
Best Indore News इंदौर, जिसे देश का सबसे स्वच्छ शहर कहा जाता है, ने सफाई और कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। 8 साल पहले जब देश के कई शहरों में कचरा निपटान और स्वच्छता एक बड़ी समस्या थी, तब इंदौर नगर निगम ने गीले कचरे से खाद बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया था। उस समय यह पहल न केवल साहसिक थी, बल्कि देशभर के शहरों के लिए एक प्रेरणा भी बन गई।
कैसे शुरू हुई थी पहल?
2016 में इंदौर नगर निगम ने यह महसूस किया कि शहर में प्रतिदिन हजारों टन गीला कचरा निकलता है, जो बिना उपयोग के फेंक दिया जाता है। इस कचरे को अगर सही तकनीक से प्रोसेस किया जाए, तो इससे ऑर्गेनिक खाद तैयार की जा सकती है, जो खेती के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है।
इसके बाद नगर निगम ने शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की शुरुआत की, जिसमें सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया जाने लगा। गीले कचरे को विशेष प्लांट्स में भेजा जाता था, जहां उसे खाद में बदला जाता था। शुरुआत में इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियाँ आईं, लेकिन नगर निगम, सफाई मित्रों और आम जनता के सहयोग से यह प्रणाली सफल रही।
परिणाम क्या निकले?
- इंदौर में प्रतिदिन लगभग 1,200 टन कचरा निकलता है, जिसमें से करीब 500-600 टन गीला कचरा खाद निर्माण के लिए उपयोग होता है।
- आज इंदौर के पास 10 से अधिक कंपोस्ट प्लांट हैं, जहां गीले कचरे से रोजाना ऑर्गेनिक खाद तैयार की जाती है।
- इस खाद को किसान, गार्डनिंग कंपनियां, और विभिन्न संस्थाएं खरीदती हैं।
- इससे न केवल कचरा प्रबंधन बेहतर हुआ, बल्कि नगर निगम को लाखों की आय भी हुई।
देशभर में इंदौर का मॉडल
इंदौर की इस पहल ने बाकी शहरों को भी प्रेरित किया। भोपाल, उज्जैन, देवास, नागपुर, पुणे जैसे शहरों ने इंदौर के मॉडल को अपनाया और अपने शहरों में कंपोस्ट प्लांट शुरू किए।
भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भी इंदौर की इस सफलता को विशेष स्थान मिला। केंद्र सरकार की टीमों ने कई बार इंदौर के कंपोस्ट प्लांट्स का दौरा किया और अन्य राज्यों को इससे सीख लेने की सलाह दी।
तकनीक और प्रक्रिया
- गीले कचरे को छांटकर छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।
- फिर उसे कंपोस्ट पिट्स या वर्मी कंपोस्ट यूनिट्स में डाला जाता है।
- वहां बैक्टीरिया और जैविक प्रक्रियाओं की मदद से यह खाद में बदल जाता है।
- तैयार खाद को सुखाकर पैकेजिंग कर बेचा जाता है।
लाभ
- पर्यावरण संरक्षण में मदद
- ग्रीन हाउस गैसों में कमी
- किसानों को सस्ती और जैविक खाद उपलब्ध
- नगर निगम को आय
- शहर की स्वच्छता में सुधार
इंदौर की उपलब्धियां
- लगातार 7 बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना
- गीले कचरे से खाद निर्माण में देश में नंबर-1
- इंदौर को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं
इंदौर की यह पहल बताती है कि अगर स्थानीय प्रशासन, नागरिक और सफाईकर्मी मिलकर कार्य करें, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं होता। गीले कचरे से खाद बनाने की जो सीख इंदौर ने 8 साल पहले दी थी, वह आज पूरे देश में फल-फूल रही है।
इंदौर न सिर्फ सफाई में आगे है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी नेतृत्व कर रहा है। यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित और स्वच्छ भारत का सपना साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है।
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