बनाए गए सामुदायिक भवन की हालत इन दिनों बेहद जर्जर हो चुकी है। यह भवन कभी स्थानीय निवासियों के सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का केंद्र हुआ करता था, लेकिन आज यह अवैध पार्किंग, टूट-फूट और गंदगी का अड्डा बन गया है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया

अवैध पार्किंग बनी सबसे बड़ी समस्या

इस सामुदायिक भवन का परिसर अब स्कूल बसों और निजी वाहनों की पार्किंग स्थल बन गया है। सुबह से शाम तक यहां 10-15 बसें खड़ी रहती हैं, जिससे न केवल भवन की गरिमा घट रही है, बल्कि आसपास के रहवासियों को भी असुविधा हो रही है।

“यह भवन बच्चों के स्कूल या निजी वाहन खड़े करने की जगह नहीं है। इससे आवाजाही बाधित होती है और भवन की दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं।” — निवासी, वार्ड नं. 14

जर्जर संरचना और टूटी सुविधाएं

भवन के अंदर और बाहर की दीवारों पर सीलन, छत से टपकता पानी, और टूटी खिड़कियाँ साफ दिखाई देती हैं। भवन की मूल सुविधाएं जैसे:

  • शौचालय उपयोग के लायक नहीं
  • पेयजल व्यवस्था पूरी तरह ठप
  • बिजली का कनेक्शन कटा हुआ या अधूरा
  • बैठने की कुर्सियाँ और स्टेज टूटे पड़े हैं

यह सभी समस्याएं इसे उपयोग में लाने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा हैं।

सफाई का अभाव, गंदगी का आलम

भवन के चारों ओर और अंदर जगह-जगह कचरे के ढेर, झाड़-झंखाड़ और मच्छरों का प्रकोप देखने को मिलता है। कई लोग इसे अब ‘भूतिया भवन’ कहकर मजाक भी बनाने लगे हैं।

“बच्चे यहां खेलने नहीं आते क्योंकि जगह गंदगी से भरी है और मवेशी घूमते रहते हैं। रात को तो अंधेरा इतना होता है कि डर लगता है।” — महिला रहवासी

लोगों की मांग: पुनर्निर्माण या नवीनीकरण

स्थानीय नागरिकों की मांग है कि या तो इस भवन का पुनर्निर्माण किया जाए, या फिर इसे संपूर्ण रूप से मरम्मत कर दोबारा उपयोग योग्य बनाया जाए। उनका कहना है कि अगर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भवन पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो जाएगा।

नागरिकों की प्रमुख मांगें:

  • स्कूल बसों की पार्किंग तुरंत बंद हो
  • भवन की छत, दरवाजे, खिड़कियों की मरम्मत हो
  • साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था की जाए
  • भवन को सामुदायिक उपयोग के लिए पुनः चालू किया जाए
  • जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी सुनिश्चित की जाए

प्रशासन की चुप्पी और जिम्मेदारी

नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों को कई बार ज्ञापन और मौखिक रूप से शिकायतें दी जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। अफसर केवल निरीक्षण करके लौट जाते हैं, लेकिन कार्यवाही ठंडे बस्ते में चली जाती है।

“हमने तीन बार ज्ञापन सौंपा है, लेकिन जवाब नहीं मिला। जब चुनाव आते हैं, तभी अधिकारी और नेता यहां आते हैं।” — सामाजिक कार्यकर्ता, पीथमपुर

सुरक्षा का सवाल भी गंभीर

भवन की टूटी दीवारें और सुनसान वातावरण असामाजिक तत्वों के लिए मुफ़ीद जगह बनता जा रहा है। रात के समय शराबियों और युवाओं की भीड़ लगती है, जिससे महिलाओं और बुजुर्गों को डर बना रहता है।

“रात को कुछ युवक बाइक खड़ी करके यहां शराब पीते हैं, हम बाहर निकलने से भी डरते हैं।” — वरिष्ठ नागरिक

सुधार की संभावना और पहल

यदि स्थानीय प्रशासन और पंचायत ठान लें तो इस भवन को फिर से:

  • योग कक्षा,
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम,
  • महिला स्व-सहायता समूहों की बैठक,
  • फ्री हेल्थ कैंप,
  • बच्चों की गतिविधियों

के लिए एक सशक्त सामुदायिक केंद्र बनाया जा सकता है।

इसके लिए जरूरी है:

  • स्थानीय बजट से मरम्मत फंड जारी हो
  • CSR के तहत किसी उद्योग या संस्था से सहयोग लिया जाए
  • रोज़मर्रा की सफाई के लिए एक स्थायी कर्मचारी नियुक्त हो

पीथमपुर का सामुदायिक भवन वर्तमान में उपेक्षा और अनदेखी का शिकार है। यह भवन, जो कभी सामाजिक समरसता और उत्सवों का केंद्र हुआ करता था, अब गंदगी, खतरनाक ढांचे और अव्यवस्था का प्रतीक बन गया है।

अब समय आ गया है कि स्थानीय प्रशासन, नगर परिषद और जनप्रतिनिधि मिलकर इसे फिर से जीवंत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। इससे न केवल रहवासियों को लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक पहचान को भी मजबूती मिलेगी।

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