
MP News: मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2023 में गंभीर फर्जीवाड़ा सामने आया है। एक अभ्यर्थी ने सात लाख रुपये की रिश्वत देकर सॉल्वर बैठाया, जो उसकी जगह परीक्षा में शामिल हुआ। यह धोखाधड़ी दस्तावेज परीक्षण और चरित्र सत्यापन के दौरान सामने आई।
मध्य प्रदेश: पुलिस ने मुख्य आरोपी दुर्गेश राठौर को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसकी जगह परीक्षा देने वाला सॉल्वर राघवेंद्र रावत फरार है। इस मामले ने भर्ती परीक्षा की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घोटाले का पूरा घटनाक्रम
बिलपांक थाना प्रभारी अयूब खान के अनुसार, मुरैना जिले के जौरा निवासी दुर्गेश राठौर का चयन आरक्षक (जीडी/रेडियो) परीक्षा 2023 में हुआ था। दुर्गेश ने लिखित और शारीरिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन जब दस्तावेज और चरित्र सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हुई, तो तीन सदस्यीय जांच समिति को उस पर संदेह हुआ।
सख्त पूछताछ में कबूला सच
जांच टीम की सख्ती के बाद दुर्गेश ने कबूल किया कि उसने परीक्षा केंद्र पर अपनी जगह सबलगढ़ निवासी राघवेंद्र रावत को सॉल्वर के रूप में बिठाया था। यह परीक्षा बिलपांक थाना क्षेत्र के एक निजी स्कूल में आयोजित हुई थी।
दुर्गेश ने सॉल्वर को परीक्षा दिलाने के बदले ₹7 लाख रुपये दिए थे, ताकि वह सफलता की गारंटी पा सके।
लिखावट और बायोमेट्रिक से पकड़ी गई चालाकी
दुर्गेश की लिखावट और फार्म में दिए गए दस्तावेजों में अंतर मिलने पर संदेह और गहरा गया। पूछने पर उसने चोट लगने का बहाना बनाते हुए कहा कि फार्म उसके भाई ने भरा था, इसलिए हस्ताक्षर अलग हैं।
इसके बाद कर्मचारी चयन मंडल से बायोमेट्रिक डाटा और परीक्षा केंद्र की सीसीटीवी फुटेज मंगवाई गई। फुटेज और बायोमेट्रिक जांच में सॉल्वर की पहचान राघवेंद्र रावत के रूप में हुई।
मल्हारगंज थाने में रिपोर्ट, फिर स्थानांतरित
इस पूरे मामले की पहली रिपोर्ट 15वीं वाहिनी विसबल के निरीक्षक रोहित कास्डे द्वारा मल्हारगंज थाने, इंदौर में दी गई। लेकिन क्योंकि घटना बिलपांक थाना क्षेत्र से संबंधित थी, इसलिए मामले को “ज़ीरो पर कायमी” कर बिलपांक थाने को स्थानांतरित कर दिया गया, जहां अब मुख्य अपराध दर्ज हो चुका है।
राघवेंद्र रावत अब भी फरार, टीम गठित
इस समय मुख्य आरोपी दुर्गेश राठौर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे न्यायालय में पेश किया जा चुका है। वहीं सॉल्वर राघवेंद्र रावत फरार है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित करने की जानकारी दी है।
26 मामलों का खुलासा, बढ़ती हैरानी
यह पहला मामला नहीं है। प्रदेशभर में अब तक 26 ऐसे मामलों का खुलासा हो चुका है, जिनमें फर्जी परीक्षार्थी या सॉल्वर के ज़रिए परीक्षा देने की बात सामने आई है। यह आंकड़ा दिखाता है कि सरकारी भर्तियों में भ्रष्टाचार एक सुनियोजित नेटवर्क बन चुका है, जिसे जल्द से जल्द तोड़ना जरूरी है।
भविष्य में सख्त निगरानी और दंड की आवश्यकता
इस तरह के फर्जीवाड़े न सिर्फ परीक्षा प्रणाली की साख को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि योग्य और मेहनती अभ्यर्थियों का हक भी छीनते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन, फेस रिकॉग्निशन सिस्टम और कड़ी निगरानी को हर स्तर पर लागू करना आवश्यक है।
MP पुलिस भर्ती परीक्षा में यह घोटाला न सिर्फ एक उम्मीदवार की धोखाधड़ी का मामला है, बल्कि यह पूरे भर्ती तंत्र की पारदर्शिता पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जब तक ऐसे फर्जी नेटवर्क को जड़ से खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिलना कठिन होगा।
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